नई दिल्ली: रेलवे बोर्ड के चेयरमैन श्री ए के मित्तल के साथ-साथ रेलवे बोर्ड के अन्य सदस्यों जैसे कि सदस्य (संकर्षण) श्री ए के कपूर, सदस्य (इंजीनियरिंग) श्री आदित्य के मित्तल, सदस्य (रोलिंग स्टॉक) श्री हेमंत कुमार, सदस्य (स्टाफ) श्री प्रदीप कुमार, सदस्य (यातायात) श्री मोहम्मद जमशेद, वित्तीय आयुक्त श्री शाहजाद शाह, महानिदेशक (कार्मिक) श्री आनंद माथुर, महानिदेशक (रेलवे स्वास्थ्य सेवा) डॉ. अनिल कुमार और रेलवे बोर्ड के अन्य वरिष्ठ सदस्यों ने भी आज नई दिल्ली में आयोजित आर्थिक संपादक सम्मेलन 2016 के दौरान रेल मंत्रालय से संबंधित सत्र को संबोधित किया। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एवं रेलवे बोर्ड के अन्य सदस्यों और अन्य अधिकारियों द्वारा निम्नलिखित सूचनाएं दी गईं।
पिछले ढाई वर्षों के दौरान रेल मंत्रालय की उपलब्धियां
(मई, 2014 से लेकर नवंबर, 2016 तक)
I.यात्री सुविधाएं और डिजिटल इंडिया से जुड़े कदम
- फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का शुभारंभ हैंडल@railminindia के साथ किया गया। रेल मंत्रालय ने ट्विटर के जरिए अपनी तरह की प्रथम वास्तविक समय वाली 24×7 जन शिकायत प्रणाली शुरू की और सफर के दौरान यात्रियों को चिकित्सा, सुरक्षा एवं अन्य आपातकालीन सहायता मुहैया कराई।
- यात्रा के दौरान किसी भी अप्रिय घटना की जानकारी देने एवं आपातकालीन सहायता की प्राप्ति के लिए अखिल भारतीय सुरक्षा हेल्पलाइन नम्बर ‘182’ और यात्रा के दौरान अन्य सवालों/शिकायतों का जवाब देने के लिए हेल्पलाइन नम्बर ‘138’ शुरू किए गए।
- मोबाइल आधारित एक एप्लीकेशन जैसे कि शिकायत प्रबंधन प्रणाली (सीओएमएस) लांच की गई।
- 250 स्टेशनों पर ई-केटरिंग सुविधा शुरू की गई। ई-केटरिंग सुविधा प्रदान करने के लिए 408 रेलवे स्टेशनों को निर्दिष्ट किया गया।
- प्रायोगिक आधार पर 45 दिनों की अवधि के लिए गाड़ी संख्या 12025 एवं 12026 (पुणे-सिकंदराबाद शताब्दी) और 12953 एवं 12954 (अगस्त क्रांति राजधानी) रेलगाड़ियों पर केटरिंग को स्वैच्छिक बनाया गया।
- किफायती मूल्यों पर आरओ वाटर (जल) मुहैया कराने के लिए वाटर वेंडिंग मशीनें (डब्ल्यूवीएम) लगाने की एक व्यापक योजना रेलवे के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पीएसयू) आईआरसीटीसी द्वारा लागू की जा रही है।
- वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के लिए स्लीपर क्लास में आरक्षण कोटे को प्रति कोच दो लोअर बर्थ से बढ़ाकर प्रति कोच चार लोअर बर्थ कर दिया गया है।
- लोगों को सुविधा प्रदान करने और ई-टिकट पोर्टल पर ट्रैफिक को क्रमबद्ध तरीके से व्यविस्थत करने के दोहरे उद्देश्य की प्राप्ति हेतु तत्काल आरक्षण के लिए अलग समय तय किया गया है।
- प्रतीक्षा सूची वाले ई-टिकटों की भांति ही ट्रेनों के रद्द होने पर टीडीआर दाखिल किए बिना ही कन्फर्म/ आरएसी ई-टिकटों की स्वत: वापसी की मंजूरी दी गई।
- आरक्षित टिकटों की बुकिंग की समय सीमा बढ़ाकर 120 दिन कर दी गई है, जो 1 अप्रैल, 2015 से प्रभावी हो चुकी है।
- गंतव्य अलर्ट और जगाने के लिए अलार्म सेवाएं 139 पर लांच की गई है।
- दिव्यांगजन और रियायती पास पर यात्रा करने वाले प्रत्यायित पत्रकारों के लिए ई-टिकटिंग सुविधा शुरू की गई।
- यात्री मित्र सेवा शुरू की गई, ताकि बुजुर्गों एवं दिव्यांग यात्रियों को स्टेशनों पर व्हील चेयर सेवा सह कुली सेवा की बुकिंग करने में मदद मिल सके।
- सामान्य श्रेणी के सभी नए डिब्बों (कोच) में मोबाइल फोन को चार्ज करने की सुविधा शुरू की गई।
- आदर्श स्टेशनों के तौर पर उन्नयन (अपग्रेड) के लिए चिन्हित किए गए 1252 स्टेशनों में से 986 स्टेशनों को अब तक विकसित किया जा चुका है। 160 स्टेशनों को पिछले दो वर्षों में विकसित किया गया है।
- ‘एसएमएस गेटवे’ के नाम से एक स्कीम शुरू की गई है, ताकि आरक्षित टिकटों की स्थिति के बारे में संबंधित यात्रियों को एसएमएस अलर्ट मिल सके।
- नई पीढ़ी की अभिनव प्रणाली स्थापित की गई है, जो प्रति मिनट 2000 टिकटों के बजाय 15,000 ऑनलाइन टिकटों की बुकिंग कर सकती है और प्रति मिनट 50,000 पूछताछ के बजाय 2,00,000 पूछताछ का निपटारा कर सकती है।
- कम्प्यूटरीकृत यात्री आरक्षण प्रणाली (पीआरएस) को तर्कसंगत बनाया गया है, ताकि यात्रीगण आरक्षण चार्टों के तैयार होने के बाद भी टिकट खरीद सकें।
- पश्चिमी रेलवे, मध्य रेलवे, दक्षिण मध्य रेलवे, दक्षिण रेलवे, पूर्वी रेलवे, दक्षिण पूर्वी रेलवे के उपनगरीय खंडों पर मोबाइल फोन के जरिए कागज रहित प्लेटफॉर्म टिकटों सहित कागज रहित अनारक्षित टिकट देने की शुरुआत की गई।
- टीटीई के लिए हैंड-हेल्ड टर्मिनलों की पॉयलट परियोजना शुरू की गई।
- नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन, मुंबई सेंट्रल (बीसीटी), छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटीएम), बेंगलूरू सिटी जंक्शन, चेन्नई सेंट्रल और तिरुअनंतपुरम सेंट्रल स्टेशनों पर ट्रेनों में डिस्पोजेबल चादर (लिनेन) के लिए ई-बुकिंग शुरू की गई है।
- कचरे का कुशलतापूर्वक निपटान करने के लिए भारतीय रेलवे ने सभी स्टालों के अलावा ए1 और ए श्रेणी के स्टेशनों के यात्री आवागमन क्षेत्रों में प्लेटफार्मों पर गीले अपशिष्ट और सूखे अपशिष्ट के संग्रह के लिए अलग-अलग डस्टबिन उपलब्ध कराने का फैसला किया है।
- सुरक्षा गार्ड महिलाओं के लिए विशेष गाड़ियों और डिब्बे के लिए सुरक्षागार्डों की व्यवस्था।
- उच्च प्राथमिकता के साथ महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दों के लिए ट्विटर के माध्यम से सुरक्षा हेल्पलाइन 182 एक्टिवेटिड करना और शिकायतों का समय पर समाधान करना।
- ट्रेनों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी निगरानी कैमरों लगाना ऐसी पहली शुरुआत अमृतसर-नई दिल्ली के बीच चलने वाली शान-ए-पंजाब एक्सप्रेस में की गई।
- कुछ क्षेत्रीय रेलों में सुरक्षा एप्लिकेशन का विकास
- मिडिल-बे महिलाओं के लिए आरक्षित
- उत्तर रेलवे के हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर शुरू किए गए हैंड-हेल्ड टर्मिनलों के माध्यम से अनारक्षित टिकटों की बिक्री की पायलट परियोजना।
- “जननी सेवा” सेवा की शुरूआत अर्थात स्टेशनों पर गर्म दूध, गर्म पानी और बेबी फूड आइटम तथा रेलों में बच्चों के खाने की चीजें।
- शिकायतों निवारण के लिए इंटीग्रेटेड (फेसबुक और ट्विटर) सामाजिक मीडिया प्लेटफॉर्म।
- सहायक के बिना यात्रा करने वाले विकलांग व्यक्तियों को रियायत देने वाली नीति का उपयोग करने के कार्यान्वयन की घोषणा।
- निगरानी के लिए एक नोडल अधिकारी के साथ-साथ सभी पर ट्रेनों में सभी सुविधा के लिए एक व्यक्ति की जवाबदेही।
- यात्रियों के लिए केलव 92 पैसे के लिए वैकल्पिक यात्रा बीमा की शुरूआत। पहला चरण केवल ई-टिकट धारकों के लिए शुरू किया गया।
- रेल मंत्रालय ने राजधानी / दुरंतो और शताब्दी ट्रेनों के लिए फ्लेक्सी किराया प्रणाली की शुरूआत की।
- “रेल गीत” राष्ट्र को समर्पित किया गया।
II मेक इन इंडिया पहल के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण और सहायता
- मैसर्स डीजल लोकोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड के साथ बहुत आधुनिक हाई पावर डीजल इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की खरीददारी और रखरखाव के लिए बिहार के मारहावरा, सारण जिला में डीजल लोकोमोटिव फैक्टरी (डीएलएफ) की स्थापना के लिए अनुबंध करके मेक इन इंडिया अभियान में एक बड़ा कदम उठाया है। मधेपुरा बिहार में अति आधुनिक हाई पावर डीजल इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की खरीददारी और रखरखाव के लिए दोनों पीपीपी और भारतीय रेलवे के एफडीआई टैंडर के माध्यम से विद्युत लोकोमोटिव फैक्टरी की स्थापना के लिए मैसर्स आल्सटॉम के साथ अलग से अनुबंध किया है। यह भारत में लगभग 40 हजार करोड़ रुपये की सबसे बड़ी एफडीआई में से एक है।
- 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे की गतिवाली ट्रेन का परीक्षण किया गया जिससे यात्रा के समय में बहुत कटौती आएगी और यात्री ट्रेनों की औसत गति भी सुधर जाएगी।
- भारत और जापान के बीच समझौता ज्ञापन पर रुपये की अनुमानित लागत से 508किलोमीटर की कुल दूरी के लिए शिंकनसेन प्रौद्योगिकी का उपयोग करते मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना के लिए हस्ताक्षर किए गए। इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय उच्च गति रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड नामक कंपनी की इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए फरवरी, 2016 में स्थापित किया गया। इस परियोजना की अनुमानित लागत 98000 करोड़ रुपए है।
- इसके अलावा उच्च गति के अध्ययन डायमंड चतुर्भुजीय हाई स्पीड रेल नेटवर्क पर हाई स्पीड अध्ययन किए जा रहे हैं। इसके अलावा दिल्ली-मुंबई, मुंबई-चेन्नई और दिल्ली-कोलकाता की व्यवहार्यता अध्ययन चल रहे हैं।
- रेल मंत्रालय ने दिल्ली और आगरा के बीच 160 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति वाली देश की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस शुरूआत की है।
- 400 स्टेशनों का ई-बोली के माध्यम से पुनर्विकास किया जाएगा है। इसमें 10 स्टेशन आईआरएसडीसी को दिए गए हैं।
- आईआर ने पटना और मुंगेर में गंगा नदी पर दो बड़े पुल बनाए हैं जिससे उत्तर और दक्षिण बिहार के रेलवे नेटवर्क आपस में जुड़ गए हैं।
- देश की सबसे बड़ी ढांचागत परियोजनाओं पूर्वी और पश्चिमी डीएफसीएस के कार्य मेंतेजी लाई गई है। लागत अनुमानों को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है और पिछले 2 वर्षों के दौरान 25,320 करोड़ रुपये मूल्य ठेके दिए गए हैं जो इन परियोजना की शुरुआत से अब तक दिए गए 12,240 करोड़ रुपये के कुल ठेकों से दो गुणे से भी अधिक हैं। दुर्गावती-सासाराम के बीच डीएफसी के पहले खंड के 56 किलोमीटर का डीएफसी का कार्य शुरू हो गया है
- रेल व्हील संयंत्र, बेला में कार्य शुरू होने से नियमित उत्पादन होने लगा है।
- वाराणसी में डीजल लोको कारखाने का 25 प्रतिशत से विस्तार किया जा रहा है
- हल्दिया में डेमू कारखाने लगाया गया था और झांसी में मीडलाइफ पुनर्वास कार्यशाला पूरी हो गई है।
- मध्य रेलवे के पूरे मुम्बई डिविजन में 1500 वीडीसी को 25000 वीएसी में बदलने का कार्य पूरा हो गया है।
- 2014-16 के दौरान 3105 किलोमीटर मार्ग का विद्युतीकरण किया गया है, जो पिछले1552.5 आरकेएम प्रतिवर्ष का औसत है जबकि पांच वर्षों के दौरान 1236 आरकेएम प्रतिवर्ष का औसत आया था।
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