देहरादून: आज नई दिल्ली में पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार, उत्तराखराण्ड सरकार तथा सोशल लीगल रिसर्च एंड एजुकेशन फाउंडेशन (एसएलआरई) के मध्य रूद्रप्रयाग के नारायणकोटि मंदिर को पर्यटन मंत्रालय की एडोप्ट हरिटेज योजना के अन्तर्गत अंगीकृत करने के संबंध में एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया। ऐसा होने से मोन्यूमेंट मित्र के रूप में चयनित की गयी फर्म द्वारा नारायण कोटि मंदिर को पर्यटन के रूप में विकसित करने हेतु विभिन्न पर्यटन सुविधाओं यथा मंदिर में मार्ग निर्माण, पथ प्रकाश व्यवस्था, कूड़ा निस्तारण, पेयजल, पार्किंग की व्यवस्था, बैंच, प्रवेश, चारदीवारी, टॉयलेट, साइनऐज आदि को विकसित किया जायेगा।
उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) की ओर से अपर निदेशक श्रीमती पूनम चंद, संस्कृति निदेशक बीना भट्ट और एसएलआरई के विकल कुलश्रेष्ठ ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन के दौरान पर्यटन मंत्रालय प्रथम पक्षकार, उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद् द्वितीय पक्षकार, महानिदेशक, संस्कृति, उत्तराखंड तृतीय पक्षकार एवं फाउंडेशन चतुर्थ पक्षकार बने।
प्राचीन धरोहर स्थलों में पर्यटन सुविधाएं विकसित होने से इनके आस-पास के क्षेत्रों में नये पर्यटन स्वरोजगार सृजित होंगे। ऐसा होने पर स्थानीय युवा टूरिस्ट गाइड, होमस्टे, टैक्सी ट्रैवल, फास्ट फूड सेंटर आदि क्षेत्रों में स्वरोजगार प्राप्त कर सकेंगे। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी और उत्तराखंड राज्य हैरीटेज टूरिज्म के लिए एक आदर्श गंतव्य बनेगा। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर गुप्तकाशी से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर नारायणकोटी में प्राचीन मंदिर का समूह है, जहां सभी नौ ग्रह मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, सूर्य, चंद्रमा, राहू और केतू के मंदिर मौजूद हैं।
पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज ने कहा कि परियोजना के तहत प्रदेश के प्राचीन स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों, मन्दिरों आदि के खोये हुए सौन्दर्य व गौरव को पुनः प्राप्त किया जा सकेगा। इन वीरान पड़े महत्वपूर्ण स्थलों पर पर्यटन सुविधाओं के विकसित होने से राज्य में धार्मिक पर्यटन को बढ़वा मिलने के साथ पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों के रोजगार में वृद्धि होगी। राज्य के सांस्कृतिक पर्यटन को विकसित करने की दिशा में यह एक मील का पत्थर साबित होगी।
पर्यटन सचिव श्री दिलीप जावलकर ने कहा कि केंद्र सरकार की यह एक महत्वपूर्ण योजना है। इसके तहत राज्य के सांस्कृतिक महत्व के स्मारकों तथा विरासत स्थलों का उचित रख-रखाव करने के साथ उनके आस-पास पर्यटन सुविधाओं व अवसंरचनाओं का विकास किया जाएगा। इससे प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिललेगा और पर्यटकों को आसानी से मूलभूत सुविधाएं मिल सकेंगी। साथ ही ग्रामीणों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा।
श्रीमती पूनम चंद, नोडल अधिकारी विरासत अंगीकरण परियोजना, पर्यटन मंत्रालय केंद्र सरकार और अपर निदेशक उत्तराखण्ड पर्यटन ने कहा कि मंदिर परिसर की देखरेख और पर्यटकों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एसएलआरआई के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किया गया है। इससे प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। अश्वमेध यज्ञ स्थल देहरादून, देवलगढ़, गरतांग गली, पिथौरागढ़ किला समेत लगभग 11 स्थलों को विकसित करने की तैयारी की जा रही है।
इस मौके पर उत्तराखण्ड प्रोफेशनल एसोसिएशन के अध्यक्ष व इण्डियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर (आईएटीओ) के उपाध्यक्ष रवि गोसाई, यूटीडीबी जनसंपर्क अधिकारी कमल किशोर जोशी, पर्यटन भारत सरकार उपनिदेशक मनीषा सतोया, उपनिदेशक पर्यटन भारत सरकार आदि मौजूद रहे।