नई दिल्ली: वास्तव में मैं आज यहां होकर प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं। भारत के पर्यटन उद्योग में उपलब्धि पाने वाले लोगों को सम्मानित किए जाने के कार्यक्रम में मैं आपके साथ हूं। इन असाधारण व्यक्तियों और संस्थाओं ने भारत को एक पर्यटन गंतव्य के रूप में बढावा देने में अपने समर्पण के बल पर खुद को विशिष्ट साबित किया है।
उन्होंने गुणवत्ता और क्षमता के रूप में हमारे पर्यटन क्षेत्र के विकास में विशिष्ट योगदान किया है। मैं पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं। इसमें कोई संदेह नहीं कि आज उनके इस सम्मान से पर्यटन क्षेत्र के सभी हितधारक अपनी प्रतिबद्धता दर्शायेंगे और इस क्षेत्र के विस्तार और विकास के लिए नये उत्साह के साथ काम करने के लिए उन्हें प्रेरित करेंगे।
हमारे देश में पर्यटन क्षेत्र विकास का एक कारक होने के साथ-साथ आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का एक वाहक भी है। प्रशिक्षित मानव संसाधन किसी क्षेत्र के विकास के लिए के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। यह जानकर मुझे खुशी हुई है कि पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटन क्षेत्र और आतिथ्य उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार करने की ओर ध्यान दिया है। देश के होटल प्रबंधन संस्थान, भारतीय पर्यटन और यात्रा प्रबंधन संस्थान तथा फूड क्राफ्ट संस्थान पर्यटन क्षेत्र में सेवा के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण देने हेतु अवसर प्रदान कर रहे हैं। पर्यटन मंत्रालय की “हुनर से रोजगार तक” योजना के अधीन युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। यह समाज के कमजोर वर्गों के लिए सामाजिक समानता लाने और रोजगार के अवसर पैदा करने में एक सराहनीय पहल है।
वर्ष 2014 में भारत में घरेलू पर्यटकों की कुल संख्या 128.20 करोड़ रही। उस वर्ष भारत में 76.80 लाख विदेशी पर्यटक आए जो गत वर्ष की तुलना में 10.2 प्रतिशत वृद्धि दर्शाता है, हालांकि यह विश्व भर में 1.10 अरब अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन की तुलना में महज 0.7 प्रतिशत ही है। इसलिए विदेश से पर्यटकों के आगमन में कई गुना वृद्धि होने की काफी संभावना है। वर्ष 2014 के दौरान पर्यटन क्षेत्र से 1.2 लाख करोड़ रुपए मूल्य की विदेशी मुद्रा अर्जित की गई, जो इससे पिछले वर्ष की तुलना में 14.5 प्रतिशत अधिक है। आपको बताते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है कि 113 देशों के लिए ई-पर्यटन वीजा को लागू करने से काफी अच्छे परिणाम निकले हैं। अमरीका, यूके, स्पेन, मलेशिया, जर्मनी आदि जैसे अधिक संभावना वाले कई देशों के लिए अब ई-पर्यटन वीजा सुविधा उपलब्ध है। जनवरी-जुलाई, 2015 के दौरान ई-पर्यटन वीजा के माध्यम से लगभग 1.5 लाख पर्यटक हमारे देश में आए।
भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और हमारी जनता की सुलभ आय में वृद्धि के साथ आने वाले वर्षों में हम देश में पर्यटकों के आगमन में सकारात्मक प्रगति होने की उम्मीद कर सकते हैं। हमें देश में उच्च गुणवत्ता वाली पर्यटन सुविधाएं विकसित करने की ओर ध्यान देना चाहिए। सर्किटों और तीर्थ केन्द्रों के समन्वित विकास के उद्देश्य से ‘स्वदेश दर्शन’ और ‘प्रसाद (पिलग्रीमेज रिजुबिनेशन एंड स्प्रीचुअल ऑगमेंटेशन ड्राइव)’ नामक दो पहलों की शुरूआत की गई है, ताकि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए काफी मदद मिले।
हम जो सुरक्षा तंत्र तैयार करते हैं, जो सावधानियां हम लागू करते हैं, उससे हमारे अतिथियों को निश्चित तौर पर आश्वस्त होना चाहिए, ताकि उन्हें अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा और उनके सामानों की सुरक्षा के बारे में कतई कोई आशंका नहीं हो। पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटकों को महत्वपूर्ण जानकारी देने और उन्हें आकस्मिक समय में मार्गदर्शन के लिए 24 घंटे 7 दिन के लिए अतुल्य भारत हेल्पलाइन शुरू किया है, ताकि पर्यटकों की सुरक्षा संबंधी चिन्ताओं का समाधान किया जा सके। पर्यटकों के लिए “करें और न करें” पर आधारित जानकारी सहित प्रवासन काउंटरों पर “वेलकम बुकलेट” बांटी जा रही हैं, जो विदेशी पर्यटकों के आगमन पर तत्काल उनके के लिए मददगार होंगी।
इसी प्रकार स्वच्छता संबंधी मानकों में उतार चढाव का नकारात्मक प्रभाव होता है। ऐसे में जब हमारा पर्यटन उद्योग हमारे सांस्कृतिक स्थलों, हमारे साहसिक पर्यटन केन्द्रों के नजारे और हमारी वास्तुकला की समृद्ध विरासत को काफी सुंदर बनाना चाहता है, ऐसे में यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा। पर्यटन केन्द्रों पर स्वच्छता और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय के ‘स्वच्छ भारत-स्वच्छ पर्यटन अभियान’ सही दिशा में एक स्वागतयोग्य कदम हैं। यह भारत को समझने के सभी पहलुओं को लेकर इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सभी हितधारकों को साथ मिलकर काम करने का आह्वान करता है। मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि इसके लिए पर्यटन मंत्रालय आगे आकर सर्वोच्च मानदण्ड निर्धारित करे। देशभर में विभिन्न स्थापनाओं द्वारा इन मानदण्डों को कायम रखने मैं इनकी प्रभावकारी निगरानी के लिए प्रणालियां विकसित करना उतना ही महत्वपूर्ण है।
दूरस्थ स्थानों तक शीघ्र पहुंचना, व्यापक तौर पर सुलभ आय प्राप्त होना और रहन-सहन की आकांक्षाएं बढ़ना अब यात्रियों की संख्या में वृद्धि का सूचक हैं। मैं पर्यटन उद्योग से अपेक्षा करता हूं कि अपने निवेश की तर्कसंगत योजना इस प्रकार तैयार करें ताकि हमारी प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत से समझौता किए बिना इस क्षेत्र में वृद्धि सुनिश्चित हो सके। ऊर्जा और जल के उपभोग के लिए नई-नई विधियां शुरू होनी चाहिए। पर्यटन संस्थापनाओं और आतिथ्य ईकाइयों पर इस प्रकार संचालन करने का उत्तरदायित्व होना चाहिए, ताकि वे जल और ऊर्जा का उपभोग घटाने, कचरा उत्पन्न होने में कमी लाने, कचरा प्रबंधन में सुधार लाने और सृजनशील पुनश्चक्रण और प्रभावकारी कचरा निपटारा करने में समर्थ हो सकें।
पर्यटकों और उनके स्वागत में लगे समुदायों के बीच व्यापक सामाजिक संपर्कों के बल पर परस्पर समझदारी, सहनशीलता और लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। पर्यटन से विभिन्न राष्ट्रों के बीच और विश्व भर के दूरस्थ समुदायों के बीच निकट सम्बंध और सांस्कृतिक आदान-प्रदान कायम होता है।
भारत में विश्व भर के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन अनुभवों में से एक उपलब्ध कराता है और मझे कोई संदेह नहीं है कि हम एक साथ मिलकर भारत को विश्व के पर्यटन नक्शे पर इसका सही स्थान दिला सकते हैं।
मैं एक बार फिर उन सभी को बधाई देता हूं जिनकी पहलों और जिनके कठिन परिश्रम ने आज मान्यता प्राप्त की है। मैं आने वाले वर्षो में हमारे पर्यटन उद्योग के विकास और विस्तार में आप सभी की अच्छी सफलता की कामना करता हूं।