नई दिल्ली: रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने आज नई दिल्ली में दो दिवसीय 11वें यूआईसी वैश्विक सुरक्षा सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस सम्मेलन का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय रेलवे संघ (यूआईसी),
(जिसका मुख्यालय पेरिस में है) के सहयोग से भारतीय रेल सुरक्षा निदेशालय के द्वारा किया जा रहा है। रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि थे। इस दो दिवसीय सम्मेलन में यूआईसी के प्रतिनिधियों के अलावा भारतीय रेल, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस प्रतिनिधियों के साथ-साथ विभिन्न देशों की रेलवे प्रणाली के सुरक्षा प्रमुख भाग ले रहे हैं। भारतीय रेल के अध्यक्ष श्री ए.के.मित्तल ने उद्घाटन सत्र को संबोधित किया और प्रधानमंत्री कार्यालय के अपर प्रधान सचिव डॉ. पी.के.मिश्र ने भी अपने विचार रखे। अंतर्राष्ट्रीय रेल संघ (यूआईसी) के महानिदेशक श्री जीन-पायरे लुबिनोक्स और सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने भी सम्मेलन में भाग लिया। यूआईसी के उपाध्यक्ष श्री जरज़ी विसनिवस्की ने भी उद्घाटन सत्र के अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए। भारतीय रेल बोर्ड के सदस्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे। भारतीय रेल सुरक्षा सेवा के महानिदेशक और यूआईसी सुरक्षा मंच के वर्तमान प्रमुख ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किये।
इस मौके पर, रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि रेल अभियानों के लिए सुरक्षा और संरक्षा महत्वपूर्ण पक्ष है। उन्होंने कहा हालांकि रेलवे प्रणाली में सुरक्षा स्वयं निहित हैं लेकिन सुरक्षा से जुड़े इसके बहुत से बाहरी पहलुओं पर भी काफी कुछ निर्भर है। श्री प्रभु ने कहा कि रेल हमेशा से असामाजिक तत्वों के लिए एक आसान लक्ष्य रही है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी हमले की समस्या अंतर्राष्ट्रीय है इसके अलावा अन्य बहुत से मुद्दें हैं जिनका समाधान करने के लिए बौद्धिक सहभागिता और आपसी सहयोग के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय हल निकालने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस समस्या को हल करने के मामले में सुरक्षा कार्मिकों का प्रशिक्षण और सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों को साझा करना काफी प्रभावी होगा और यह वैश्विक सहयोगात्मक प्रयास इस मामले में सहायक सिद्ध होंगे। श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि भारतीय रेल राज्य सरकारों के साथ सुरक्षा गठन के मामले में अपने यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करने के प्रति वचनबद्ध है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में रेल बोर्ड के अध्यक्ष श्री ए.के.मित्तल ने कहा कि खतरे और जोखिम जैसे आकलनों के लिए भारतीय रेल ने प्रमुख चिन्हित स्टेशनों पर सुरक्षा प्रबंधन के लिए समेकित सुरक्षा प्रणाली स्थापित की है। उन्होंने कहा कि रेलवे ने रेल परिसरों में अंजान व्यक्तियों और अंजानी चीजों से होने वाले खतरे के बारे में संदेश देने के लिए व्यापक सार्वजनिक जागरूकता अभियानों का भी शुभारंभ किया है। उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस के सुरक्षा प्रतिष्ठानों और केन्द्रीय गुप्तचर एजेंसियों के बीच नियमित समन्वय बैठकों का आयोजन होता है। भारतीय रेल ने आरपीएफ और राज्य पुलिस के बीच जिम्मेदारी को सांझा करते हुए रेलों की सुरक्षा के लिए एक प्रणाली विकसित की है। यूआईसी विश्व सुरक्षा सम्मेलन के लिए विषयों को विचारों के आदान-प्रदान के आधार पर तैयार किया गया है ताकि प्रतिनिधि अपनी प्रणालियों में इन्हें कार्यान्वित करने के लिए इनकी जानकारी ले सकें।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री के अपर प्रधान सचिव डॉ. पी.के.मिश्र ने रेलवे में संकट प्रबंधन और आपदाओं से निपटने पर जोर दिया। उन्होंने 4 प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों- योकोहामा 1994 – सुरक्षित विश्व के लिए एक कार्ययोजना, कार्य के लिए हियोगो प्रारूप – 2005 – राष्ट्रों और समुदायों के बीच ललीचेपन का निर्माण, सेन्दाई कार्यरूप 2015 – सक्रिय आपदा जोखिम को घटाना, पर अपने विचार व्यक्त किए।
अपने स्वागत संबोधन में रेल सुरक्षा बल के महानिदेशक श्री राजीव रंजन वर्मा ने कहा कि यूआईसी सुरक्षा मंच के माध्यम से सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणालियों, उपयुक्त मॉड्यूलों को विकसित करने, बुनियादी ढांचे, सुरक्षा और तकनीकी नवाचार पर खास जोर दिया जाएगा। उन्होंने विश्वास दिलाया कि हमें स्मार्ट शहरों और स्मार्ट रेलवे सिस्टम के लिए कार्य करना चाहिए जो अनुकूल और विविधता से परिपूर्ण हो।