26 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

21वीं सदी के ज्ञान का दस्तावेज है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: धर्मेंद्र प्रधान

देश-विदेश

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज पुणे में सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के विषय पर आयोजित गोलमेज सम्मेलन में शिरकत की।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020; 21वीं सदी के ज्ञान का दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देना और शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाना है। उन्होंने कहा कि भारत ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का केंद्र बन गया है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में हमारा योगदान महत्वपूर्ण है।

मंत्री ने जोर देकर कहा कि नई दुनिया में भारत के लिए एक सही जगह सुनिश्चित करने में हमारी अकादमिक बिरादरी की बड़ी भूमिका है। प्रौद्योगिकी और डिजिटल अर्थव्यवस्था की सर्वव्यापकता ने दुनिया को एक छोटा सा गांव बना दिया है। आज हम एक उभरती हुई नई वैश्विक व्यवस्था के चौराहे पर हैं।

हम प्रौद्योगिकी और स्वचालन के साथ कितनी अच्छी तरह तालमेल बिठाते हैं, नए कौशल हासिल करते हैं, इससे कार्य के भविष्य के साथ-साथ उभरती नई वैश्विक व्यवस्था में नेतृत्व की भूमिका को लेकर हमारी तत्परता को परिभाषित होगी। उन्होंने कहा कि यहां हम सबके लिए, विशेष रूप से हमारे अकादमिक समुदाय के लिए काफी अवसर है।

श्री प्रधान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अतीत में हमारी शिक्षा प्रणाली कठोर रही है। उन्होंने कहा कि बहु-विषयक और समग्र शिक्षा एक चुनौती थी, लेकिन एनईपी 2020 ने हमारे शिक्षण और अध्ययन को अधिक जीवंत, समावेशी, लचीला और बहु-विषयक बनाना संभव बना दिया है।

श्री प्रधान ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में हम अपने ‘अधिकारों’ के प्रति दृढ़ और जागरूक रहे हैं और अब ‘कर्तव्यों’ के पथ पर चलने का समय है। उन्होंने कहा कि इसे घर तक पहुंचाने और कर्तव्यों को निभाने एवं जिम्मेदारियों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करने में हमारे शिक्षकों से बेहतर कोई नहीं हो सकता।

उन्होंने आगे कहा कि ऑनलाइन शिक्षा नई वास्तविकता है और शिक्षण बिरादरी को नई शैक्षणिक गतिशीलता का निर्माण करना चाहिए और गुणवत्तापूर्ण ई-लर्निंग सामग्री विकसित करने के लिए आगे आना चाहिए। ऑनलाइन अध्ययन को सुनिश्चित करने के लिए एसओपी विकसित करना सिर्फ फायदा उठाने वाले बाजार की ताकतों और डेटा साम्राज्यवाद से सुरक्षा तक सीमित नहीं है।

मंत्री ने आग्रह किया कि वैश्विक नागरिक बनाने और एनईपी 2020 के अनुरूप वैश्विक अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए, हमारे शैक्षणिक संस्थानों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि वे ‘भौतिकवादी अपेक्षाओं के साधन’ होने के बजाय ‘ज्ञान और सशक्तिकरण के साधन’ बनें।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More