नई दिल्ली: महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी ने बच्चों को जन्म देने के लिए गर्भवती महिलाओं को सी-सेक्शन सर्जरी के लिए मजबूर करने की अस्पतालों की बढ़ती प्रवृत्ति के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि सी-सेक्शन सर्जरी सामान्य रूप से कुल डिलिवरी की 10 से 15 प्रतिशत होनी चाहिए। हालांकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण परिवार-4 रिपोर्टों में इस प्रतिशतता को बहुत अधिक बताया गया है। तमिलनाडु में यह प्रतिशतता 34 प्रतिशत और तेलंगाना में 58 प्रतिशत पायी गयी है। निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में यह स्थिति चिंताजनक रूप से बहुत अधिक है। तेलंगाना में, निजी अस्पतालों में सी-सेक्शन डिलिवरी करवाने वाली महिलाओं की संख्या कुल डिलिवरी की 75 प्रतिशत है।
श्रीमती मेनका संजय गांधी को आज www.change.org के माध्यम से सुबर्णा घोष की एक याचिका प्राप्त हुई है। इस याचिका पर एक लाख से अधिक महिलाओं ने हस्ताक्षर कर रखे हैं।
श्रीमती मेनका संजय गांधी ने इस मामले को स्वास्थ्य मंत्री श्री जे पी नड्डा के साथ उठाया है। उन्होंने सुझाव दिया गया है कि इस खतरनाक प्रवृत्ति में कटौती करने का एक तरीका यह है कि सभी अस्पतालों और नर्सिंग होम में होने वाले सामान्य प्रसवों की तुलना में सी-सेक्शन सर्जरियों के संबंध में जानकारी का सार्वजनिक खुलासा करने का आदेश दिया जाए है। उन्होने यह भी सुझाव दिया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से चिकित्सीय समुदाय के साथ भावी माताओं के साथ-साथ मिलकर एक अभियान चला सकता है।
स्वास्थ्य मंत्री को भेजे अपने संदेश में श्रीमती मेनका संजय गांधी ने इस ओर इशारा किया है कि सी-सेक्शन सर्जरी से न केवल माता के स्वास्थ्य पर बल्कि प्रसव के बाद उसके लगातार काम करने की क्षमता पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। अधिकांश मामलों में सी-सेक्शन सर्जरी ने महिला के प्रजनन स्वास्थ्य को भी प्रभावित किया है।
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