नई दिल्ली: केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने नमामि गंगे कार्यक्रम में तेजी लाने के लिए सचिवों की एक समिति का गठन किया है। गंगा पर अधिकार प्राप्त कार्यदल की आज नई दिल्ली में हुई पहली बैठक की अध्यक्षता करते हुए मंत्री महोदया ने कहा कि जल संसाधन मंत्रालय के सचिव के अलावा पर्यावरण और वन तथा पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के सचिव सदस्य होंगे। यह समिति हर पखवाड़े में कम से कम एक बार जरूर बैठक करेगी। नमामि गंगे कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए मंत्री महोदया ने कहा कि हमें पहले पुराने और अधूरे पड़े कार्यों को पूरा करना चाहिए और नई गतिविधियों को इनसे अलग रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आगामी परीक्षा सत्र के बाद गंगा किनारे स्थित विद्यालयों और महाविद्यालयों के छात्र, छात्राओं को बड़े पैमाने पर नमामि गंगे कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा। नमामि गंगे कार्यक्रम की विभिन्न परियोजनाओं के लिए राज्यों से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने में होने वाली देरी पर असंतोष व्यक्त करते हुए मंत्री महोदया ने विशेष रूप से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश का उल्लेख किया और कहा कि हमें इस मुद्दे पर विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने विभिन्न राज्यों से अनुरोध किया कि वे अपने यहां राज्य और जिला स्तरीय गंगा समितियों का जल्द से जल्द गठन करे।
नमामि गंगे कार्यक्रम की अब तक की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए मंत्री महोदया ने बताया कि गंगा नदी के किनारे चिन्हित 4291 गांवों में से अब तक 2789 गांव को खुले में शौच मुक्त गांव के रूप में घोषित कर दिया गया है। इन क्षेत्रों के घरों में अब तक 8,96,415 शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है जो कि लक्ष्य का 54 प्रतिशत है।
मंत्री महोदया ने बताया कि गंगा किनारे मंजूर किए गए 182 घाटों और 118 शवदाह गृहों में से 50 घाटों और 15 शवदाह गृहों का कार्य शुरू हो गया है। बाकि के घाटों और शवदाह गृहों का कार्य तीन महीने के अंदर शुरू हो जाएगा। सुश्री भारती ने यह भी बताया कि घरों में बनाए जाने वाले लगभग 15 लाख शौचालयों में से 10 लाख शौचालयों का निर्माण इस वर्ष मार्च तक पूरा हो जाएगा। 25 चुनिंदा गांवों में अगले तीन महीनों के अंदर तरल और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का काम शुरू हो जाएगा। सुश्री भारती ने यह भी बताया कि गंगा किनारे के सभी पांचों राज्यों में आगामी मानसून के दौरान वृक्षारोपण का कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा।
बैठक में जल संसाधन मंत्रालय के सचिव, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के सचिव तथा विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।