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उत्तराखंड के देहरादून में चार दिवसीय राष्ट्रीय आरोग्य मेला-2016 शुरू

उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखंड के देहरादून में आज चार दिवसीय राष्ट्रीय आरोग्य मेला शुरू हो गया। मेले का आयोजन उत्तराखंड सरकार और भारतीय उद्योग

परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा, सोवा रिगपा एवं होम्योपैथी (आयुष) मंत्रालय ने किया। मेले का उद्घाटन आयुष (स्वतंत्र प्रभार) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री श्रीपद येसो नाइक और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत ने किया। उत्तराखंड सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और आयुष मंत्री श्री सुरेंद्र सिंह नेगी भी इस अवसर पर मौजूद रहे।

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए श्री श्रीपद नाइक ने कहा कि यदि पारंपरिक उपचार की प्रणालियों में हमारी क्षमताओं का भरपूर इस्तेमाल किया जाए तो भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति कर सकता है और दुनिया के लिए एक शिक्षक बन सकता है। उन्होंने कहा कि आरोग्य मेलों का देश भर में आयोजन किया जा रहा है। साल भर में देश में 10 से ज्यादा मेले आयोजित किए गए। मंत्री ने कहा कि बीते तीन दशकों के दौरान उपचार की आयुष प्रणाली में दुनिया की दिलचस्पी खासी बढ़ी है। इनमें यूरोप और अमेरिका के तमाम देश शामिल हैं। इसकी वजह यह है कि उपचार की इन पारंपरिक प्रणालियों में उपचार, सहयोग और अच्छा स्वास्थ्य एवं बीमारी के प्रबंधन के बहुआयामी पहलुओं को देखते हुए समग्र सोच को सोच को ध्यान में रखा गया है। मंत्री ने कहा कि हमने दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया और त्रिनिदाद एवं टोबैगो जैसे कई देशों के साथ ही पारंपरिक उपचार के क्षेत्र में द्विपक्षीय भागीदारी और आयुर्वेद चेयर एवं आयुष सूचना केंद्रों की स्थापना के लिए कई एमओयू किए हैं।

श्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड में पैदा होने वालीं औषधियां लंबे समय से कई बीमारियों के उपचार में इस्तेमाल की जाती रह हैं। इनके आयुष पद्धतियों के साथ संयोजन से पहाड़ों में मजबूत हेल्थकेयर व्यवस्था विकसित की जा सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उपचार की आयुष प्रणाली खासी किफायती है।

श्री सुरेंद्र नेगी ने कहा कि जड़ी-बूटियों और औषधियों के पौधों की खेती से पहाड़ों में रोजगार की संभावनाएं पैदा हो सकती हैं, विशेषकर जब इसे एकीकृत तरीके से उद्योग की जरूरतों से जोड़ दिया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में योग की वैश्विक राजधानी बनने की क्षमताएं हैं।

उद्घाटन सत्र के दौरान मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा के विद्यार्थियों ने फ्यूजन योगा का प्रदर्शन किया। मेले में मधुमेह, रक्तचाप, जोड़ों के दर्द, दिल की बीमारियों, जराचिकित्सा और सामान्य बीमारियों के उपचार में काम आने वाले स्वास्थ्य उत्पादों की प्रजातियों को बड़ी संख्या में प्रदर्शित किया जा रहा है।

विजिटर्स के लिए पंचकर्म, महिलाओं की बीमारियों के लिए होम्योपैथी, सिद्ध सिस्टम में नॉन कम्युनिकेबिल बीमारियों के लिए ‘योगसे आरोग्य’ और प्रबंधन, जीवनशैली से जुड़ी डायबिटीज जैसे विषयों पर मुफ्त लर्निंग सेशंस का आयोजन किया जा रहा है। कल के सेशन में देखरेख, सिद्ध उपचार-बुनियादी सिद्धांतों, तनाव और होम्योपैथी आदि में दिनचर्या और पथ्यापथ्या की अहमियत पर जोर दिया जाएगा।

आयुष मंत्रालय द्वारा कई आयुष प्रणालियों में विकास का प्रदर्शन और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए 2005 से ही भारत के राजधानी शहरों में उपचार की आयुष प्रणाली पर बड़े राष्ट्रीय स्तर के मेलों का आयोजन किया जा रहा है।

मेले का उद्देश्य लोगों के बीच आयुष प्रणालियों के इस्तेमाल, उनके किफायती उपचार और सामान्य बीमारियों से बचाव उपचार में इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियों व औषधियों की उपलब्धता के प्रति जागरूकता फैलाना है।

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