लखनऊ: प्रदेश के प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण श्री प्रशान्त त्रिवेदी ने संचारी रोगों पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित करने तथा मच्छर जनित बीमारियों पर अंकुश लगाने हेतु आयोजित एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम की तीन दिवसीय राष्ट्रीय समीक्षा कार्यशाला का शुभारम्भ किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मच्छरों से पैदा होने वाले रोगों का बेहतर उपचार एवं निगरानी व्यवस्था को लगातार सुदृढ़ कर रही है और इस व्यवस्था से अच्छे परिणाम प्राप्त हुये हैं। ये बातें श्री त्रिवेदी ने होटल हयात रिजेंसी लखनऊ में आईडीएसपी की राष्ट्रीय समीक्षा कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर कही। इस कार्यशाला में देश के समस्त राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से आये प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया।
उत्तर प्रदेश को आई.डी.एस.पी. कार्यक्रम की पहली बार मेजबानी दिये जाने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुये प्रमुख सचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश विशाल जनसंख्या वाला प्रदेश होने के बावजूद भी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं को ग्रामीण अंचलों तक पहुंचाने में सफल रहा है। इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करके जटिल से जटिल बीमारियों के उपचार की व्यवस्था भी की गयी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता को गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसमें स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर कोई कमी नहीं आने दी जायेगी।
उल्लेखनीय है कि संचारी रोगों की जांच, अध्ययन एवं इन रोगों के शुरूआत से ही त्वरित प्रक्रिया अपनाकर रोकथाम के उद्देश्य से वर्ष 2004 में एकीकृत रोग निगरानी परियोजना की आधारशिला रखी गयी। कार्यक्रम को पुनर्गठित 12वें पंचवर्षीय योजना में आईडीएसपी के रूप में सभी राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों तक विस्तार दिया गया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र के निदेशक डा0 एस0के0 सिंह ने बताया कि मौजूदा समय में नई दिल्ली स्थित केंद्रीय निगरानी इकाई के साथ ही देश के समस्त राज्यों एवं जनपदों में राज्य निगरानी एवं जिला निगरानी इकाईयों की स्थापना की गयी है। इनके माध्यम से 18 संचारी रोगों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि आगे चलकर इस निगरानी को 33 रोगों तक बढ़ाया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि आईडीएसपी रिपोर्टिंग पोर्टल द्वारा जन स्वास्थ्य की साप्ताहिक निगरानी रखी जाती है। शीघ्र ही रोगों की दैनिक रूप से निगरानी करने के लिए रिपोर्टिंग पोर्टल को पुनर्गठित कर लिया जायेगा।
उद्घाटन सत्र के दौरान श्री त्रिवेदी द्वारा संक्रामक रोगों के रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश द्वारा किये गये अभिनव प्रयोगों, स्टेट आउटब्रेक रिपोर्टिंग सिस्टम सोर्स तथा हेल्थ जियोग्राफिकल इनफार्मेशन सिस्टम पोर्टल ीजजचेरूध्ध्ीहपेण्नचीेेचण्वतहण्पद का भी उद्घाटन किया गया। उन्होंने कहा कि संचारी रोगों के प्रभावी नियंत्रण हेतु प्रयोगशालाओं के सुदृढ़ीकरण एवं मानव संसाधन प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया जायेगा। तीन दिनों तक चलने वाली इस राष्ट्रीय समीक्षा कार्यशाला में विभिन्न राज्यों के कार्यक्रम अधिकारी अपने-अपने राज्यों की आई.डी.एस.पी. सम्बन्धित गतिविधियों के प्रस्तुतीकरण के साथ ही राज्यों द्वारा संचारी रोगों के नियंत्रण एवं उन्मूलन हेतु किये जा रहे सकारात्मक प्रयासों को साझा करेंगे। साथ ही प्रयोगशालाओं के सुदृढ़ीकरण एवं भविष्य में आने वाली जन स्वास्थ्य सम्बन्धी नई चुनौतियों के बारे में चर्चा की जाएगी।
कार्यशाला के दौरान केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री लव अग्रवाल के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग की गयी। वीडियो कान्फ्रेंसिंग में श्री अग्रवाल ने बताया कि प्रथम चरण में इंटीग्रेटेड हेल्थ इन्फाॅर्मेशन पोर्टल (आई.एच.आई.पी.) को हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में लांच किया जायेगा। साथ ही उन्होंने अन्य राज्यों से भी अनुरोध किया कि भविष्य में आई.एच.आई.पी. लांच के लिए अपने अपने राज्य में भूमिका बनाएं और उसी के अनुसार केन्द्रीय निगरानी इकाई के साथ अपनी प्रशिक्षण योजना भी साझा करें। उन्होंने बताया कि जल्दी ही सभी राज्यों के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य के साथ एक मीटिंग आयोजित की जाएगी जिसमें उन्हें आई.एच.आई.पी. के बारे में बताया जायेगा।
कार्यशाला में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के प्रमुख सलाहकार डा. एन.एस. धर्मशक्तू, सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण श्रीमती वी.हेकाली झिमोमी, महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं डा. पद्माकर सिंह, निदेशक संचारी रोग डा. मिथलेश चतुर्वेदी, विश्व स्वास्थ्य संगठन के वरिष्ठ तकनीकी सलाहकार डा. रमेश कृष्णमूर्ति उपस्थित रहे।