केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर और ऑस्ट्रेलिया के कृषि, सूखा एवं आपातकालीन प्रबंधन मंत्री श्री डेविड लिटिलप्राउड के बीच 1 जून, 2021 को एक वर्चुअल बैठक आयोजित की गई। बैठक के दौरान यह स्वीकार किया गया कि पिछले पांच वर्षों के दौरान दोनों के बीच लगातार सर्वोच्च स्तर पर तालमेल होने के कारण द्विपक्षीय संबंधों के कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
दोनों मंत्रियों ने 4 जून 2020 को भारत और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों द्वारा एक शिखर सम्मेलन के दौरान घोषित व्यापक रणनीतिक साझेदारी के तहत कृषि क्षेत्र से संबंधित सहयोग पर आगे की कार्रवाई के लिए मुलाकात की। भारत-ऑस्ट्रेलिया अनाज साझेदारी इसका एक महत्वपूर्ण समावेश था जिसका उद्देश्य कटाई के बाद प्रबंधन में ऑस्ट्रेलिया की विशेषज्ञता का उपयोग करना है ताकि ग्रामीण अनाज भंडारण एवं आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करते हुए अनाज के नुकसान और उसकी बर्बादी को कम किया जा सके। श्री तोमर ने दोनों देशों के बीच सहयोग के इस क्षेत्र में हो रही प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और बताया कि भारत की ओर से राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान नोडल संगठन होगा।
दोनों मंत्रियों ने संबंधित कृषि उत्पादों को बाजार तक पहुंच प्रदान करने की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और एक-दूसरे के साथ तकनीकी जानकारी साझा की। ऑस्ट्रेलिया ने हाल में भारतीय अनार के निर्यात के लिए बाजार तक पहुंच सुनिश्चित की है। कैनबरा में भारतीय उच्चायोग के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलियाई बाजारों में भारतीय आम और अनार की अधिक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक संयुक्त रणनीति भी तैयार की जाएगी। ऑस्ट्रेलियाई मंत्री ने भिंडी और अनार दानों के लिए बाजार पहुंच सुनिश्चित करने संबंधी भारत के अनुरोधों पर तेजी से कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
ऑस्ट्रेलिया के मंत्री द्वारा उठाए गए एफएओ एवं जी20 जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच घनिष्ठ सहयोग के मुद्दे पर श्री तोमर ने कहा कि वह समान विचारधारा वाले देशों के बीच करीबी बातचीत की उम्मीद करते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि जलवायु परिवर्तन एक ऐसा क्षेत्र है जहां भारत और ऑस्ट्रेलिया के लिए साथ मिलकर काम करने का बहुत अच्छा अवसर है क्योंकि दोनों देशों की समान प्रतिबद्धताएं हैं। उन्होंने नेशनल इनोवेशन फॉर क्लाइमेट रेजिलिएंट एग्रीकल्चर के प्रमुख कार्यक्रम का उल्लेख किया और कहा कि ऑस्ट्रेलिया के अनुसंधान संगठनों के साथ सहयोग स्थापित किया जा सकता है।