राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने महिलाओं से संबंधित विभिन्न कानूनों के तहत उपलब्ध कराए गए अधिकारों और उपायों के बारे में व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करने के उद्देश्य सेराष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के साथ मिलकर महिलाओं के लिए एक अखिल भारतीय विधिक जागरूकता कार्यक्रम “विधिक जागरूकता के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण” लॉन्च किया है। इससे उन्हें वास्तविक जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया जा सकेगा।
वाराणसी, उत्तर प्रदेश में आज उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश व एनएएलएसए चेयरमैन माननीय न्यायाधीश यू.यू. ललित और राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन सुश्री रेखा शर्मा ने इस कार्यक्रम को लॉन्च किया। इस अवसर पर उच्चतम न्यायालय के माननीय न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
अपने संबोधन में, न्यायाधीश यू.यू. ललित ने महिलाओं के सशक्तिकरण को प्रोत्साहन देने में विधिक जागरूकता कार्यक्रमों के महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “महिलाओं का सशक्तिकरण ऐसे जागरूकता कार्यक्रमों से आएगा और मुझे यह कहने पर काफी गर्व है कि राष्ट्रीय महिला आयोग के साथ मिलकर एनएएलएसए महिलाओं के लिए इस जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।” न्यायाधीश ललित ने कहा, “शुरुआत में इन कार्यक्रमों की प्रकृति ऐसी रही है कि हम शिक्षकों को प्रशिक्षण दे रहे हैं, जो बदले में समाज के विभिन्न तबकों की महिलाओं को प्रशिक्षण देंगे और उनके विधिक अधिकारों के बारे में उन्हें जागरूक बनाएंगे।”
इस अवसर पर अपने संबोधन में, एनसीडब्ल्यू की चेयरपर्सन सुश्री रेखा शर्मा ने कहा, “समाज का एक बड़ा तबका अभी तक उन्हें उपलब्ध सहायता के रूपों के बारे में अनजान है और हम एक समय में एक कदम या इस मामले में देश के सभी जिलों को कवर करते हुए एक ही समय में शिविर लगाकर स्थिति को सुधारना चाहते हैं।” उन्होंने कहा कि महिलाओं को संविधान के तहत मिले अधिकारों और हालात ठीक करने की प्रक्रिया या न्याय मांगने की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है, अगर उनका उल्लंघन किया जाता है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश भर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नियमित सत्रों के माध्यम से कवर करना है,जिससे महिलाओं को उनकी शिकायतों के समाधान के लिए उपलब्ध न्याय प्रणाली की विभिन्न मशीनरी के बारे में अवगत कराया जा सके। परियोजना महिलाओं और लड़कियों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक बनाएगी, जो भारतीय दंड संहिता सहित विभिन्न कानूनों के तहत उपलब्ध कराए गए हैं। यह परियोजना उन्हें शिकायतों के समाधान के लिए उपलब्ध विभिन्न चैनलों यानी पुलिस, कार्यपालिका और न्यायपालिका से संपर्क और इस्तेमाल की प्रक्रिया के बारे में भी जागरूक बनाएगी।
इससे पहले आयोग ने 15 अगस्त, 2020 को जमीनी स्तर पर एनएएलएसए के साथ मिलकर महिलाओं के लिए एक पायलट परियोजना ‘विधिक जागरूकता कार्यक्रम’ लॉन्च किया था। पायलट परियोजना में 8 राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और असम के सभी जिलों को शामिल किया गया था।