नई दिल्ली: आयुष मंत्रालय और केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) एवं इस परिषद के सभी 25 नैदानिक अनुसंधान संस्थान सितंबर, 2018 में मनाए जा रहे राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी विभिन्न गतिविधियां आयोजित कर रहे हैं। सीसीआरएएस के तीन संस्थान यथा केन्द्रीय आयुर्वेदीय हृदय रोग अनुसंधान संस्थान (सीएआरआईसीडी), पंजाबी बाग, नई दिल्ली; क्षेत्रीय आयुर्वेदीय पौष्टिक विकार अनुसंधान संस्थान (आरएआरआईएनडी), मंडी (हिमाचल प्रदेश) और क्षेत्रीय आयुर्वेदीय मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (आरएआरआईएमसीएच), नागपुर (महाराष्ट्र) ने 15 सितम्बर, 2018 को मरीजों और आम जनता के लिए पोषण जागरूकता शिविर लगाए थे।
शिविर के दौरान मरीजों की जानकारी के लिए दैनिक उपयोग वाले कुछ चिकित्सीय पौधों (घरेलू इलाज में कारगर) को प्रदर्शित किया गया, आयुर्वेदिक परिप्रेक्ष्य से पोषण की विशेष अहमियत को प्रतिभागियों, आगंतुकों एवं मरीजों के साथ साझा किया गया और अन्य ओपीडी मरीजों के साथ आईपीडी में भर्ती महिला मरीजों को तदनुसार आवश्यक परामर्श दिया गया। गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को भी पोषण के विशेष महत्व से अवगत कराया गया और इस दिशा में जागरूकता पैदा करने के लिए बैनर, चार्ट एवं विवरणिका (ब्रोशर) तैयार, प्रदर्शित एवं वितरित की गई।
आयुष मंत्रालय ने प्रौद्योगिकी की मदद से बच्चों, किशोर/किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं का बेहतर पोषण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आम जनता के कल्याण से जुड़ी गतिविधियां संचालित करने के लिए अपनी अनुसंधान परिषदों और संस्थानों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं।
इस शिविर की परिकल्पना एवं आयोजन संस्थानों के साथ-साथ उनके डॉक्टरों द्वारा किया गया। इस शिविर में ‘पोषण अभियान जन आंदोलन’ के कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा किए जा रहे ठोस प्रयासों से मरीजों को अवगत कराया गया। इसके अलावा, शिशुओं एवं बच्चों के समुचित पोषण, स्तनपान की महत्ता और पूरक आहार की विशेष अहमियत (अन्नप्राशन) को भी मरीजों के साथ साझा किया गया, ताकि बच्चों में कुपोषण की समस्या से बचा जा सके।