सरस आजीविका मेला 2022 आज संपन्न हुआ, जिसने पिछले 14 दिनों में 6 करोड़ रुपये से ज्यदा का कारोबार करते हुए अपना सभी पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिए। प्रगति मैदान, नई दिल्ली में ग्रामीण विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान द्वारा आयोजित 41वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (आईआईटीएफ) में ग्रामीण भारत के दूरदराज के क्षेत्रों से आए शिल्पकारों ने अपने बेहतरीन हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों का प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शनी में लगभग 150 स्टाल लगाकर 300 से ज्यादा शिल्पकारों ने हिस्सा लिया और अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया। देश के 26 राज्यों के स्वयं सहायता समूहों की 300 से ज्यादा महिलाओं ने इन स्टालों के माध्यम से पूरे देश के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों के हस्तशिल्प, हथकरघा और प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का प्रदर्शन किया।
दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित इस सरस आजीविका मेले में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। बहुत सुंदरता से सजाए गए स्टालों, शानदार थीम वाले मंडपों और शाम में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों के कारण सरस आगंतुकों के लिए पसंदीदा जगह बना रहा।
प्रसिद्ध सरस आजीविका मेला, जो कि ‘परंपरा, कला, शिल्प और संस्कृति’ के विषय पर केंद्रित है, केंद्र सरकार की सबसे प्रतिष्ठित पहलों में से एक है, जो न केवल सांस्कृतिक विरासत को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदान करता है बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर ग्रामीण महिलाओं को एक उद्यमी के रूप में स्थापित होने का अवसर भी प्रदान करता है।
सरस आजीविका मेला, 2022 में कारोबार करने के लिए 26 राज्यों के उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखलाओं का प्रदर्शन किया गया। सरस आजीविका मेले ने पूरे देश के विभिन्न राज्यों से हथकरघा साड़ी, पोशाक सामग्री, सहायक उपकरण और जैविक हस्तशिल्प उत्पादों में अपने सर्वश्रेष्ठ संग्रह का प्रदर्शन किया। प्रत्येक स्टाल, प्रत्येक उत्पाद और इसमें शामिल प्रत्येक ग्रामीण एसएचजी महिलाओं के पास साझा करने के लिए अपनी एक कहानी थी। सरस ने प्रदर्शनी में सूचीबद्ध उत्पादों की पेशकश की।
हस्तकला: प्रदर्शित करने वाली वस्तुओं में असम से बांस कला और जलकुंभी उत्पाद; बिहार से मधुबनी पेंटिंग, चूड़ियां और सिक्की शिल्प; छत्तीसगढ़ से मोमबत्ती, साबुन, लकड़ी की नेम प्लेट; गोवा और गुजरात से लकड़ी के खिलौने और सजावटी सामान; हरियाणा से धातु कला, टेराकोटा सामाग्री और कलाकृतियां; उत्तर पूर्व से कृत्रिम फूलों की कला; कर्नाटक से आभूषण; महाराष्ट्र के जूते; ओडिशा से सबाई हस्तशिल्प, पीतल समाग्री, गोल्डन घास उत्पाद; पश्चिम बंगाल के जूट हैंड बैग आदि।
हथकरघा: ओडिशा, बिहार और छत्तीसगढ़ से सिल्क साड़ी, सूती साड़ी, हथकरघा कपड़ा, सूती सूट; उत्तर प्रदेश से बेडशीट; पश्चिम बंगाल से कांठा स्टिच साड़ी और पोशाक सामग्री; तेलंगाना और केरल की विशेष साड़ियां; जम्मू और कश्मीर की ऊनी और पश्मीना शॉल; उत्तराखंड से पोशाक सामग्री, ऊनी शॉल और जैकेट; हिमाचल प्रदेश से ऊनी शॉल; राजस्थान की हस्तनिर्मित जूतियां और मोजरी; आंध्र प्रदेश से चमड़े के सामान, चमड़े के लैंप शेड, पेंटिंग और लकड़ी शिल्प आदि।
खाद्य सामग्री: छत्तीसगढ़ और झारखंड से प्राकृतिक खाद्य पदार्थ, बेसन, चावल, काजू, जैविक दालें; केरल से मसाले और कॉफी; सिक्किम की चायपत्ती, उत्तराखंड की जैविक सब्जियां और मसाले; उत्तर प्रदेश से औषधीय जड़ी-बूटियां, चावल और शहद और छत्तीसगढ़ से महुआ लड्डू आदि।
सरस आजीविका मेले ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल, लोकल टू ग्लोबल’ वाले दृष्टिकोण का विस्तार करने में समर्थन दिया।
सरस आजीविका मेला के संदर्भ में: सरस आजीविका मेला दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम), ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है, जिसमें डीएवाई-एनआरएलएम के अंतर्गत ग्रामीण महिला एसएचजी सदस्यों को उचित मूल्य पर संभावित व्यापर का दिग्गज बनने के साथ-साथ अपने कौशल का प्रदर्शन करने, उत्पाद बेचने और पहुंच बनाने के लिए एक मंच प्रदान किया जाता है।