नई दिल्लीः प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली परिवहन विभाग को आदेश दिया कि दिल्ली में 10 साल पुराने डीज़ल और 15 साल पुरानी पेट्रोल की गाड़ियों के नम्बर को वेबसाइट पर डालें और सड़क पर चलते दिखे तो तुरंत सीज करें. इसके साथ ही कोर्ट ने सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) से कहा है कि वह सोशल मीडिया पर अकाउंट खोले ताकि लोग उसपर प्रदूषण संबंधी शिकायत दर्ज कर सके. इस 0मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण की भयावह स्थिति है और पुरानी दिल्ली में हालात बहुत खराब है.
कोर्ट ने कहा कि सुबह उठने के साथ ही धुंध की स्थिति से ही अंदाज लगा सकते है कि दिल्ली में प्रदूषण की क्या स्थिति है. एमिकस कयूरी वकील ने कहा कि सरकार व अधिकारी नहीं सुनते, वह जनता के प्रति जवाबदेह हैं, इसलिए सोशल मीडिया की ज़रूरत है.
आपको बता दें कि 26 अप्रैल 2014 को नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते पलूशन को लेकर आदेश जारी किया था.इसके तहत एनसीआर में 15 साल पुराने वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया गया. वहीं, 7 अप्रैल 2015 को एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल चालित वाहनों के संचालन पर प्रतिबंध लगाया गया.यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था, लेकिन सुनवाई के बाद डीजल चालित 10 साल पुराने वाहन और पेट्रोल चालित 15 साल पुराने वाहनों पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया गया था. साथ ही, इन्हें सड़क पर चलने से रोकने के लिए भी निर्देश दिए गए थे.
इस आदेश के बावजूद शहर की सड़कों पर ऐसे वाहन लगातार काला धुआं छोड़ रहे हैं और प्रदूषण बढ़ा रहे हैं. हालांकि कागजों में तो ऐसे वाहनों का रजिस्ट्रेशन बंद हो गया था. साथ ही, इनका इंश्योरेंस भी नहीं किया जा रहा है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस व रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (आरटीए) की लचर कार्यप्रणाली के चलते ऐसे वाहन सड़क से अब तक नहीं हटे हैं. इन दोनों विभागों ने ऐसे वाहनों को रोकने के लिए कोई खास अभियान नहीं चलाया है.वायु प्रदूषण के मद्देनजर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्र और राज्य की निगरानी मे दो कमेटियों का गठन करने का आदेश दिया था.
इसके अलावा एनजीटी ने दीवाली के बाद बढ़े हुए प्रदूषण जैसी दोबारा आने पर राज्य सरकारों को आपातकाल घोषित करने को लेकर निर्देश जारी किए थे.पिछले साल एनजीटी ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान उत्तर प्रदेश चार राज्यों को कहा था कि पीएम 10 व 2.5 का स्तर 431 व 251 के पार जा चुका है. लिहाज़ा ये पर्यावरण इमरजेंसी है. हमें तुरंत इसे कम करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे. Zee