नई दिल्ली: संस्कृति मंत्रालय में सचिव श्री राघवेन्द्र सिंह ने बताया कि बंगाल की चार प्रसिद्ध हस्तियों गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी पर एक विश्वस्तरीय प्रदर्शनी जल्द ही स्थायी तौर पर कोलकाता के राष्ट्रीय पुस्तकालय में लगाई जाएगी। राष्ट्रीय पुस्तकालय के बेलवेदेरे हाउस की केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग द्वारा कराए जा रहे पुनरूद्धार और आधुनिकीकरण कार्यों की समीक्षा करने के बाद सचिव श्री राघवेन्द्र सिंह ने संतोष जताया और कहा कि आगंतुकों के मनोरंजन के लिए बेलवेदेरे हाउस को रोशन किया जाएगा और इसमें प्रकाश एवं ध्वनि कार्यक्रम भी कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि भवन की समृद्ध विरासत से नई पीढ़ी को अवगत कराने और इसके पुराने गौरव को फिर से हासिल करने के लिए साहित्यिक उत्सव भी कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि स्थायी कला संग्रहालय में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से जुड़ी पेंटिंग, तस्वीरें और विभिन्न मूर्तियां प्रदर्शित की जाएंगी। उन्होंने बताया कि भवन के पुनरूद्धार और सजावट का काम लगभग आठ करोड़ रुपये की लागत से दुर्गपूजा से पहले पूरा हो जाएगा।
श्री राघवेन्द्र सिंह ने बताया कि कोलकाता में जल्द ही एक कलाकार-केंद्र की स्थापना हो जाएगी। उन्होंने कहा कि शहर की ओल्ड करेंसी बिल्डिंग में कोलकाता चैप्टर का राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रालय खोला जाएगा। इमारत में चलने वाले मरम्मत के कामों का जायजा लेने के बाद उन्होंने बताया कि इमारत के सभी खुले स्थानों का इस्तेमाल किया जाएगा। खुले स्थानों को साउंड-प्रूफ बनाने के लिए मोटे शीशों से सील किया जाएगा। स्थायी और चालित वातानुकूलित कला संग्रालय में प्रतिष्ठित चित्रकार रामकिंकर बैज और अन्य चित्रकारों के चित्र लगाए जायेंगे, जो आगंतुकों के अवलोकन के लिए उपलब्ध होंगे। आगंतुकों के मनोरंजन के लिए इमारत के भूतल पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि दुर्गा पूजा के पूर्व 3 करोड़ रुपये की लागत से ओल्ड करेंसी बिल्डिंग को दुरुस्त कर लिया जाएगा।
ओल्ड करेंसी बिल्डिंग तीन मंजिला इमारत है, जिसे 19वीं शताब्दी की शुरूआत (1833 ई.) में निर्मित किया गया था। यह इतालवी शैली की इमारत है, जिसमें वेनेशियन खिड़कियां बनाई गई हैं, जो औपनिवेशिक वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। शुरूआत में यहां पर आगरा बैंक लिमिटेड खोला गया था और बाद में इसे भारतीय रिजर्व बैंक ने इस्तेमाल करना शुरू किया। उस दौरान यहां पर सरकारी कागजी मुद्रा का आदान-प्रदान और उसे जारी करने का काम होता था। पूरी इमारत ईंटों और चूना पत्थर से बनी है, जिसका रकबा लगभग 35,920 वर्ग फुट है। केंद्रीय कक्ष के ऊपर एक विशाल गुंबद बना हुआ था, जो बाद में टूट गया। उसके उपरांत इस इमारत को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने गजट अधिसूचना संख्या 1302(ई), तिथि 10 दिसंबर, 2002 के जरिये संरक्षित किया।
इसके पूर्व श्री राघवेन्द्र ने मेटकॉफ हाल का भी दौरा किया। वहां भी उन्होंने इमारत को दुरुस्त करने और मरम्मत कार्य का जायजा लिया। हेयर स्ट्रीट और स्ट्रैंड रोड के जंकशन पर स्थित दो मंजिला मेटकॉफ हाल 1844 में निर्मित हुआ था। इसे 1835 से 1838 तक भारत के गर्वनर-जनरल रहे चार्ल्स मेटकॉफ की स्मृति में बनाया गया था।