नई दिल्ली: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने आपदा अनुसंधान एवं प्रतिरोधक क्षमता निर्माण संबंधी केंद्र की स्थापना के लिए सहमति पत्र पर कल यहां हस्ताक्षर किए। एनआईडीएम के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर संतोष कुमार और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एस.के. सोपोरी ने गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू की उपस्थिति में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। श्री रिजिजू ने कहा कि इन दोनों प्रतिष्ठित संस्थानों के बीच सहयोग से छात्रों को अनुसंधान के एक नये उभरते क्षेत्र में शुरूआत करने का अवसर मिलेगा तथा जिले से शीर्ष स्तरों तक प्रशासन में पदों की प्राप्ति होगी। श्री रिजिजू ने कहा कि इसमें आपदा प्रबंधन व्यवसायियों की नई पीढ़ी तैयार करने की क्षमता होगी।
इस सहमति पत्र के द्वारा एनआईडीएम, भारत में पहली बार आपदा प्रबंधन में एम. फिल और पीएचडी कार्यक्रम प्रारंभ करने के लिए जेएनयू को तीन वर्ष की अवधि तक अर्थात वर्ष 2015-16 से 2017-18 तक 4.14 करोड़ रुपए (1.38 करोड़ रुपए प्रति वर्ष की दर पर) की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगा।
इस सहमति पत्र का उद्देश्य अंतर्विषयक संरचना के भीतर अनुसंधान, शिक्षण, क्षमता और मानव शक्ति विकास प्रारंभ करना है, जिससे विज्ञान को इस अंदाज से समुदायों के समीप लाया जाएगा कि उसे नाजुक पारिस्थितिकी तंत्रों में समुदायों के लिए उपयोगी और समझ में आने योग्य बनाया जा सके। इस सहमति पत्र के तहत होने वाली गतिविधियां बेहतर तैयारी, कानूनी और प्रशासनिक सुधारों, जल्द पता लगाने की क्षमता और चेतावनी प्रणालियों, प्रशासनिक व्यवस्थाओं में मूल बुद्धिमत्ता का समावेश, विभिन्न प्रकार की असुरक्षाओं को समझना, रिमोर्ट सेंसिंग और जीआईएस आधारित शमन के प्रयासों और स्थानीय प्रशासन की पर्यावरणीय क्षमता में वृद्धि के माध्यम से सामुदायिक प्रतिरोध क्षमता का निर्माण किया जा सकेगा।
शैक्षिक रूप से इस कार्यक्रम की सहयोगात्मक प्रकृति से बुनियादी स्तरों पर स्थानीय समुदायों और संसाधनों के संरक्षण पर ध्यान केन्द्रित किया जा सकेगा। इस सहयोग के साथ एनआईडीएम सम-विश्वविद्यालय बनने के लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में कदम बढ़ाएगा।