नई दिल्ली: गृह मामले मंत्रालय ने आज यहां अपराध एवं अपराधियों पर नजर रखने के नेटवर्क और प्रणालियों (सीसीटीएनएस) पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिससे कि क्रियान्वयन की स्थिति की समीक्षा की जा सके और इसके बेहतर और कारगर क्रियान्वयन के लिए एक समयबद्ध रणनीति का निर्माण किया जा सके। दिनभर चलने वाली इस कार्यशाला में सीसीटीएनएस परियोजना को संचालित करने वाले राज्य सरकार के अधिकारी, राज्यों के बंदीगृहों के महानिदेशक इस परियोजना पर काम करने वाली आईटी कंपनियों एवं सलाहकार कंपनी के पेशेवर अधिकारियों और एनआईसी ने भाग लिया।कार्यशाला में सीसीटीएनएस परियोजना की वर्तमान स्थिति पर विस्तार से चर्चा की गई। देश भर के 14,324 पुलिस थानों में से लगभग 11,000 पुलिस थाने एफआईआर के पंजीकरण के लिए सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर का उपयोग करते है। इनमें से लगभग 9,000 पुलिस थानों ने एफआईआर दर्ज करने के लिए केवल इसी प्रणाली का उपयोग किया। वर्तमान में बिहार और राजस्थान में वेंडरों के साथ अनुबंध रद्द हो जाने के कारण यह परियोजना स्थगित है।
तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, दिल्ली, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्यों ने सीसीटीएनएस परियोजना को पूरी तरह क्रियान्वित कर दिया है।
कार्यशाला में इस परियोजना को समयबद्ध तरीके से पूरी करने तथा इस परियोजना की निर्वहनीयता के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा की गई। कार्यशाला में भाग लेने वालों ने यूआईडी तथा क्षेत्रीय स्तर की जांच को सुगम बनाने के लिए मोबाइल एवं हाथ से पकड़े जाने वाले उपकरणों से जुड़े राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर जैसी ई-गवर्नेंस प्रणालियों के साथ परियोजना के केन्द्रीय एकीकरण की अनुशंसा की। निर्णय निर्माण के लिए प्रणाली को उपयोगी बनाने तथा उच्चतर अधिकारियों द्वारा निगरानी के लिए कनेक्टिविटी, विजुअल डैशबोर्ड तथा इंटेलीजेंस टूल्स के लिए बढे हुए बैंडविडथ के मुद्वों पर भी चर्चा की गई। उन्होंने जेलों, अदालतों, अभियोजन एवं फोरेंसिक लैब जैसी न्याय आपूर्ति के अन्य तत्वों के साथ इसके समेकन पर भी विचार विमर्श किया। राज्यों ने यह भी मांग की कि इस परियोजना के लिए वित्त पोषण केंद्र सरकार द्वारा जारी रखी जानी चाहिए।