नई दिल्लीः एमएसएमई मंत्रालय और आयुष मंत्रालय ने नई दिल्ली में आयुष और एमएसएमई मंत्रियों की उपस्थिति में एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। यह एमओयू देश में आयुष उद्यमों के विकास के लिए दोनों मंत्रालयों के संस्थानों और योजनाओं के जरिए सामंजस्य सुनिश्चित करेगा। इस साझेदारी का उद्देश्य ‘समग्र स्वास्थ्य सेवा’ में भारत को एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है।
आयुष तेजी से बढ़ता क्षेत्र है, जिसमें निवारक, उपचारात्मक और पुनर्वास स्वास्थ्य के लिए असीम संभावनाएं हैं और यह भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा रहा है। आयुष उद्योग में आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी दवा निर्माण इकाइयों के साथ-साथ सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के स्वास्थ्य सेवा डिलीवरी केंद्र शामिल हैं और इनमें मुख्यत: एमएसएमई का प्रभुत्व है, जिन्हें विकास के साथ-साथ आयुष की बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए उद्यमिता विकास, क्षमता निर्माण और वित्तीय सहायता के क्षेत्र में मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
आयुष क्षेत्र का घरेलू बाजार पिछले दशक के दौरान सतत रूप से आगे बढ़ा है। इसके अलावा, विश्व भर में पारंपरिक दवाओं की स्वीकार्यता भी सुनिश्चित हुई है। अत: आयुष उत्पादों जैसे कि पूरक खाद्य पदार्थों, पौष्टिक-औषधीय पदार्थों और हर्बल अर्क के निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इससे लाभान्वित होने के लिए एमएसएमई और आयुष मंत्रालय इस क्षेत्र में उद्यमों को विकसित करने के लिए आपस में हाथ मिलाने पर सहमत हो गए हैं। दोनों मंत्रालय आयुष क्षेत्र में उद्यमिता के विकास के लिए क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित करेंगे और एमएसएमई मंत्रालय सिडबी से लाभों की प्राप्ति हेतु आयुष उद्योगों के लिए नई योजनाएं तैयार करेगा।