नई दिल्ली: राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के मुख्य महाप्रबंधक एसके बंसल ने दावा किया कि देश में नाबार्ड ही एक ऐसी संस्था है, जिसकी गैर निष्पादन अस्तियां (एनपीए) शून्य हैं। बंसल ने एक साक्षात्कार में बताया कि नाबार्ड का एनपीए शून्य है। देश में नाबार्ड ही एक ऐसी संस्था है, जिसका एनपीए शून्य है।
उन्होंने कहा कि नाबार्ड वर्ष 2018-19 में मध्यप्रदेश सरकार को 21,000 करोड़ रुपए देगा, जिसमें से 4,000 करोड़ रुपए सिंचाई योजनाओं, सड़क और ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत संरचना के लिए, 3000 करोड़ रुपए सिविल सप्लाइज कॉरपोरेशन और मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित (मार्कफेड), फसली ऋण देने के लिए 10,000 करोड़ रुपए तथा 4,000 करोड़ रुपए कृषि क्षेत्र में निवेश हेतु कॉमर्शियल और कोऑपरेटिब बैंक को देगा।
बंसल ने बताया कि नाबार्ड मध्यप्रदेश सरकार को 5 प्रतिशत की दर पर सड़कें, पुल, सिंचाई आदि से संबंधित कार्यों के लिए पैसा देता है। पिछले 3 वर्ष से 2,000 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष इसके लिए दिए जा रहे हैं। वर्ष 2018-19 में यह राशि दोगुनी करने की योजना है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नाबार्ड गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को समर्थन देने के लिए नहीं बना है। यह केवल किसानों के लिए बना है। उन्होंने कहा कि जहां तक कृषि और ग्रामीण योजनाओं का सवाल है, ये न कभी खत्म हुई है और न होगी। हमारी सारी योजनाएं कृषि आधारित है।
बंसल ने बताया कि प्रदेश में पिछले 10-15 वर्षों में सिंचाई के साधन इतने हो गए हैं कि अब उत्पादन है, उत्पादकता है लेकिन उत्पादन का सही मूल्य किसानों को नहीं मिल पा रहा है। सही मूल्य के लिए किसान एकत्रित हो जाएं और अपने कृषि उत्पादन को इकठ्ठा कर बेचे तो बाजार से अधिक मूल्य मिलेगा और इससे उनकी आय ज्यादा होगी।