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MP में अब गाय लावारिस छोड़ी तो खानी पड़ेगी जेल की हवा, आने वाला है ‘नया कानून’

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भोपाल: मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार अब नर्मदा यात्रा और एकात्म यात्रा के बाद एक और ऐसा कदम आगे बढ़ाने जा रही है जो उसके हिन्दू एजेंडे को स्पष्ट करता है. एमपी की बीजेपी सरकार का अगला कदम गाय को लेकर है. शिवराज सरकार ऐसा कानून लाने की तैयारी कर रही है जिसमें गायों को आवारा छोड़ने वाले गोपालकों को सजा दी जा सके. कानून की भनक मिलते ही कांग्रेस ने सरकार को निशाने पर ले लिया है. इसे चुनावी आहट में भगवा रथ पर सवार बीजेपी का हिन्दू एजेंडा बताया जा रहा है.

गोमाता के मुद्दे पर संवेदनशीलता का दावा करने वाली शिवराज सरकार अब गोमाता को लेकर लापरवाही बरतने वाले गोपालकों को लेकर नाराज है. नाराजगी इसलिए कि गायों का दूध दुहने के बाद गोपालक उन्हें आवारा छोड़ देते हैं. जिस वजह से गोमाता सड़कों पर आ जाती हैं और सड़क हादसों की वजह बनती हैं. इसलिए अब सरकार एक कानून लाने की तैयारी कर रही है. इसके बाद गोपालकों को सजा हो सकती है. सूबे के विधि मंत्री रामपाल सिंह के मुताबिक इससे संबंधित ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है. कैबिनेट की मंजूरी के बाद उसे विधानसभा में पेश किया जाएगा.

गोपालकों पर कानूनी कार्यवाही के लिए सरकार को मध्यप्रदेश गोवंश वध प्रतिषेध अधिनियम 2004 में बदलाव करना होगा. बदलाव के बाद नए कानून का नाम गोवंश संरक्षण एवं वध प्रतिषेध अधिनियम हो जाएगा. जानकारी के मुताबिक इस कानून में बदलाव की वजह है डायल 100 की एक रिपोर्ट. इस रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा सड़क हादसे आवारा पशुओं की वजह से होते हैं.

रिपोर्ट में हुआ खुलासा
– सड़क परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट
– सड़क हादसों में मध्य प्रदेश का दूसरा स्थान
– 2016 में प्रदेश में लगभग 54 हजार दुर्घटनाएं
– जानवरों की वजह से हर रोज 10 हादसे होते हैं
– साल भर में 5228 हादसे आवारा पशुओं की वजह से

गौरतलब है कि गोसंरक्षण को लेकर सरकार कोई कोताही बरतना नहीं चाहती. लेकिन विपक्षी पार्टी कांग्रेस सरकार को सुसनेर के गौ अभयारण्य याद दिला रही है. इसे केवल चुनावी हथकंडा बता रही है. कांग्रेस आरोप लगा रही है कि बीजेपी खुलकर कहती है कि गाय उसकी प्राथमिकता है.

ऐसा नहीं है कि बीजेपी का गोप्रेम अचानक जागा हो. इससे पहले इसी सरकार में गायों के लिए एम्बुलेंस, लावारिस गायों को सुरक्षित जगह देने की बात हो चुकी है. लेकिन संरक्षण को लेकर सजगता का दावा करने वाली सरकार में ही सुसनेर गौ अभयारण्य में हुई गायों की मौतें कई सवाल भी खड़े करती हैं.

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