नई दिल्ली: राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र एनआईसी ने 22 और 23 जनवरी 2019 को एक दो दिवसीय प्रौद्योगिकी सम्मेलन की मेजबानी की। इस सम्मेलन का उद्घाटन इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव श्री अजय साहनी ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि एक विनियमित पारिस्थितिकी में ओपन एपीआई का उपयोग कर के डाटा को अपनाया, संरक्षित और साझा किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले ‘टेक्कोनक्लेव’ शैशव अवस्था से आगे बढ़ता है। हमें ऐसी यात्रा के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए जहां अधिक से अधिक भारतीय प्रौद्योगिकियां आती हों। आज देश डिजिटल बदलाव के दशक से गुजर रहा है इसलिए प्रौद्योगिकी नये भारत के सपने को साकार करने के लिए अच्छी तरह तैयार है। इसमें राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
महानिदेशक डॉ. नीता वर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र सरकार में विभिन्न स्तरों पर आईसीटी के अनुप्रयोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। भारत को डिजिटल राष्ट्र के रूप में बदलने के लिए भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रम डिजिटल इंडिया को यह आगे बढ़ा रहा है। सरकार के लिए राष्ट्रीय आईसीटी बुनियादी ढांचा स्थापित कराने के अलावा एनआईसी ने केंद्र और राज्यों में सरकार के विभिन्न क्षेत्रों के लिए अनेक समाधान/मंच तैयार और विकसित किए हैं। इससे व्यापक पारदर्शिता डॉटा आधारित योजना और प्रबंधन तथा सेवाओं की गुणवत्ता में बढोतरी करने में सहायता मिली है।
इस सम्मेलन के प्रवक्ता आईटी उद्योग के विशेषज्ञ थे और उन्होंने उभरती हुई प्रौद्योगिकियों और उनके अनुप्रयोगों से संबंधित विषयों को शामिल किया। सम्मेलन का विषय था ‘टेक्नोलॉजीज़ फॉर नेक्स्टजेन गवर्नेंस’। प्रसिस्टेंट सिस्टम के संस्थापक, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. आनंद देशपांडे इस सम्मेलन के पहले दिन प्रमुख वक्ता थे। उन्होंने कहा कि अब हम ‘इंटरनेट ऑफ पीपुल्स’ से ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ की ओर बढ़ रहे हैं। इससे जहां व्यापक अवसर जुटेंगे वहीं चुनौतियां भी सामने आयेंगी। उन्होंने ‘ब्लॉक चेन’ प्रौद्योगिकी लागू करने के लिए उचित किस्म के सहयोग की जरूरत पर जोर दिया। गूगल के मैप मेकर के सृजक ललितेश कटरागड्डा ने कहा कि भारत के सामने आने वाली समस्याओं के निदान के लिए केवल प्रौद्योगिकी का उपयोग ही एकमात्र तरीका है। विकसित देशों द्वारा उपयोग किए जा रहे परंपरागत तरीकों के लिए मानव, वित्तीय और प्रशासनिक संसाधनों की जरूरत होगी। इन पर तेजी से नियंत्रण पाना भारत जैसे विकासशील देश के लिए असंभव होगा। डिजिटल प्रौद्योगिकी का प्रयोग संसाधनों की जरूरत में कटौती कर सकता है और एक उचित समयावधि में सभी के लिए स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसी समस्याओं पर सकारात्मक प्रभाव डालना संभव बना सकता है। उन्होंने भारत में सुशासन के लिए समाधान जुटाने में एनआईसी की भूमिका की प्रशंसा करते हुए ओपन एपीआई के सृजन द्वारा ‘प्लेटफार्म मानसिक स्थिति अपनाने का अनुरोध किया। अन्य वक्ताओं ने स्मार्ट शहरों से लेकर कृत्रिम आसूचना को लोकतांत्रिक बनाने, राष्ट्र को सुरक्षित रखने और डिजिटल शासन के युग में एक बड़ी चुनौतियों जैसे विषयों पर अपने विचार रखे। इस सम्मेलन का आयोजन एनआईसी के तकनीक सलाहकार समूह टीएजी ने आयोजित किया था। इसे प्रौद्योगिकी, प्रगति और आईसीटी में तेजी से प्रगति के मद्देनजर, प्रौद्योगिकी प्रगति और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के बारे में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को सचेत करने में सहायता प्रदान करने के लिए भी आयोजित किया गया था। यह समूह देशभर की टीमों को गुणवत्तायुक्त अनुप्रयोगों को विकसित करने में मदद कर रहा है।