देहरादून: नरोपा फैलोशिप के तत्वावधान में फैलोज़ ने हिमालय क्षेत्र में स्थायी विकास एवं संरक्षण् के मॉडलों का व्यापक अध्ययन किया है।
यह अध्ययन विशिष्टीकृत ‘हिमालयी स्थायी विकास एवं संरक्षण’ पाठ्यक्रम का एक हिस्सा था, जिसके तहत फैलोज़ को अशेका ट्रस्ट फॉर रीसर्च इन इकोलोजी एण्ड एनवायरनमेन्ट के नेतृत्व में हिमालय की जैव विविधता को समझने का मौका मिला। पर्यावरण संरक्षण एवं स्थायी विकास के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण को बढ़ावा देना इसका मुख्य उद्देश्य है, ताकि नीति निर्माता एवं समाज इस ज्ञान का इस्तेमाल कर सकें और पर्यावरण लीडरों की अगली पीढ़ी को प्रशिक्षित किया जा सके। इस पाठ्यक्रम के तहत फैलोज़ को अपने चारों ओर की जैव विवधता को समझने, दस्तावेजों के विकास के तरीकों को जानने तथा इको-टूरिज़्म प्रयोजन के लिए इस जानकारी का इस्तेमल करने का अवसर मिला।
पाठ्यक्रम के तहत नरोपा फैलोज़ को ऐसे सरल नागरिक विज्ञान प्रोटोकॉल्स से परिचित कराया गया, जो हिमालयी प्रणाली को समझने में मदद करते हैं, उन्हें प्राकृतिक वनस्पति विज्ञानी या इतिहासकार के रूप में लद्दाख क्षेत्र को समझने तथा इको-टूरिज़्म एवं सांस्कृतिक पर्यटन में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उन्हें डेटा संग्रहण, संकलन की तकनीकें समझाई गईं, मोबाइल प्लेटफॉर्म जैसे ओपन डेटा किट के इस्तेमाल के तरीकों पर जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि संग्रहित डेटा का इस्तेमाल किस तरह (गूगल टूल्स के ज़रिए) वर्चुअल टूर के निर्माण के लिए किया जा सकता है और कैसे इको गाईड्स क्षेत्र के प्राकृतिक इतिहास का विवरण दे सकते हैं।
जलवायु नीति एवं नव्यकरणी ऊर्जा पर आधारित पाठ्यक्रमों ने छात्रों को जलवायु परिवर्तन पर अन्तर्राष्ट्रीय चर्चाओं के अवलोकन का अवसर प्रदान किया, जो नव्यकरणी ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न उर्जा के अनुपात को बढ़ाकर राष्ट्रीय स्तर पर बदलाव ला सकता है। उन्हें नव्यकरणी ऊर्जा क्षेत्र की मौजूदा स्थिति से परिचित कराया गया तथा पर्यावरण से जुड़े कम ज्ञात मुद्दों पर जानकारी दी गई। इसके तहत नरोपा फैलोज़ को अन्तराष्ट्रीय जलवायु वार्ताओं तथा भारत की अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से जुड़ी नीतियों को समझने का अवसर मिला।
फैलोज़ गुफुक्स, गया गांव और लद्दाख रीन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेन्ट एजेन्सी सोलर प्लांट के दौरे पर भी गए। इस दौरे के दौरान उन्हें इकोसिस्टम सर्विसेज़ के क्षेत्र में जानकारी हासिल करने तथा पर्यावरण एवं कल्याण कार्यों के मूल्यांकन का अवसर मिला।