नई दिल्ली: आज विशाखापत्तनम के नौसेना गोदी पर एक रंगारंग समारोह में नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर.के.धोवन ने आईएनएस कदमट्ट का जलावतरण किया। यह पोत प्रोजेक्ट 28 (पी28) के
अंतर्गत दूसरा पनडुब्बी निरोधी युद्धपोत है। हिन्द महासागर क्षेत्र में मौजूदा हालात के मद्देनजर आईएनएस कदमट्ट से भारतीय नौसेना की पहुंच और क्षमता बढ़ेगी।
इस अवसर पर एडमिरल आर.के.धोवन ने उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए कहा कि आईएनएस कदमट्ट का जलावतरण ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भरता’ की दिशा में एक और अहम कदम है। उल्लेखनीय है कि यह पोत चार एएसडब्ल्यू कॉर्वेट में शामिल है जिसे घरेलू स्तर पर निर्मित किया गया है। इसके निर्माण में नौसेना डिजाइन निदेशालय और गार्डन रीच शिप बिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड, कोलकाता ने सहयोग किया है।
इसके पहले एक अन्य एएसडब्ल्यू कार्वेट को 1968 में पूर्व सोवियत संघ से प्राप्त किया गया था। इस पोत ने 24 साल देश की सेवा की तथा 1971 के भारत-पाक युद्ध, श्रीलंका में ऑपरेशन पवन और ऑपरेशन ताशा में अहम भूमिका निभाई थी।
आईएनएस कदमट्ट का नाम भारत के पश्चिमी छोर पर स्थिति लक्ष्यद्वीप द्वीप समूहों के एक द्वीप पर रखा गया है। लक्ष्यद्वीप द्वीप समूहों और नौसेना का विशेष संबंध है और यहां आईएनएस द्वीपरक्षक का बेस स्थित है। एडमिरल आर.के.धोवन ने कहा कि आईएनएस कदमट्ट के जलावतरण से हमारे द्वीपीय सरहदों का महत्व रेखांकित होता है।
आईएनएस कदमट्ट टोटल एटमॉसफेरिक कंट्रोल सिस्टम, इंटीग्रेटेड प्लेटफार्म मेनेजमेंट सिस्टम, इंटीग्रेटेड ब्रिज सिस्टम, बैटल डैमेज कंट्रोल सिस्टम और परसेनल लोकेटर सिस्टम से लैस है। उल्लेखनीय है कि इस पोत को ‘मेक इन इंडिया’ के लक्ष्य के तहत निर्मित किया गया है। जहाज का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा देश में ही तैयार किया गया है और इसे परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध के हालात से निपटने के योग्य बनाया गया है। जहाज के हथियार और संवेदी उपकरण देश में ही तैयार किए गये हैं, जिनमें कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम, रॉकेट लॉन्चर, तारपीडो ट्यूब लॉन्चर और इन्फ्रा-रेड सिग्नेचर सप्रेशन सिस्टम शामिल हैं।
जहाज पर तैनात नौसेना दल की सुविधाओं का ध्यान रखा गया है। इसका नेतृत्व कमांडर महेश चन्द्र मुदगिल के हाथों में है तथा यह जहाज पूर्वी नौसेना कमान के अधीन पूर्वी बेड़े का महत्वपूर्ण हिस्सा है।