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राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्व विद्यालय तथा राज्य शैक्षिक प्रबन्धन एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर मुख्यमंत्री हरीश रावत

उत्तराखंड
देहरादून : मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश में शैक्षिक वातावरण के उन्नयन पर विशेष ध्यान देने की बात कही है। उन्होंने कहा कि शिक्षा में प्रगति करने से ही राज्य के विकास में तेजी आ

सकती है। ग्रास रूट पर शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वालों की सराहना करते हुए उन्होंने इस दिशा में और ध्यान देने की जरूरत बतायी, इसके लिये न्यूपा (एनयूईपीए) तथा सीमेट (एसआईईएमएटी) को इस क्षेत्र में मिलाकर कार्य करने को कहा।
मंगलवार को आईआईपी में राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्व विद्यालय (एनयूईपीए)  तथा राज्य शैक्षिक प्रबन्धन एवं प्रशिक्षण संस्थान (एसआईईएमएटी) द्वारा आयोजित दो दिवसीय राज्य के शिक्षा अधिकारियों का शैक्षिक नियोजन एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में सर्वाधिक निवेश किया जा रहा है। शिक्षा के बल पर ही राज्य में प्रगति आ सकती है। अतः हमे शिक्षा की गति में तेजी लाने तथा गुणवत्ता के विकास के प्रति विशेष ध्यान देना होगा, इसके लिये शिक्षकों के साथ ही समाज को भी जोड़ना होगा। राज्य में शिक्षा का बेहतर वातावरण बनाने के लिये इससे जुड़े लोगों को भी साथ लेकर अभियान चलायें जाने की भी बात उन्होंने कही।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य में 20 हजार की आबादी पर एक तकनीकि संस्थान है, हमें इसका लाभ लेते हुए इस क्षेत्र में आ रहे ठहराव को दूर करना होगा। हमें शिक्षा को प्रतियोगितात्मक बनाना होगा, इसके लिये रोड़मेप तैयार किया जाना होगा। शिक्षा की गुणवत्ता व तकनीकि दक्षता के विकास के लिये विकासात्मक योजनाओं से 01 प्रतिशत सेस के रूप में भी इसके लिये धनराशि की व्यवस्था की जा सकती है। हमारी नीति बौद्धिक विकास वाली होनी चाहिए। उन्होंने सीमेट से युवाओं की क्षमता विकास की दिशा में भी ध्यान देने को कहा।
उन्होंने बीईओ, डीईओ, सीआरसी, बीआरसी का प्रत्येक तीन माह में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के भी निर्देश दिये ताकि शिक्षा के क्षेत्र में आ रहे तकनीकि परिवर्तनों की उन्हें जानकारी हो। उन्होंने कहा कि अधिकारियों का कार्य केवल अध्यापकों की उपस्थिति देखना ही नहीं है, उन्हें ग्रास रूट पर विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था, शिक्षा का स्तर उसमें आ रही कठिनाईयों की जानकारी प्राप्त कर इसमें कैसे बेहतर सुधार किया जा सकता है, इस पर भी ध्यान देना चाहिए। जितनी भी शिक्षा के क्षेत्र में समितियां बनी है, उनका भी आपस मंे समन्वय होना चाहिए। इससे शिक्षा की गुणवत्ता के विकास में मदद मिल सकती है।
उहोंने कहा कि शिक्षकों के साथ अभिभावकों को भी बच्चों की जरूरतों का ध्यान रखना होगा। वे अच्छी  शिक्षा प्राप्त कर अच्छे नागरिक बने यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा से जुड़े लोगों को समाज से भी जोड़ना होगा, ताकि ग्रामीण बौद्धिक विकास में भी मदद मिल सके। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में प्रशिक्षण को महत्वपूर्ण बताते हुए निर्देश दिये कि स्कूल ड्राप बच्चों की भी सूची बनायी जानी चाहिये, ये बच्चे भी समाज की जिम्मेदारी है, इनकी वोकेशनल ट्रेनिंग की भी व्यवस्था विद्यालयों में की जानी चाहिए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने सीमेट की पत्रिका ‘प्रबोध’ का भी विमोचन किया।
विद्यालयी शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने सीमेट को न्यूफा का सेंटर बनाने तथा राज्य की ट्रेनिंग पाॅलिसी बनाने की बात कही। सचिव एवं महानिदेशक शिक्षा डी. सेंथिल पांडियन ने प्रदेश में शिक्षा के विकास हेतु किये जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव एस. राजू, एनयूईएफए की प्रो. नजमा अख्तर, प्रो. एसएम जैदी, वीके पाण्डा के साथ ही सीमेट व शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारी सभी बीईओ, डीईओ आदि उपस्थित थे।

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