लखनऊ: मा0 न्यायमूर्ति श्री टी0एस0ठाकुर न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशानुसार उ0प्र0 के राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के दिशा-निर्देशानुसार मासिक राष्ट्रीय लोक अदालत का व्यापक प्रचार-प्रसार प्रदेश के समस्त जनपदों में कराया जा रहा है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदेश के समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्षों एवं सचिव गणों को इसका व्यापक प्रचार-प्रसार वादकारियों तथा न्यायहित में कराने के निर्देश दिये गये हैं।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से प्राप्त सूचना के अनुसार प्रत्येक माह की निर्धारित तिथियों में विषयवार वादों को आपसी सुलह समझौतों के माध्यम से निस्तारण करने में अभूतपूर्व सफलता अर्जित की गयी है। लोक अदालत से वादकारियों को शीघ्र न्याय मिलने से उन्हें प्रसन्नता होती है।
वादकारी लोक अदालत के लाभ लेने हेतु वादों को सुलह समझौते के आधार पर हल कराये। लोक अदालत विवादों को समझौते के माध्यम से सुलझाने के लिए एक वैकल्पिक मंच है। सभी प्रकार के सिविल वाद या ऐसे अपराधों को छोड़कर जिनमें समझौता वर्जित है, सभी आपराधिक मामले भी लोक अदालतों द्वारा निपटाये जा सकते हैं। लोक अदालतों के फैसलों को अदालत का फैसला माना जाता है जिसे कोर्ट की डिक्री की तरह सभी पक्षों पर अनिवार्य रूप से बाध्य होते हुए लागू कराया जाता है। लोक अदालत के फैसलों के विरूद्ध किसी भी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है। लोक अदालत में समझौते के माध्यम से निस्तारित मामलों में अदा की गयी कोर्ट फीस लौटा दी जाती है।
वादकारी अपने किसी भी लम्बित वाद/विवाद/शिकायत को मासिक राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारण हेतु संबंधित अधिकरण/फोरम/न्यायालय के पीठासीन अधिकारी, जनपद न्यायालय/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से सम्पर्क कर अपने विवाद को निस्तारित करा सकते हैं। निःशुल्क विधिक सहायता हेतु टोल फ्री नम्बर: 1800-419-0234 पर सम्पर्क किया जा सकता है।