नई दिल्ली: विदेश राज्य मंत्री श्री एम.जे. अकबर ने नई दिल्ली में चल रहे 17वें अंतर्राष्ट्रीय एनएसजी सेमिनार को आज संबोधित किया। अपने संबोधन में श्री एम.जे.अकबर ने कहा कि आतंकवाद समृद्धि के लिए सबसे बड़ा खतरा है और शांति तभी कायम होगी, जब आतंकवाद खत्म होगा। श्री एम.जे. अकबर ने कहा कि आतंकवाद स्थिरता के ढांचे के लिए चुनौती है। आतंकवाद का मकसद मरने वाले लोगों की गिनती करना नहीं, बल्कि बहुलवादी समाज में डर पैदा करना है।
श्री अकबर ने कहा कि भारत आतंकवाद के विरूद्ध लड़ने के लिए दृढ़संकल्प है। उन्होंने कहा कि जो देश आतंकवाद को समर्थन दे रहे है, उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंथ और धर्म की स्वतंत्रता, आर्थिक समानता और लोकतंत्र उग्रवाद और दमनकारी विचारों को परास्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि भारत भौगोलिक राजनैतिक दृष्टि से पूर्व और पश्चिम एशिया के मध्य में है और एशिया का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि भारत में क्या हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत शांति और स्थिरता की राह पर आगे बढ़ता रहेगा।
श्री एम.जे. अकबर ने कहा कि ज्ञान साझा करने के लिए तथा क्षमता सृजन करने के लिए अधिक से अधिक इस तरह के सेमिनार होने चाहिए। उन्होंने आतंकवाद और आतंकवादी गतिविधियों के विरूद्ध मजबूत रोधक बनने के लिए एनएसजी की सराहना की।
एनएसजी के महानिदेशक श्री सुधीर प्रताप सिंह ने बताया कि संगठन पिछले 16 वर्षों से आतंक विरोध विषय पर सेमिनारों का आयोजन कर रहा है और इनमें भागीदारी बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि संगोष्ठी में 12 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे है। दो केन्द्रशासित प्रदेश और 17 राज्य पुलिस बल, सेना तथा अर्धसैनिक बल शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद की कोई सीमा नहीं है और आतंकवाद से लड़ने की सोच को बदलकर आतंकवाद को परास्त करने की सोच विकसित करनी होगी।
सेमिनार में आतंकवाद की प्रवृत्ति बढ़ने तथा क्षमता सृजन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर चर्चा करने के लिए दो सत्र आयोजित किये गये।
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्द्धन सिंह राठौर ने कल हरियाणा के मानेसर में सेमिनार का उद्घाटन किया था। दो दिन की संगोष्ठी का आयोजन राष्ट्रीय सुरक्षागार्ड (एनएसजी) द्वारा किया गया।