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18 सितंबर से शुरू हो रहे हैं अधिक मास, क्या करें और क्या नहीं, जानें

अध्यात्म

18 सितंबर 2020 को पंचांग के अनुसार प्रतिपदा की तिथि है. इस दिन चंद्रमा और सूर्य दोनों ही ग्रह कन्या राशि में विराजमान रहेंगे. मलमास की शुरूआत इसी दिन से होने जा रही है. अधिक मास को मलमास, पुरुषोत्तम मास के नामों से भी जाना जाता है. मलमास में भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती है. अधिक मास में कुछ नियम भी बताए गए हैं, इन नियमों का पालन करने से अधिक मास में भगवान विष्णु का आर्शाीवाद प्राप्त होता है.

अधिक मास के स्वामी है भगवान विष्णु
पौराणिक कथा के अनुसार प्रत्येक मास,राशि और नक्षत्र आदि के कोई न कोई स्वामी हैं. लेकिन अधिक मास का कोई स्वामी नहीं है. स्वामी न होने के कारण अधिक मास को मलमास कहा जाने लगा. जिससे अधिक मास को बहुत दुख हुआ और इस बात की शिकायत भगवान विष्णु से की. शिकायत सुनने के बाद भगवान विष्णु ने अधिक मास को अपना नाम पुरुषोत्तम दिया जिसके बाद अधिक मास को पुरुषोत्तम मास कहा जाने लगा. भगवान विष्णु ने कहा कि अधिक मास का अब से मैं स्वयं स्वामी हूं. अधिक मास में जो भी भक्त मेरी पूजा और उपासना करेगा उसे आर्शीवाद प्राप्त होगा.

अधिक मास में क्या करें और क्या न करें
अधिक मास में धार्मिक कार्यों को वरियता देने के लिए कहा गया है. अधिक मास में पूजा, उपासना, धार्मिक अनुष्ठान, कथा- भागवत और यज्ञ का विशेष फल बताया गया है. अधिक मास में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए. मान्यता है कि अधिक मास में शादी-विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि के कार्य नहीं करने चाहिए.

अधिक मास में दान का महत्व
अधिक मास में दान का विशेष महत्व बताया गया है. अधिक मास में तिथिवार दान का फल बताया गया है. अधिक मास में दीपदान करना शुभ माना गया है. इसके अतिरिक्त धार्मिक पुस्तकों का दान भी शुभ बताया गया है. अधिक मास के प्रथम दिन प्रतिपदा तिथि है इस दिन घी का दान श्रेष्ठ फलदायी बताया गया है. ABP News

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