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वायु प्रदूषण कम करने के लिए बहुत कुछ किया जा चुका है लेकिन इस पर अधिक ध्यान केन्‍द्रित करने और सामूहिक कार्य की जरूरत: प्रकाश जावडेकर

देश-विदेश

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने आज वायु प्रदूषण की स्थिति पर एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। वायु प्रदूषण पिछले कुछ वर्षों से उत्तर भारत में विशेष रूप से दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में सर्दियों के मौसम में पर्यावरण की चिंता का विषय बना हुआ है। पांच राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब ने बैठक में भाग लिया।

90 मिनट से अधिक समय तक चली बैठक के बाद एक प्रेस वार्ता में, श्री जावडेकर ने कहा, यह बैठक इस मुद्दे का हल निकालने के संबंध में लाभदायक रही और केन्‍द्र और राज्य ने काम किया है और वायु प्रदूषण से निपटने के उपायों को लागू करने के लिए मिलकर काम करेंगे, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

पराली जलाने के कारण होने वाले वायु प्रदूषण का मुकाबला करने के प्रयास के बारे में पर्यावरण मंत्री ने बताया कि केन्‍द्र पराली के प्रबंधन के लिए राज्‍यों को 1700 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की है। वर्तमान में सहकारी समितियों को 80% सब्सिडी और पराली जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए मशीनरी पर लोगों को 50% सब्सिडी दी जा रही है।

पर्यावरण मंत्री ने कहा कि उत्‍तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान राज्यों में हॉटस्पॉट की पहचान की गई है और राज्य सरकारों को इन पर अधिक ध्यान देने का निर्देश दिया गया है। राज्य की कार्ययोजना बनाई गई है और उस पर चर्चा की गई है जिसे लागू किया जाएगा। केन्‍द्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि दिल्ली सरकार को दिल्ली में 13 हॉटस्पॉट पर अधिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है ताकि राजधानी में वायु प्रदूषण को कम किया जा सके। इस वर्ष उचित कार्रवाई करने के लिए दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में सीपीसीबी की 50 टीमों को तैनात किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि पूसा माइक्रोबियल डिकम्पोजर कैप्सूल का परीक्षण दिल्ली एनसीआर में चल रहा है और उत्तर प्रदेश में इस साल 10,000 हेक्टेयर क्षेत्र में इस तकनीक का उपयोग किया जाएगा और दिल्ली में 800 हेक्टेयर के लिए इसका उपयोग किया जाएगा जैसा कि बैठक के दौरान इन राज्‍यों के पर्यावरण मंत्रियों द्वारा सूचित किया गया है। पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने वायु प्रदूषण और इसके नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए बायो डीकम्‍पोजर, बायो सीएनजी और बायो पावर का उपयोग करने के महत्व को भी बताया।

श्री जावडेकर ने इस बात पर जोर दिया कि पराली जलाने के अलावा वायु प्रदूषण में योगदान करने वाले अनेक अन्य कारक हैं जिसमें निर्माण और इमारत का मलबा, खराब अपशिष्ट प्रबंधन, कच्‍ची सड़कें और धूल प्रबंधन, बायो मास को जलाना आदि शामिल हैं। आज, राज्यों ने प्रदूषण से मुकाबला करने की अपनी योजना साझा की है और केन्‍द्र ने इससे निपटने के लिए और कदम उठाने का सुझाव दिया है।

मंत्री ने बताया कि केन्‍द्र द्वारा अनेक उपाय किए गए हैं जैसे कि बीएस VI मानदंड शुरू किए गए हैं; बदरपुर के बिजली संयंत्रों को बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्वी और पश्चिमी पेरीफेरल एक्सप्रेसवे ने दिल्ली में वाहनों के वायु प्रदूषण को कम करने में बड़े पैमाने पर मदद की है और लगभग 60,000 वाहनों को दिल्ली से डायवर्ट किया गया है, जो पहले दिल्ली से गुजरते थे।

अंत में पर्यावरण मंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों के साथ-साथ जनता ने भी वायु प्रदूषण को कम करने में योगदान करने के लिए रचनात्मक उपाय किए हैं और बताया कि प्रदूषण के स्तर की निगरानी के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सभी राज्यों के साथ दैनिक आधार पर सक्रिय रूप से काम करेगा।

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