देहरादून: जब हम उत्तराखंड की रमणीक व सुरम्य घाटियों के बारे में सोचते हैं, तो आमतौर पर उनकी अद्भुत सुंदरता हमारे दिमाग में आती है। उत्तराखण्ड को देवों की भूमि के रूप में जाना जाता है। यहां केदारनाथ, बद्रीनाथ जैसे देवस्थान हैं तो गंगा, भागीरथी और अलकनंदा जैसी पावन और जीवनदायिनी नदियां भी हैं। प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य में नंदादेवी और द्रोणागिरी की बर्फ से ढकी चोटियों का योगदान है तो ऋषिकेश, जिम कॉर्बेट और औली जैसे एडवेंचर टूरिज्म के केंद्र भी हैं। झीलों की नगरी नैनीताल और पर्यटकों को आकर्षित करने वाली फूलों की घाटी पूरे विश्व में विख्यात है।
पर्यटन के क्षेत्र में उत्तराखंड के चर्चित होने के बावजूद अधिकांश पर्यटक प्रदेश के स्थानीय भोजन से बहुत अधिक परिचित अभी नहीं हैं। ये व्यंजन केवल स्वादिष्ट हैं बल्कि पूर्ण रूप से पौष्टिक होने की वजह से शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति को भी बढ़ाते हैं। उत्तराखण्ड के व्यंजन सरल लेकिन अविश्वसनीय हैं। यहां प्राथमिक भोजन में गेहूं के रोटी के साथ सब्जियां शामिल हैं जो स्थानीय लोगों का मुख्य भोजन है। दालों से बनने वाले व्यंजन स्थानीय भोजन का प्रमुख हिस्सा हैं। धीमी आग पर पकाया गया यह भोजन अद्भुत स्वाद देता है। खाना पकाने में टमाटर, दूध और दूध आधारित उत्पादों का बखूबी उपयोग हर व्यंजन को विशिष्ट बनाता है।
प्रदेश की विशिष्टताओं के बारे में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज कहते हैं, ‘‘उत्तराखण्ड राज्य न केवल अपनी प्राचीन प्रकृति, स्वच्छ हवा, पानी और खाद्य उत्पादों आदि के लिए जाना जाता है, बल्कि औषधीय जड़ी-बूटियों के अपने समृद्ध भंडार के लिए भी काफी लोकप्रिय है। उत्तराखण्ड में पॉलीहर्बल्स, मसालों का भंडार है, जो अपने चिकित्सीय उपयोग के लिए जाने जाते हैं और सदियों से ऋषियों और आयुर्वेद में विश्वास करने वाले लोगों द्वारा उपयोग किए जाते हैं। उत्तराखण्ड का पहाड़ी व्यंजन स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है और शारीरिक क्षमता को भी बढ़ाता है। पर्यटक उत्तराखंड आकर इन सभी विशेषताओं का लाभ उठा सकते हैं। इसलिए हमारी सरकार राज्य के पर्यटन क्षेत्र में पाक कला को सामने लाने पर विचार कर रही है। यदि पर्यटन के लिए पहाड़ी व्यंजनों को खोजा जाता है और कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है, तो बहुत ही कम समय के भीतर, राज्य खुद को वैश्विक मानचित्र में पाक केंद्र के रूप में स्थापित कर लेगा।“
उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद् के सचिव दिलीप जावलकर ने कहा, ‘‘हेल्थ एंड वेलनेस उत्तराखंड पर्यटन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। वर्तमान में हेल्थ एंड वेलनेस में इम्यूनिटी भी महत्वपूर्ण हो गयी है, राज्य में इम्युनिटी बढ़ाने वाले व्यंजनों की पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाओं को देखते हुए, कोविड संक्रमण के समय में कुमाऊंनी व गढ़वाली व्यंजनों की समृद्ध विरासत को मिलाकर राज्य को ‘हिमालयन इम्यूनिटी फूड’ केंद्र के रुप में विकसित करने का प्रस्ताव भेजा गया है।’’
उत्तराखंड के कुमाऊँ व गढ़वाल क्षेत्रों में कुछ लोकप्रिय व्यंजन हैं जो निम्न प्रकार हैं–
काफुली –उत्तराखंड के कुमाऊँ व गढ़वाल क्षेत्र में प्रसिद्ध शाकाहारी पकवानों में से एक काफुली काफी स्वादिष्ट व्यंजन है जिसका आनंद ज्यादातर सर्दियों के मौसम में लिया जाता है। इसे पालक, लाई और मेथी के पत्तों से बनाया जाता है। लोहे की कड़ाही में पकाया जाने वाले इस स्थानीय व्यंजन को गर्म चावल के साथ खाने का आनंद ही अलग है। स्थानीय भाषा में इसे कापा भी कहा जाता है, यह एक पौष्टिक व्यंजन है जो आयरन, कैल्शियम, विटामिन सी और ई जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध है।
पहाड़ी मसूर की दाल – मसूर की दाल उत्तराखंड के कुमाऊँ व गढ़वाल दोनों क्षेत्रों का प्रसिद्ध स्थानीय व्यंजन है। स्वास्थ्य लाभ के संदर्भ में, यह रक्त कोशिकाओं के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है, हड्डियों को मजबूत और आंखों की दृष्टि शक्ति बढ़ाने में मदद करता है। देसी घी, चपातियों और चावल के साथ इस पहाड़ी मसूर दाल का आनंद लिया जाता है।
भट्ट के डूबके –भट्ट के डूबके कुमाऊँ क्षेत्र का एक पारंपरिक पकवान है। उच्च प्रोटीन और फाइबर के साथ समृद्ध, यह भट्ट या काले सोयाबीन के साथ बनाया जाता है। इस पारंपरिक पकवान को देखते हुए मुंह में पानी आने लगता है, भट्ट के डूबके पाचन में मदद करने के साथ ही रक्तचाप को कम करता है और विटामिन ई और अमीनो एसिड का एक बड़ा स्रोत भी है
झंगोरे की खीर –उत्तराखंड में पैदा होने वाला झंगोरा एक प्रकार का अनाज है जिससे गढ़वाल क्षेत्र में झंगोरे की खीर बनाई जाती है। यह एक स्वादिष्ट स्वीट डिश के रूप में उत्तराखंड में काफी लोकप्रिय है। झंगोरे की खीर में दूध को मिलाया जाता है जिससे एक अनूठा स्वाद आता है।
भांग की चटनी –उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले व्यंजनों में भांग की चटनी है। यह भुने हुए भांग के बीज और भुने जीरे के साथ नींबू का रस, मिर्च और हरी धनिया पत्ती से तैयार किया जाता है। स्वाद बढ़ाने के लिए अन्य व्यंजनों के साथ प्रोटीन से समृद्ध भांग की चटनी को खाने के लिए परोशा जाता है। भांग का प्रयोग सर्दियों में पहाड़़ी सब्जियों में भी किया जाता है।
कंडाली का साग –कंडाली का साग उत्तराखंड में तैयार किए जाने वाले लोकप्रिय गढ़वाली व्यंजनों में से एक है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध स्थानीय पौधों में से एक कंडाली का उपयोग इस व्यंजन को तैयार करने में किया जाता है। कंडाली का साग आयरन, फॉर्मिक एसिड, विटामिन ए और फाइबर से समृद्ध होता है। पर्यटक राज्य में आकर चपाती या चावल के साथ इस व्यंजन का आनंद ले सकत हैं।
कोविड महामारी के दौरान होम स्टे पर्यटकों के लिए एक आदर्श गंतव्य बन गया है क्योंकि उनमें से अधिकांश राज्य के दूरस्थ स्थानों में स्थित हैं जो जंगलों, पहाड़, बुग्याल के मैदान और तारों से रात के आसमान के बीच कम बजट में आवास प्रदान करते हैं। इन दिनों प्रदेश के होम स्टे स्थानीय स्तर पर उगाई जाने वाली सब्जियों से तैयार स्वादिष्ट व स्वास्थ्यवर्धक स्थानीय व्यंजनों के जरिए पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। यह भोजन पर्यटकों को स्थानीय परिवार पांरपरिक शैली में परोसते हैं।
कोविड महामारी के कारण लोगों ने अब अपनी पसंद को सामान्य व्यंजनों से स्वस्थ स्थानीय व्यंजनों में स्थानांतरित कर दिया है। इसी आदर्श को आगे बढ़ाते हुए, रुद्रप्रयाग में वन इको रिजॉर्ट के मालिक अंशुल भट्ट ने अब पारंपरिक स्थानीय जड़ी-बूटियों से तैयार स्थानीय पेय को मेहमानों के लिए परोसना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि “हमने अपने मेनू में स्वस्थ ‘‘मंडवे की रोटी, गुलथिया, झंगोरे की खीर’’ को शामिल किया है क्योंकि अधिकांश पर्यटक अपने स्वस्थ्य के प्रति अधिक सचेत हैं। हम अपने व्यंजनों को तैयार करने के लिए स्थानीय देसी घी और पहाड़ी नमक ‘नूण’ का भी उपयोग करते हैं।
अब उत्तराखण्ड के कई रेस्तरां भी अपने मेनू में राज्य के स्थानीय व्यंजनों को प्रमुखता से स्थान दे रहे हैं। दूसरे प्रकार के व्यंजनों से लेकर सैंडविच की दुकानों तक सभी प्रकार के विभिन्न रेस्तरांओं में भी पहाड़ी व्यंजन अपनी जगह बना रहे हैं। ये स्थानीय व्यंजन इन्हें सही मायने में प्रतिस्पर्धा से अलग खड़ा करने और पर्यटकों को इम्युनिटी बूस्टर के विदेशी स्रोतों के विकल्पों की पेशकश कर रहे हैं।
देहरादून जौलीग्रांट हवाई अड्डे के पास स्थित कैफे डिंडयाली की मालिक, श्रीमती साक्षी बहुगुणा रतूड़ी ने बताया कि ‘हमारे कैफे में प्रामाणिक गढ़वाली मेनू है जहाँ हम कंडाली का साग, काफुली, मीठा भात, जैसे स्थानीय व्यंजन पर्यटकों को परोसते हैं। हम अपने कैफे और होमस्टे के माध्यम से अपने पारंपरिक गढ़वाली खाद्य पदार्थों और संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं।” पर्यटक इसका आनंद ले रहे हैं और यहां तक कि उन्हें धन्यवाद भी देते हैं कि अन्य कैफे के मुकाबले असली खाना परोसा जाता हैं क्योंकि वे नियमित भोजन खाने से ऊब चुके हैं।’’
उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन और व्यंजनों को लोकप्रिय बनाने के लिये किये जा रहे प्रदेश सरकार के प्रयासों का लाभ पर्यटकों को आकर्षित करने में मिलेगा। कोविड महामारी के दौरान लोगों के खानपान के व्यवहार में जो बदलाव आया है, उसका लाभ उत्तराखंड को उसके व्यंजनों की विविधता के चलते मिलना सुनिश्चित है। प्रदेश सरकार का मिशन और विजन उत्तराखंड को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अग्रणी पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में स्थान दिलाना है।