लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री श्री राजेन्द्र चौधरी ने अपने तीन दिवसीय उत्तराखण्ड प्रवास (13,14,15 जून 2016) के दौरान उत्तराखण्ड की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति का आकलन किया। श्री चैधरी ने गरुड़ चट्टी, मुनि की रेती में गंगा आरती के कार्यक्रमों के अलावा प्रेस क्लब, हरिद्वार में प्रेस प्रतिनिधियों को भी संबोधित किया। सर्वत्र स्थानीय लोगो द्वारा उनका स्वागत अभिनन्दन किया गया। इस यात्रा में राजनीति और अध्यात्म का अपूर्व संयोग था।
श्री राजेन्द्र चौधरी हरिद्वार में प्रेस क्लब द्वारा आयोजित ‘‘सद्भावना मिलन’’ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में 15 जून 2016 को शामिल हुए। इसके अध्यक्ष रावल जी, महासचिव गोस्वामी जी, वरिष्ठ पत्रकार श्री सुनील दत्त पांडेय ने उनका स्वागत किया। श्री राजेन्द्र चौधरी ने इस अवसर पर प्रेस को एक सशक्त माध्यम बताते हुए उसे लोकतंत्र को जिंदा रखने में सहयोगी भी बताया। उन्होंने कहा कि प्रेस की आजादी के आन्दोलन में और आजादी के बाद राष्ट्र और समाज की दिशा तय करने में प्रभावी भूमिका रही है।
श्री चौधरी ने कहा कि आजादी के 68 सालों बाद भी आज यह सवाल खड़ा है कि अगर कोई सत्ता प्रतिष्ठान में बैठा शीर्ष व्यक्ति संविधान को तिलांजलि देकर, राजनैतिक भाषा का इस्तेमाल कर जनता को गुमराह कर सत्ता का दुरुपयोग करने लगे तो उसे केवल नागरिक प्रतिरोध से ही क्या रोका जा सकता है ? उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय और धर्म निरपेक्षता के लिए हमारी प्रतिबद्धता है। समाज में समता भी है और विषमता भी है, सांप्रदायिकता है और उसका विकल्प भी। ऐसे में कलम और कलमकारों को अपनी प्राथमिकतांए तय करनी होगी।
श्री चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार चार वर्षो में चुनाव घोषणा पत्र के वादों के प्रति जवाबदेह रही है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में जनहित की जो तमाम योजनांए चलाई उससे जाहिर है कि ईमानदारी से काम किया जाए तो व्यवस्था बेहतर हो सकती है।
समाजवादी नेता श्री राजेन्द्र चौधरी ने उत्तराखण्ड के दौरे में उत्तर प्रदेश में आए राजनीतिक और सामाजिक बदलाव को प्रस्तुत किया वहीं लोकतंत्र के समक्ष पेश होंने वाली आंशकाओं का भी जिक्र किया और नागरिकों के अधिकारों के प्रति सचेतनता की सलाह दी। उत्तराखण्ड के जनप्रतिनिधियों में इससे उत्साह पैदा हुआ और उनमें राजनीति में समाजवादी विचारधारा के प्रति नया आग्रह दिखाई दिया।
ऋशिकेश में गरुड़ चट्टी की अपनी महत्ता है। जिन दिनों बद्रीकेदार की यात्रा पैदल चलकर होती थी तब सर्वप्रथम गरुड़ जी के मन्दिर के दर्शन करके ही यात्री आगे बढ़ते थे। कहते है अमृतकलश लेकर गरुड़ जी ने जो भगवान विष्णु के वाहन हैं, यहाँ विश्राम किया था। जहाँ अमृतकलश छलका और अमृत की बंूदे गिरी वहीं पर कंुभ का महापर्व होता है।
श्री राजेन्द्र चौधरी ने गरुड़ मन्दिर के परिसर में बाबा रामप्रताप उर्फ लंगोटी बाबा से भंेट की। उनका आश्रम यहाँ उँचे पहाड़ पर स्थित है जहाँ जंगली जानवर भी विचरते हैं बाबाजी निर्भय उनके बीच ही रहते हैं। एक लुंगी मे ही जाड़ा’-गर्मी-बरसात बिता देते हैं। उनकी आयु 100 वर्ष के लगभग बताई जाती है। मुनि की रेती नगरपालिका के चेयरमैन उनके भक्त हैं। पूर्व चेयरमैन श्री मनोज द्विवेदी, समाजसेवी श्री चन्द्रवीर पोखरियाल भी उनके कृपापात्र हैं, बाबाजी को जो मिलता है तत्काल बाँट देते हैं और भक्तों को खुद ही खीर बनाकर खिलाते हैं। अपनी मस्ती में बाबा राजनीति की भी समझ रखते हैं। अपनी राय भी बेबाक ढंग से देते हैं। श्री चैधरी उनके विशेष प्रिय हैं और उनसे स्नेह रखते हैं। उनके आने की बात सुनकर ही वे पहाड़ से नीचे उतर आए।
ऋशिकेश में 14 जून 2016 को गंगा दशहरा पर्व पर श्री शत्रुध्न मन्दिर के महंत एवं मुनि की रेती के पूर्व चेयरमैन और गंगा गौ सेवा समिति के अध्यक्ष श्री मनोज द्विवेदी ने गंगाघाट पर गंगा आरती का भव्य आयोजन किया था। श्री राजेन्द्र चैधरी इसमें मुख्य तौर पर शामिल हुए थे। उनका अंगवस्त्र पहनाकर अभिनंदन किया गया। उनके उ0प्र0 साथ गन्ना बीज प्रमाणीकरण संस्था के उपाध्यक्ष श्री राजपाल सिंह एवं उत्तराखण्ड योजना आयोग के पूर्व सदस्य श्री बचन सिंह पोखरियाल और ऋशिकेश बार एसोसियेशन के पूर्व अध्यक्ष श्री शीशराम बाँसवाल भी थे। शंख घड़ियाल की धुन और शिव तांडव स्त्रोत के पाठ के साथ तीन ब्रह्मचारियों द्वारा विधिवत गंगा आरती के दृश्य दर्शनीय थे।
कहते है रामायण काल में जब रावण वध के कारण भगवान श्रीराम को ब्रह्म हत्या लगी थी तब रामजी के साथ सभी भाई भी पश्चाताप में तपस्या करने निकले थे। यहाँ 9वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने श्री शत्रुघ्न मन्दिर की पुर्नस्थापना की। यहाँ स्थापित श्री शत्रुध्न जी की मूर्ति उसी ब्लैकस्टोन से बनी है जिससे भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति बनी है।
संस्कृत के महाकवि जगन्नाथ ने पवित्र गंगा को संपूर्ण पृथ्वी का सौभाग्य कहा है। गंगा को भागीरथी भी कहा जाता है क्योंकि भागीरथ ही तपस्या करके गंगा को धरती पर लाए थे। आस्थावान हिन्दू गंगा को पतित पावनी मानते है और वैज्ञानिक भी इसके जल को कीटाणु रहित मानते हैं। इस सबके बावजूद वेगवती गंगा की धारा अविरल प्रवाहमान है।
उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा उत्तरखण्ड के लोगों में भी होती रहती है। उत्तराखण्ड के लोगो का कहना है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव का स्वच्छ नेतृत्व एवं उनके विकास कार्य यहाँ भी प्रभावित करते हैं। जिस कार्य कुशलता से श्री अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में विकास का द्वार खोला है उसकी देश भर में प्रशंसा हो रही है।
उत्तराखण्डवासी भी श्री अखिलेश यादव का उनके राज्य में आगमन का इंतजार करते रहते है चूँकि उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड का भावनात्मक लगाव अटूट है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कई अक्सरों पर कहा भी है कि उत्तराखण्ड की विकास योजनाओं विशेष तौर पर बागवानी एवं पहाड़ों पर सेब की खेती के क्षेत्र में निवेश आदि में सहयोग करने के लिए उनका राज्य तैयार है। श्री अखिलेश यादव का मानना है कि उत्तराखण्ड स्विट्जरलैण्ड से भी खूबसूरत है।