26 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की होती है पूजा, जानिए उनकी महिमा

अध्यात्म

नवरात्र का आज दूसरा दिन है। आज मां के भक्त उनके दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करके उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। मां के नाम का पहला अक्षर ब्रह्म होता है जिसका मतलब होता है तपस्या और चारिणी मतलब होता है आचरण करना। मां ब्रह्मचारिणी ने अपने दाएं हाथ में माला और अपने बाएं हाथ में कमंडल धारण किया हुआ है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए एक हजार वर्ष तक कठोर तपस्या की थी। इस दौरान मां ने फल-फूल खाकर बिताए और हजारों वर्ष तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्या की। जिसकी वजह से उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो साधक विधि विधान से देवी के इस स्वरुप की पूजा अर्चना करता है उसकी कुंडलिनी शक्ति जाग्रत हो जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं आखिर कैसे मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए किस विधि और मुहूर्त में उनकी पूजा करनी चाहिए।

पूजन विधि-
मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए सबसे पहले नहा-धोकर साफ-सुथरे कपड़े पहन लें। इसके बाद ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए उनका चित्र या मूर्ति पूजा के स्थान पर स्थापित करें। उस पर फूल चढ़ाएं दीपक जलाएं और नैवेद्य अर्पण करें। इसके बाद मां दुर्गा की कहानी पढ़ें और नीचे लिखे इस मंत्र का 108 बार जप करें।

इस मंत्र का करें जाप-
दधानां करपद्याभ्यामक्षमालाकमण्डल।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्माचारिण्यनुत्तमा।

इस विधि से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से कई कष्ट दूर हो जाते हैं और मनुष्य की उम्र लंबी होती है। अगर आपकी कुंडली में बुरे ग्रह स्थित हैं तो उनकी स्थिति सुधर जाती है। सारे दोष मिट जाते हैं और अंत में मनुष्य सारे सुख भोगकर स्वर्ग को प्राप्त होता है।

मां ब्रह्मचारिणी को पसंद है ये भोग-
देवी मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल बेहद पसंद है और इसलिए इनकी पूजा के दौरान इन्हीं फूलों को देवी मां के चरणों में अर्पित करें। चूंकि मां को चीनी और मिश्री काफी पसंद है इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं। मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्‍यंजन अति प्रिय होते हैं। इसलिए आप उन्‍हें दूध से बने व्‍यंजनों का भोग लगा सकते हैं। इस भोग से देवी ब्रह्मचारिणी प्रसन्न हो जाएंगी। इन्हीं चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य भी पाया जा सकता है।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा का सार-
मां की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए।मां श्वेत वस्त्र धारण किए हैं। मां त्याग और तपस्या की देवी हैं। मां अपने भक्तों को ऊर्जा प्रदान करती हैं। जिस तरह मां ने जब तक भगवान शिव को पा नहीं लिया तब तक तपस्या करती रहीं। उसी प्रकार से मनुष्य को भी अपने लक्ष्य की प्राप्ति तक अपने प्रयास नहीं छोड़ने चाहिए। मां की आराधना से विद्यार्थियों को विशेष लाभ प्राप्त होता है। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों को इस दिन मां की अर्चना अवश्य करनी चाहिए।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More