नई दिल्ली: महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी ने सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर राज्यों में चल रहीं बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) के कार्यों पर अपना रोष और असंतोष व्यक्त किया है।
मंत्री महोदया ने राज्यों में बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) में लंबित बच्चों को कानूनी रूप से मुक्त करने की लंबित मामलों की समग्र समीक्षा की। इस दौरान पाया गया कि पूरे देश में 1811 मामलें लंबित हैं। इनमें सबसे अधिक महाराष्ट्र में 439, मध्य प्रदेश में 151, तमिलनाडु में 132, पश्चिम बंगाल में 176, उत्तर प्रदेश में 126 और दिल्ली में 107 मामले लंबित पाए गए। श्रीमती गांधी ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि इनमें से आधे से अधिक मामले 4 महीनों से लंबित हैं जबकि 470 मामले एक साल से अधिक समय से।
श्रीमती गांधी ने व्यक्तिगत रूप से राज्यों के महिला एवं बाल विकास मंत्रियों से बात की और उन्हें सीडब्ल्यूसी से इन मामलों को एक पखवाड़े के भीतर निस्तारण कराने को कहा। स्थिति की समीक्षा करते हुए मंत्री महोदया ने कहा कि वास्तव में यह काम सीडब्ल्यूसी “नो डिले मोड” के तहत किया जाना चाहिए ताकि कानूनी रूप से मुक्त घोषित बच्चों को सीएआरए द्वारा चलाई जा रही गोद लेने की प्रक्रिया के जरिये परिवारों में शामिल कराया जा सके। सीएआरए सिस्टम केयरिंग्स प्रणाली के तहत स्वचालित तरीके से तेजी से काम कर रहा है।
सीएआरए प्रणाली के तहत बच्चों को गोद लेने के लिए उपलब्ध कराने के पहले उन्हें सीडब्ल्यूसी को कानूनी रूप से गोद लेने के लिए मुक्त करने की घोषणा करनी होती है। सीडब्ल्यूसी देश के हर जिले में गठित की गई हैं। इन समितियों का काम बच्चों की सुरक्षा के साथ गोद लेने के मामलों को भी देखना है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा गोद लेने की संशोधित दिशा-निर्देशों को किशोर न्याय अधिनियम के तहत अधिसूचित किया गया है। इस अधिसूचना में बच्चों को परिवार में शामिल कराने के लिए सभी जरूरी कदम पूरे करने के लिए सख्त समय सीमा तय की गई है। इस समय सीमा को सीडब्ल्यूसी सहित गोद लेने की प्रक्रिया में शामिल राज्य दत्तक ग्रहण एजेंसी, बाल देखभाल संस्थान, न्यायालय एवं अन्य सभी एजेंसियों द्वारा पालन करने की बात अधिसूचना में कही गई है।
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