देहरादून: नारी निकेतन में भर्ती करते समय ही संवासिनियों के हेल्थ कार्ड बना लिए जाएं। गम्भीर स्थिति वाली संवासिनियों को सामान्य संवासिनियों से
पृथक रखा जाए। देहरादून के नारी निकेतन में स्थित आब्जरवेशन होम को दूसरी जगह पर शिफ्ट किया जाए ताकि संवासिनियों के लिए अधिक स्थान उपलब्ध हो सके। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंगलवार को बीजापुर हाउस में शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ प्रदेश में स्थित नारी निकेतन, अनाथालय, किशोर गृहों की स्थिति पर गहनता से समीक्षा करते हुए उक्त निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रदेश में नारी निकेतनों, अनाथलयों, किशोर गृहों की पूर्ण समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है। इनमें व्याप्त कमियों को पहचान कर आवश्यक सुधार किए जाएं। हर वर्ष संवासिनियों की मृत्यु होती है। एडीएम देहरादून की अध्यक्षता में गठित जांच समिति इन मौतों के कारणों की जांच करें और आवश्यक सुझावों सहित अपनी रिपोर्ट डीएम देहरादून को सौंपे।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि नारी निकेतनों की व्यवस्था में तत्काल सुधार करने किए जाने की जरूरत है। सामान्य संवासिनियों को मानसिक रूप से बीमार संवासिनियों से अलग रखा जाए। ऐसे मानसिक विक्षिप्त जो ईलाज के पश्चात ठीक हो जाते हैं परंतु जिनके परिवारजन उन्हें ले जाने को तैयार नहीं होते हैं, के लिए आश्रय स्थल बनाया जाए। इसके लिए सेलाकुई में जगह देखी जाए। समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत संचालित अनाथालयों में शिक्षा, मेडिकल, ट्रेनिंग में गुणवŸाा सुनिश्चित की जाए। इसमें अच्छा काम करने वाले संस्थानों का सहयोग लिया जा सकता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि नारी निकेतन में संवासिनियों के लिए पोष्टिक भोजन व स्वच्छ पानी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। भोजन के लिए नारी निकेतन को दी जाने वाली राशि में बढ़ोतरी की जाए। वर्तमान में प्रति संवासिनी 1600 रूपए प्रति माह दिया जा रहा है, इसे बढ़ाकर 80 से 100 रूपए प्रति दिन किया जाए। रहने के लिए कमरे पर्याप्त रोशनीयुक्त, हवादार व साफ सुथरे होने चाहिए। तात्कालिक व्यवस्था के तौर पर एक चिकित्सक प्रतिदिन नारी निकेतन में जाकर संवासिनियों के स्वासथ्य की जांच करें। और दक्ष नर्स 24 घंटे वहां तैनात रहे। प्रत्येक संवासिनी का व्यक्तिगत डाईट चार्ट बनाया जाए। बताया गया कि अस्पताल में वर्तमान में भर्ती संवासिनियों की स्थित सामान्य है।