नई दिल्ली: आज 21 वां राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस देश के सभी नागरिकों के लिए तर्कसंगत और उचित न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित कराने के आह्वान के साथ मनाया गया। आज नई दिल्ली में समारोह का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने उचित न्याय के लिए गरीब और अमीर वादी के बीच की खाई को कम करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मुफ्त कानूनी सहायता की धारणा का मूल इस विचार में निहित है कि उचित कानूनी सहायता के अभाव में किसी व्यक्ति पर मुकदमा न चले।
इस दिशा में राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (एनएलएसए) के विधिक सहायता क्लिनिक सहित लोक अदालत, जेल विधिक क्लीनिक और बढ़ते जागरूकता व सशक्तिकरण के कार्यक्रमों जैसे प्रयासों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये बेहतर न्याय सुनिश्चित कराने वाले मुख्य घटक हैं। लोगों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना जरूरी है। गरीब और वंचित समूहों के मामले में इसकी जरूरत और भी बढ़ जाती है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में केन्द्रीय विधि एवं न्यायमंत्री श्री डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा है कि संविधान की धारा 39 ए गरीबों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने का जनादेश देती है। मुफ्त कानूनी सहायता की धारणा का मूल इस विचार में निहित है कि उचित कानूनी सहायता के अभाव में किसी व्यक्ति पर मुकदमा न चले। उन्होंने कहा कि ऐसा मुकदमा जिसमें एक गरीब और लाचार व्यक्ति का कानूनी रूप से प्रतिनिधित्व नहीं है, उसे तर्कसंगत और न्यायपूर्ण नहीं समझा जाएगा। मुफ्त कानूनी सेवा तर्कसंगत और न्याय प्रक्रिया का अपरिहार्य घटक है। एनएलएसए इस संवैधानिक वायदे को सुनिश्चित करने में प्रमुख भूमिका निभाता है।
इस मौके पर न्यायमूर्ति स्वर्गीय वी आर अय्यर की धारणा ‘अगर किसी के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार होता है तो इसके लिए समाज दोषी है’ का जिक्र करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि आज उनके इन विचारों पर ध्यान देने का सही अवसर है। इस विचार के साथ कानूनी सहायता कार्यक्रमों की निगरानी के लिए गठित राष्ट्रीय स्तर समिति ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएलएसए) जैसे संस्थानों के गठन के रूप में आकार लिया है। कोई तीन दशक से गरीबों और जरूरतमंदों को कानूनी सहायता प्रदान करने के उत्तम और अच्छे लक्ष्य के साथ एनएलएसए काम कर रहा है। श्री गौड़ा ने इस मौके पर सदस्यों और अधिकारियों का स्वागत करते हुए कहा कि कानूनी सहायता के दर्शन के जनक न्यायमूर्ति स्वर्गीय वी आर कृष्ण अय्यर और न्यायमूर्ति भगवती आज भी हमें प्रेरित करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा संयुक्त राष्ट्र में स्थायी विकास के लिए अपनाए गए नए एजेंडे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे पहले पहचान किए गए आठ सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों के परिणामस्वरूप नए लक्ष्य बने हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के स्थायी विकास लक्ष्यों के लक्ष्य 16 पर विचार करना आज प्रासांगिक होगा। यह लक्ष्य समावेशी समाज के स्थायी विकास और शांतिपूर्ण उन्नति, सभी के लिए न्याय के प्रावधान सभी स्तरों पर उत्तरदायी और प्रभावी संस्थनों के गठन के लिए समर्पित है। इस लक्ष्य का एक प्रमुख प्रयोजन राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी को समान रूप से न्याय प्रदान करना तथा कानून के शासन को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि वह इस दिशा में तय वर्ष 2030 तक भारत द्वारा इस लक्ष्य की प्राप्ति में एनएएलएसए की भागीदारी एवं इसके द्वारा निभाई गई भूमिका के प्रति उत्सुक हैं।
श्री गौडा ने कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में सबसे पहला कदम देश के विभिन्न जेलों में 68 प्रतिशत विचाराधीन कैदियों के प्रति ध्यान देना होगा। इस मुद्दे को सुलझाने में सरकार एनएएलएसए के साथ सहयोग करेगी। विचाराधीन कैदियों की संख्या कम करने के लिए इस तरह के सहयोग और समन्वय को दोहराए जाने की जरूरत है। एनएएलएसए और अन्य राज्य स्तरीय संस्थानों को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश और एनएएलएसए के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर ने अपने भाषण में सात स्कीमों को शुरू करने का जिक्र करते हुए संगठन द्वारा देश भर में तेजी से न्याय दिलाने के लिए आयोजित की गई लोक अदालतों का विवरण दिया। इस अवसर पर जरूतमंदों को उचित न्याय दिलाने के लिए अनुपम व सृजनात्मक पहल करने के लिए देश के विधिक बिरादरी के सदस्यों को एनएएलएसए पुरस्कार से नवाजा गया।