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इंस्पायर पुरुस्कारों की राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी – मानक (एमएएनएके) में पूरे भारत से छात्रों की अनूठी पहलों का प्रदर्शन है

देश-विदेश

इंस्पायर पुरुस्कारों के लिए आज शुरू हुई 8वीं राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी और परियोजना प्रतियोगिता (एनएलईपीसी) – मानक (मिलियन माइंड्स ऑगमेंटिंग नेशनल एस्पिरेशन एंड नॉलेज –एमएएनएके) में देश के विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 581 छात्रों के अभिनव विचारों का प्रदर्शन हुआ है।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) में  सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने सभी प्रतिभागियों को बधाई दी और कहा कि देश ने युवा अन्वेषकों की रचनात्मकता को पल्लवित  करने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाया है। “युवा अन्वेषकों  (नवप्रवर्तकों) के लिए अपनी अंतर्निहित क्षमता का प्रदर्शन करने का यह एक बड़ा अवसर है। कार्यक्रम का उद्देश्य एक लाख युवा मष्तिष्कों को प्रज्वलित करना है, ताकि वे देश के भीतर बड़े नवाचार-संचालित विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास का हिस्सा बन सकें। मानक देश भर में छात्रों को उज्ज्वल विचारों से जोड़ता है और खुले दिमाग के साथ आपस में जुड़ने की सुविधा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि छात्रों ने अपने विचारों को सामने रखा, अपने शिक्षकों और संरक्षकों के साथ इस पर चर्चा की और आम लोगों की समस्याओं को हल करने में सहायता भी की है ।

एनएलईपीसी का आठवां संस्करण वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान इंस्पायर पुरुस्कारों  – मानक (मिलियन माइंड्स ऑगमेंटिंग नेशनल एस्पिरेशन एंड नॉलेज -एमएएनएके)   कार्यक्रम के तहत चुने गए छात्रों से सम्बन्धित हैI कोविड -19 के कारण इसे पिछले साल स्थगित  कर दिया गया था। इसके लिए आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में 1000 से अधिक छात्रों ने भाग लिया है और यह आज से शुरू होकर अगले पांच दिनों तक चलेगा।

राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान (एनआईएफ) के अध्यक्ष डॉ. पी एस गोयल ने वर्तमान शताब्दी में नवाचार के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि “नवाचार सीधे हमारे अस्तित्व से जुड़ा हुआ है और मानव गतिविधि के हर क्षेत्र को प्रभावित करता है। यह आत्मनिर्भरता  की एक उपलब्धि है और विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक प्रमुख अंतर के रूप में कार्य करता है। उन्होंने स्विट्ज़रलैंड और इज़राइल जैसे अन्य देशों के अनुभवों को साझा किया जिससे देश में चल रहे नवाचार आंदोलन को और मजबूती मिलेगी।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) में इंस्पायर अवार्ड्स –मानक की प्रमुख श्रीमती नमिता गुप्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि महामारी के कारण कार्यक्रम को चलाने के लिए नई प्रौद्योगिकी को अपनाना इस वर्ष की राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी और परियोजना प्रतियोगिता (एनएलईपीसी) पिछले संस्करण के बीच सबसे प्रमुख अंतर था। जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी तथा परियोजना प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए देश भर के हजारों छात्रों द्वारा मोबाइल ऐप का उपयोग किया जा रहा था।

राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान (एनआईएफ) में निदेशक डॉ. विपिन कुमार ने सामूहिक सहयोग के लिए राज्य नोडल अधिकारी (एसएनओ), जिला नोडल अधिकारी (डीएनओ), शिक्षक, स्कूल के प्रधानाचार्य, माता-पिता, छात्र, संरक्षक और डीएसटी तथा एनआईएफ की टीमें सहित सभी हितधारकों के योगदान को स्वीकार किया। उन्होंने भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के पूर्व सचिव, प्रोफेसर आशुतोष शर्मा के प्रति भी आभार व्यक्त किया जिन्होंने इंस्पायर पुरूस्कार (अवार्ड्स) – मानक को एक बड़ी सफलता बनाने की दिशा में अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ कार्य किया।

इंस्पायर पुरूस्कार (अवार्ड्स) – मानक की 8वीं राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी और परियोजना प्रतियोगिता (एनएलईपीसी) का पुरस्कार समारोह 8 सितंबर 2021 को आभासी रूप (वर्चुअल मोड) में आयोजित किया जाएगा जिसमें डॉ जितेंद्र सिंह, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान देश के रचनात्मक बच्चों को पुरस्कार प्रदान करेंगे ।

इस प्रदर्शनी के लिए शुरुआत करने के समय कुल 3,92,486 विचार और नवाचार प्राप्त हुए थे जिनमे में से सर्वश्रेष्ठ नवीन विचारों को यहाँ दिखाया गया हैI यह प्रदर्शनी आज 4 से 8 सितंबर 2021 के बीच सभी के लिए खुली है और इसके लिए निम्नलिखित लिंक पर जाकर पहुँचा जा सकता है – https://nlepc.nif .org.in/community/#/login

इंस्पायर पुरूस्कार (अवार्ड्स ) – मानक योजना भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई  ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ पहल के साथ जुड़ी हुई है। इस योजना का उद्देश्य 10-15 वर्ष के आयु वर्ग के छात्रों और कक्षा 6 से 10 तक पढ़ने वाले छात्रों को भविष्य के नवप्रवर्तक और महत्वपूर्ण विचारक बनने के लिए प्रेरित करना है। इस योजना में यह माना जाता है कि एक बार छात्रों द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में निहित मूल विचारों और नवाचारों को आत्मसात कर लिया जाए, तो इससे स्कूली बच्चों के बीच रचनात्मकता और नवीन सोच की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से सामाजिक जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा और छात्रों को भविष्य के संवेदनशील तथा जिम्मेदार नागरिक और नवाचार नेता बनने के लिए प्रोत्साहित भी करेगा।

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