नई दिल्ली: भारतीय शहरों में बढ़ते हुए वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने के एक प्रमुख कदम के अंतर्गत, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेंद्र प्रधान और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज नई दिल्ली में सीएनजी से संचालित दुपहिया वाहनों के प्रायोगिक कार्यक्रम का शुभारंभ किया। यह देश में अपनी तरह का प्रथम कार्यक्रम है। इस अवसर पर, संसद सदस्य श्रीमती मीनाक्षी लेखी भी उपस्थित थीं।
इस पहल का स्वागत करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि सरकार देश में स्वच्छ ईंधन को प्रोत्साहन देने की दिशा में अग्र सक्रिय है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के तहत सरकार देश में गैस के उपयोग को प्रोत्साहन दे रही है, जिससे लोगों को बेहतर जीवन शैली प्रदान करने और प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए सीओपी-21 की प्रतिबद्धताओं को पूरा किया जा सके। श्री प्रधान ने कहा कि देश में ईंधन के क्षेत्र में गैस की भागीदारी विश्व औसत के करीब 24 प्रतिशत की तुलना में मात्र 7 प्रतिशत है। सीएनजी के माध्यम से दुपहिया वाहनों को चलाने के प्रायोगिक कार्यक्रम को ऐतिहासिक बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके अनुभव का मूल्यांकन करने के बाद इसमें तेजी से विस्तार किया जाएगा। स्वच्छ दिल्ली के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि वह दिल्ली सरकार को पहले से ही पत्र लिख चुके हैं कि बवाना बिजली संयंत्र को पूरी तरह से एलएनजी से संचालित किया जाए, ताकि दिल्ली के निवासियों को सस्ती और स्वच्छ बिजली उपलब्ध कराई जा सके, लेकिन उन्हें इस बारे में संतोषजनक उत्तर प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि राजधानी में 250 मेगावाट बदरपुर तापीय विद्युत संयंत्र दिल्ली के सभी वाहनों से कई गुना ज्यादा प्रदूषण फैला रहा है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में, श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार देश में प्रदूषण के नियंत्रण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और इस उद्देश्य के लिए 2020 तक यूरो-4 प्रकार के ईंधन से यूरो-6 तक की पहल की जाएगी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय गैस सहित स्वच्छ ईंधन को प्रोत्साहन देने के प्रयासों का पूर्ण समर्थन करेगा। मंत्री महोदय ने कहा कि दुपहिया में सीएनजी किट की परियोजना के प्रायोगिक चरण का शुभांरभ प्रदूषण को घटाने में एक दूरगामी निहितार्थ होगा। सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों को रेखांकित करते हुए, श्री जावड़ेकर ने कहा कि कोयले पर प्रति टन 400 रुपये का उपकर, ई-रिक्शा की शुरूआत और इलेक्ट्रिक/हाईब्रिड कारों के सब्सिडी प्रदान करना जैसे कदम प्रदूषण से मुकाबला करने में सरकार की तत्परता और इरादे को दर्शाते हैं।
श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने कल्याण उपायों की पहल के लिए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह प्रायोगिक परियोजना भारत-ईरान के बढ़ते सहयोग का प्रतीक है।
इस प्रायोजिक कार्यक्रम के अंतर्गत सीएनजी चलित 50 दुपहियों के प्रदर्शन पर कुशलता, उत्सर्जन आदि के संदर्भ में करीब से निगरानी की जाएगी। प्रायोजिक चरण के दौरान इस परियोजना से सभी हितधारकों और जानकारियों का उपयोग देशभर में दुपहिया वाहनों में सीएनजी को लाने के लिए एक प्रारूप विकसित करने के लिए किया जाएगा।