देहरादून: गुरूवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत ने स्कूली बच्चों को सामाजिक कुरीतियों व लैंगिक भेदभाव का विरोध करने के लिए शपथ दिलाई। राज्य महिला आयोग व विद्यालयी शिक्षा विभाग द्वारा संयुक्त रूप से गुरूवार को पूरे प्रदेश में 4 लाख स्कूली बच्चों को कन्या भू्रण हत्या, लैंगिक भेदभाव, दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी कुरीतियों का विरोध करने के लिए शपथ दिलाई गई है।
नालापानी स्थित राजकीय इंटर कालेज में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि महिलाओं के साथ भेदभाव राष्ट्रीय शर्म है। हमारे शास्त्रों में नारी को देवी के तौर पर पूजा गया है। उŸाराखण्ड के हर धार पर देवी का मंदिर है। फिर भी हम अपनी मां, बहिन व पत्नी का सम्मान नहीं करते हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती सरोजनी कैंत्यूरा को अनोखी पहल के लिए बधाई देते हुए विश्वास व्यक्त किया कि सामाजिक परिवर्तन की मुहिम से स्कूली बच्चों व अध्यापकों को जोड़ने से बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक दायित्वों को निभाना भी अच्छी शिक्षा का ही हिस्सा है। उन्होंने बच्चों से कहा कि आज जो शपथ ली है उसे निभाने के लिए दृढ़ संकल्प लें। बिना मेहनत व संकल्प के जीवन में बड़ा काम नहीं कर सकते हैं। उन्होंने शिक्षकों का भी आह्वान किया कि रोज कुछ समय निकालकर बच्चों की काउंसलिंग करें व प्रोत्सहित करें तो इसके बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे। अभिभावकों का भी दायित्व है कि व्यक्तिगत तौर पर अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दें। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि यदि दुनिया में हो रहे परिवर्तनों की जानकारी लेनी हो तो स्कूली किताबों का अध्ययन सबसे बेहतर तरीका है। कार्यक्रम में स्कूल के प्राचार्य के मंच से नीचे होने पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने उन्हें आग्रहपूर्वक मंच पर बुलाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूल के प्राचार्य सबसे सम्मानित होते हैं। उन पर सैंकड़ों बच्चों के जीवन को संवारने का दायित्व होता है।