राष्ट्रीय सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और वह देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। यह बात रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 26 जून, 2023 को जम्मू में एक ‘राष्ट्रीय सुरक्षा कॉन्क्लेव’ को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत ने पिछले नौ वर्षों में अपने सुरक्षा परिदृश्य में एक आमूलचूल बदलाव देखा है। उन्होंने बताया कि 2013-14 में भारत की छवि एक निर्बल राष्ट्र की थी जिसके कारण विभिन्न समस्याएं पैदा हुई, लेकिन आज देश हर खतरे से निपटने की क्षमता रखता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा की रूपरेखा के बारे में विस्तार से बताते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार चार निदेशक सिद्धांतों- देश को अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के खतरों से निपटने में सक्षम बनाने; राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर कदम उठाने; प्रगति को सब तक पहुंचाना, लोगों के जीवन में सुधार लाने और उनकी आकांक्षाओं की पूर्ति करने और आतंकवाद जैसी वैश्विक चुनौतियों से एकजुट होकर निपटने के लिए मित्र देशों के साथ एक वातावरण बनाने के लिए देश के भीतर सुरक्षित स्थितियों का सृजन करने पर काम कर रही है।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सेना को नवीनतम हथियारों और आधुनिक प्रौद्योगिकी से सुसज्जित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है और राष्ट्र को आश्वस्त किया कि सशस्त्र बल सीमाओं और समुद्र की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य अपने सशस्त्र बलों को आधुनिक सेनाओं की अग्रिम पंक्ति में लाना है।”
रक्षा मंत्री ने कहा, “लंबे समय से पाकिस्तान ने सीमा पार आतंकवाद के माध्यम से देश में शांति और सद्भाव को अस्थिर करने की कोशिश की है। जब हम सत्ता में आए, तो हमने आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई शुरू की। हमने विश्व को ‘आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस’ का अर्थ प्रदर्शित किया। उरी और पुलवामा की घटनाओं के बाद आतंकवादियों को खत्म करने के लिए उठाए गए साहसिक और अपनी तरह के पहले कदम भारत की ‘आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस’ की नीति और सशस्त्र बलों की अद्वितीय वीरता का प्रमाण हैं। आज विश्व के अधिकांश देश आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट हैं। प्रधानमंत्री की अमेरिकी राष्ट्रपति श्री जो बाइडेन के साथ बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान इस बात का संकेत है कि भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर विश्व की मानसिकता को कैसे बदल दिया है।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का नेटवर्क बहुत कमजोर हुआ है क्योंकि सख्त और लगातार कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा, “आतंक के वित्त पोषण पर अंकुश लगा दिया गया है। आतंकवादियों को हथियारों और नशीली दवाओं की आपूर्ति रोक दी गई है। आतंकियों के खात्मे के साथ-साथ आतंकियों के अंडरग्राउंड नेटवर्क को भी ध्वस्त करने का काम किया जा रहा है।”
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर रक्षा मंत्री ने कहा कि इस फैसले ने केंद्र शासित प्रदेश के लोगों को देश की मुख्यधारा से जोड़ा है और उन्हें शांति और प्रगति के एक नए युग में सूत्रपात करने में सहायता की है।
पीओके पर श्री राजनाथ सिंह ने कहा, पाकिस्तान का वहां कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है, क्योंकि उसने इस क्षेत्र पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा, भारतीय संसद ने सर्वसम्मति से कम से कम तीन प्रस्ताव पारित किए हैं, जिनमें कहा गया है कि पीओके भारत का हिस्सा है।
रक्षा मंत्री ने चीन के साथ सीमा की स्थिति को अवधारणा में अंतर का मामला बताया। उन्होंने कहा कि लेकिन ऐसे समझौते और प्रोटोकॉल हैं, जिनके आधार पर दोनों देशों की सेनाएं गश्त करती हैं। 2020 में पूर्वी लद्दाख में गतिरोध का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि चीनी सेना ने सहमति प्राप्त प्रोटोकॉल की अनदेखी की और एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश की। उन्होंने भारतीय सेना की बहादुरी और समर्पण की सराहना की जिसने यथास्थिति को बदलने के पीएलए के प्रयासों को रोक दिया।
श्री राजनाथ सिंह ने संवाद के माध्यम से और शांतिपूर्ण तरीके से सीमा मुद्दे को हल करने के लिए सरकार के रुख को दोहराया। उन्होंने कहा कि विवाद को सुलझाने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत जारी है। उन्होंने देश को आश्वासन दिया कि सरकार भारत की सीमा, उसके सम्मान और स्वाभिमान से कभी समझौता नहीं करेगी। उन्होंने कहा, “हम कभी भी अपनी सीमाओं की पवित्रता का उल्लंघन नहीं होने देंगे।”
रक्षा मंत्री ने सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और रक्षा में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने सहित राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए उठाए गए कई कदमों को सूचीबद्ध किया, उनमें सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों की अधिसूचना और वित्तीय वर्ष 2023-24 में घरेलू उद्योग के लिए रक्षा पूंजी खरीद बजट का 75 प्रतिशत निर्धारित करना शामिल है। उन्होंने कहा, “भारत आयातित हथियारों पर निर्भर नहीं रहना चाहता। हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा तभी मजबूत होगी जब हम रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनेंगे। हमारा उद्देश्य ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ है। हमारे प्रयास रंग ला रहे हैं। आज हम टैंक, विमानवाहक पोत, पनडुब्बियां और विभिन्न प्रकार के हथियारों का विनिर्माण कर रहे हैं। रक्षा निर्यात 16,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है, जो 2014 से पहले महज 900 करोड़ रुपये था। यह निर्यात शीघ्र ही 20,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू जाएगा।’
श्री राजनाथ सिंह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति और सैन्य मामलों के विभाग की स्थापना सहित सरकार द्वारा किए गए संरचनात्मक सुधारों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सरकार निरंतर आगे बढ़ रही है और थिएटर कमान स्थापित करने के लिए काम किया जा रहा है, जो एक और क्रांतिकारी सुधार होगा।
रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में वैश्विक मंच पर भारत की बदली हुई छवि पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वैश्विक मंच पर प्रधानमंत्री की विश्वसनीयता के कारण ही आज विश्व अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत को उत्सुकता से सुनता है।
श्री राजनाथ सिंह ने इस वैश्वीकृत दुनिया में भारत के सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए अमेरिका और रूस जैसी प्रमुख विश्व शक्तियों के साथ समन्वय के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका को स्वाभाविक सहयोगी के रूप में देखा जा रहा है और उनकी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत किया जा रहा है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि सेना के सेना से जुड़ाव, सूचना साझाकरण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर, अंतरिक्ष और पारस्परिक लॉजिस्टिक सहायता के क्षेत्रों में सहयोग के विस्तार के साथ भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग तेजी से बढ़ा है। उन्होंने प्रधानमंत्री की हाल की अमेरिका यात्रा को एक ऐतिहासिक घटना करार दिया, जिससे नए युग में द्विपक्षीय रक्षा सहयोग का सूत्रपात हुआ।
श्री राजनाथ सिंह ने वैश्विक खतरों और चुनौतियों से निपटने के लिए समेकित और एकजुट प्रतिक्रिया की अपील की। उन्होंने कहा “भारत एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति है। इसलिए, हमारे लिए अपने विस्तारित पड़ोस में अन्य देशों के साथ अपनी सुरक्षा चिंताओं को संयोजित करना महत्वपूर्ण है। ”
श्री राजनाथ सिंह ने भारत में एफ-414 फाइटर जेट इंजन के सह-उत्पादन के लिए जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) एयरोस्पेस-हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड समझौते का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “इस सौदे के साथ, हम जेट इंजन का विनिर्माण करने वाला चौथा देश बन जाएगा। तेजस विमान में ये मेड इन इंडिया इंजन लगे होंगे।”
अमेरिका से एमक्यू-9बी ड्रोन की खरीद की कीमत और अन्य शर्तों पर अटकल रिपोर्टों को खारिज करते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा मंत्रालय ड्रोन की खरीद लागत की तुलना अन्य देशों को दी जाने वाली जनरल एटॉमिक्स (जीए) की सर्वोत्तम कीमत से करेगा। उन्होंने कहा कि स्थापित खरीद प्रक्रिया का पालन करते हुए ही अधिग्रहण किया जाएगा।