नई दिल्ली: राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय ने वर्चुअल टूर के माध्यम से पथप्रदर्शक कलाकार जामिनी राय को उनकी 133वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। जामिनी राय के वर्चुअल टूर (http://www.ngmaindia.gov.in/virtual-tour-of-modern-art-1.asp) का नौ सेगमेंट (बर्ड एंड बीस्ट, कैलिग्राफी एंड स्केचेज, इपिक मिथ एंड फोक कल्ट्स, कृष्ण लीला, लाइफ आफ क्राइस्ट, मदर एंड चाइल्ड, पोर्टेट एंड लैंडस्केप्स, संथाल्स, विलेज लाइफ एंड वीमेन) में प्रतिनिधित्व किया गया है जो उनकी कृतियों में विभिन्न भाव भंगिमाओं को दर्शाते हैं और एनजीएमए के 215 स्थायी संग्रह में से 203 कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। पथप्रदर्शक कलाकार की समस्त कला कृतियों का यह वर्चुअल टूर निश्चित रूप से कला प्रेमियों को समृद्ध करेगा, जो भारत में पहली बार हो रहा है।
नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19), जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी घोषित किया गया है, द्वारा उत्पन्न खतरे के कारण और भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सुझाव का अनुसरण करते हुए संग्रहालय और पुस्तकालय अगले आदेशों तक आम जनता के लिए बंद कर दिया गया है।
एनजीएमए के महानिदेशक श्री अद्वैत गदानायक ने कहा, ‘यह इस देश के पथप्रदर्शक कलाकार जामिनी राय को श्रद्धांजलि देने का हमारा प्रयत्न है। इसलिए उनकी 133वीं जयंती वर्ष (11.04.1887-24.04.1972) पर एनजीएमए आगंतुकों के लिए इन दिनों बिना शारीरिक रूप से इस स्थान पर आए इस वर्चुअल टूर के माध्यम से जामिनी राय के जीवन एवं कला कृतियों को प्रस्तुत करता है। मुझे उम्मीद है कि आगंतुक निश्चित रूप से इन कला कृतियों के माध्यम से रंगीन यात्रा का आनंद उठाएंगे। आने वाले दिनों में हमारी साइट पर और कई सारे वर्चुअल टूर आयोजित किए जाएंगे।’ऐसे वर्चुअल टूर का सृजित करने का यह दूसरा सबसे बड़ा प्रयास है जिसकी अवधारणा, रूपरेखा का निर्माण और विकास एनजीएमए के आईटी सेल द्वारा किया गया है।
जामिनी राय 20वीं सदी भारतीय कला के सबसे आरंभिक और सबसे उल्लेखनीय आधुनिकतावादी थे। 1920 के बाद से विधा के सार की उनकी खोज ने उन्हें नाटकीय रूप से अलग अलग विजुअल शैली के साथ प्रयोग करने का अवसर दिया। लगभग छह दशकों तक फैले उनके कैरियर में कई महत्वपूर्ण परिवर्तनशील पड़ाव आए और उनकी कलाकृतियां सामूहिक रूप से उनकी आधुनिकतावाद की प्रकृति और उनके समय के कला प्रचलनों से अलग हटने में उनकी प्रमुख भूमिका को दर्शांती हैं। 20वीं सदी के आरंभिक दशकों में पेंटिंग की ब्रितानी अकादमिक शैली में प्रशिक्षित, जामिनी राय एक कुशल चित्रकार के रूप में विख्यात हो गए। 1916 में अब कोलकाता के गवर्नमेंट आर्ट स्कूल से स्नातक करने के बाद उन्हें नियमित रूप से कमीशन मिलता रहा। 20वीं सदी के आरंभिक तीन दशकों में बंगाल में सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों में बहुत बड़ा बदलाव देखा गया। राष्ट्रीय आंदोलन की बढ़ती भावना साहित्य और विजुअल कलाओं में सभी प्रकार के बदलावों को प्रेरित कर रही थी। अबनींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित द बंगाल स्कूल और नंदलाल बोस के तहत शांतिनिकेतन में कला भवन ने यूरोपीय नैचुरलिज्म और माध्यम के रूप में तेल के प्रयोग को खारिज कर दिया था और निरूपण के नए मार्गो की खोज कर रहे थे। जामिनी राय ने भी जानबूझ कर उस शैली को अस्वीकार कर दिया जिसमें उन्होंने अपने अकादमिक प्रशिक्षण के दौरान महारत हासिल की थी और 1920 के आरंभ से उन रूपों की खोज शुरू कर दी जिसने उनके अस्तित्व के भीतरी हिस्से को झकझोड़ दिया था। उन्होंने पूर्वी एशियाई हस्तलिपि, टेराकोटा मंदिर चित्रवल्लरियों, लोक कलाओं एवं पांरपरिक शिल्पों तथा इसी प्रकार के विभिन्न स्रोतों से प्रेरणा ली।
1920 के दशक के आखिर से जामिनी राय ने यूरोपीय तेल माध्यम अस्वीकार कर दिया और सब्जी तथा खनिज स्रोतों से पारंपरिक रंगद्रव्यों का उपयोग करना आरेभ कर दिया। बिम्बविधान अक्सर ग्रामीण जीवन से उकेरे गए। जामिनी राय ने किसानों, कलाकारों और बेहद मर्यादापूर्वक ग्रामीण महिलाओं एवं आदिवासियों का चित्रण किया। उन्होंने अपनी चित्रकारियों में उनका जिसे वे लोक कथाओं के उद्धरणों के साथ पवित्र समझते हैं और उन वर्णनों जो ग्रामीण चेतना में व्याप्त हैं, का प्रतिनिधित्व किया। ‘वूमन‘ शीर्षक की इस विशिष्ट चित्रकारी में कलाकार ने मोटे, काले रूपरेखा की लाइनों के साथ एक लाल पृष्ठभूमि में एक महिला की आकृति की चित्रकारी की है। विधा की सरलता विशेष रूप से एक अलंकृत किनारी के साथ एक संरचित वस्त्र विन्यास एक मूर्तिकला गुणवत्ता का आभास देती है।
1924 के बाद से, जामिनी राय ने एक नई शैली का प्रयोग किया क्योंकि वह विधा को सरल बनाने के तरीकों की तलाश कर रहे थे। इस अवधि के दौरान अधिकांश हिस्सों में उनकी छवियां या तो सफेद, नरम धूसर काली आडंबरहीन एकवर्णी बन गईं या रंग मिलाने की पटिया एक या दो रंगों के उपयोग की पटिया तक ही सीमित रह गई। कूची पर अद्वितीय नियंत्रण के साथ, उन्होंनें तरल, हस्तलिपिक लाइनों के साथ विधाओं की रूपरेखाओं का सृजन किया। इस चरण के दौरान राय ने बैठी हुई महिलाओं, माता एवं शिशु की आकृतियों, बाउल, छलांग लगाते हिरणों, रेंग कर चलने वाले नवजातों की चित्रकारी की।