नई दिल्ली: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ‘आपदा प्रबंधन में जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) के अनुप्रयोग’ पर आज एक दो दिवसीय कार्यशाला शुरु हुई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्वेश्य प्रतिभागियों को भू-सूचना उपकरणों का प्रभावी तरीके से उपयोग करने में सहायता करना है।
12 राज्यों, संघ शासित प्रदेशों एवं राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कुल 19 प्रतिनिधि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं जो एक समेकित मंच के जरिये अधिक कारगर एवं प्रभावी तरीके से आपदाओं का प्रबंधन के लिए वेब आधारित जीआईएस सेवाओं की आवश्यकता, भूमिका एवं दायरे को समझने में सहायता करेगा।
एनडीएमए, भारतीय सुदूर संवेदी संस्थान (आईआईआरएस), राष्ट्रीय स्थानिक डाटा अवसंरचना (एनएसटीआई), टेरी विश्वविद्यालय एवं ईएसआरआई के विशेषज्ञ भू सूचना उपकरणों के विभिन्न पहलुओं पर प्रतिभागियों को प्रशिक्षित करेंगे।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एनडीएमए के सदस्य डॉ. डी एन शर्मा ने आपदा नुकसान में कमी लाने के लिए भू स्थानिक उपकरणों के जरिये गुणवत्तापूर्ण तरीके से जोखिम की परिमाण निर्धारित करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला विभिन्न हितधारकों द्वारा एक मंच पर जीआईएस डाटाबेस को समेकित एवं साझा करने की दिशा में पहला कदम साबित होगा। आपदा के बाद की स्थिति में महत्वपूर्ण निर्णय निर्माण गुणवत्तापूर्ण भू स्थानिक सूचना पर निर्भर करते हैं और इसे प्रमाणिक बनाने की जरुरत है जिससे कि सभी हितधारक एक ही सूचना का उपयोग करने में सक्षम हों तथा किसी भी स्थिति के लिए एकसमान प्रतिक्रिया सुनिश्चित कर सकें।