लखनऊ: उत्तर प्रदेश के वाणिज्य कर विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-19 में गत वर्ष प्राप्त राजस्व के सापेक्ष 27.5 प्रतिशत की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज करते हुए उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। विभाग द्वारा निर्धारित लक्ष्य से भी अधिक लगभग 102 प्रतिशत राजस्व अर्जित किया गया है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। गत वर्ष विभाग द्वारा माह अप्रैल से नवम्बर तक कुल 37047 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हुआ था जबकि इस वित्तीय वर्ष में माह नवम्बर 2018 तक 47263 करोड़ रुपये राजस्व अर्जित किया गया है, जो गत वर्ष के सापेक्ष 10215 करोड़ रुपये अधिक है। यदि प्रदेश के जीएसटी राजस्व को देश के राजस्व के परिप्रेक्ष्य में देखा जाये तो गत तीन माह में देश के जीएसटी राजस्व वृद्धि दर 2.6 प्रतिशत के सापेक्ष प्रदेश की वृद्धि दर 27.5 प्रतिशत है।
यह जानकारी आयुक्त वाणिज्य कर श्रीमती कामिनी चैहान रतन ने दी है। उन्होंने बताया कि देश में 01 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू किया गया था तथा जीएसटी लागू होने पर यह संभावना व्यक्त की गई थी कि इसका सर्वाधिक लाभ उपभोक्ता राज्यों को मिलेगा। किन्तु वस्तुस्थिति इसके विपरीत रही और अधिकांश उपभोक्ता राज्यों बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, उत्तराखण्ड, राजस्थान आदि के राजस्व में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो सकी बल्कि ये राज्य अभी भी केन्द्र द्वारा दी जा रही क्षतिपूर्ति पर निर्भर है। जबकि उत्तर प्रदेश द्वारा न केवल निर्धारित लक्ष्य प्राप्त किया गया है अपितु निर्धारित लक्ष्य से भी अधिक राजस्व का अर्जन किया गया और संगत वित्तीय वर्ष में केन्द्र से कोई क्षतिपूर्ति नहीं मॉगी गई। उन्होंने बताया कि राजस्व वृद्धि का प्रमुख कारण मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में समेकित, योजनाबद्ध एवं परिणामपरक, प्रवर्तन एवं अनुश्रवण के कार्य को जाता है। विभाग द्वारा जीएसटी लागू होने के उपरान्त 7.5 लाख नये व्यापारियों को पंजीकृत कराया गया है एवं 86 प्रतिशत व्यापारियों से नियमित रिटर्न दाखिल कराए जा रहे हैं, जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है एवं देश के महत्वपूर्ण राज्यों में सर्वाधिक है।
कमिश्नर वाणिज्य कर ने बताया कि अपर मुख्य सचिव के निर्देशानुसार प्रभावी प्रवर्तन कार्यवाही संचालित करने हेतु प्रदेश मुख्यालय पर केन्द्रीयकृत प्रवर्तन इकाई का गठन किया गया है। इकाई में तैनात अधिकारियों द्वारा विभिन्न ऑनलाईन सूचनाओं का विश्लेषण करते हुए बोगस फर्मों के एक रैकेट का पर्दाफाश किया गया जिसमें बोगस नाम व पते के आधार पर 17 प्रदेशों में 142 फर्जी पंजीयन पाए गए, जिसमें से 56 फर्जी पंजीयन उत्तर प्रदेश में थे। इस मामले में विस्तृत थ्प्त् दर्ज कराई गई है। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार केन्द्रीय प्रवर्तन दल द्वारा ऑनलाईन उपलब्ध ई-वे बिल व रिटर्न की सूचनाओं का मिलान कर 68 फर्मों की एक साथ जॉच की गई, जिसमें 302.51 करोड़ रुपये के फर्जी टैक्स इनवाइस जारी करना और उन फर्जी टैक्स इनवाइस से 70.65 करोड़ रुपये की कर चोरी का मामला प्रकाश में लाया गया। आयरन और स्टील की निर्माता इकाईयों द्वारा की जा रही कर चोरी को रोकने के लिए भी टीम बनाकर विस्तृत अध्ययन करते हुए 05 निर्माता इकाईयों की एक साथ जॉच की गई और उनसे सम्बन्धित 14 वाहनों में 25 करोड़ रुपये का अघोषित माल सीज किया गया तथा इस मामले में अभी तक लगभग 04 करोड़ रुपये से अधिक की पेनाल्टी जमा कराई जा चुकी है।
कमिश्नर, वाणिज्य कर ने बताया कि पान-मसाला उद्योग में हो रहे करापवंचन को रोकने के लिए लखनऊ की प्रवर्तन इकाईयों द्वारा पान-मसाला पैकिंग मैटीरियल की ट्रेडिंग फर्मों के माध्यम से किए जा रहे करापवंचन के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए 04 ट्रेडिंग फर्मों के गोदामों से लगभग 11 करोड़ रुपये के पान-मसाले का पैकिंग मैटीरियल सीज किया गया है तथा इस रैकेट में शामिल लखनऊ, गोरखपुर, कानपुर, मथुरा, झांसी व इलाहाबाद में 14 ट्रेडिंग फर्मों की जॉच कराते हुए कार्यवाही आरम्भ कराई गई। पैकिंग मैटीरियल के सीजर के विरूद्ध इन 04 ट्रेडिंग फर्मों द्वारा उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष याचिकाएं प्रस्तुत की गई जिनमें समय से प्रभावी पैरवी करते हुए न्यायालय में विभाग का पक्ष प्रस्तुत किया गया जिसके कारण पान-मसाला पैकिंग मैटीरियल की इन फर्मों को उच्च न्यायालय से भी कोई राहत नहीं मिली। उन्होंने बताया कि विभाग के केन्द्रीय प्रवर्तन दल एवं अन्य प्रवर्तन इकाईयों द्वारा की गई इन कार्यवाहियों के आधार पर करापवंचकों के विरूद्ध अभी तक 30 थ्प्त् कराई जा चुकी हैं। प्रदेश में कार्यरत प्रवर्तन इकाईयों द्वारा अभी तक 240 करोड़ रुपये का राजस्व जमा कराया गया है।
कमिश्नर, वाणिज्य कर ने अधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं कि प्रवर्तन के नाम पर किसी भी ईमानदार व्यापारी का कोई उत्पीड़न न किया जाए और करापवंचकों को चिन्हित कर उनके विरूद्ध तथ्यों का संकलन करने के उपरान्त ही प्रभावी कार्यवाही की जाए ।
व्यापारियों की सुविधा के लिए अधिकारियों को रिफण्ड आदि के कार्य में तत्परता से कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं और निर्यातकों तथा अन्य छोटे व्यापारियों को अभी तक कुल 342 करोड़ रुपये की धनराशि का रिफण्ड दिया जा चुका है। छोटे व्यापारियों की सुविधा के लिए विभाग द्वारा ‘‘वाणिज्य कर विभाग आपके द्वार’’ कार्यक्रम भी चलाया गया है, जिससे अभी तक लगभग 02 लाख व्यापारी लाभान्वित हुए हैं। विभाग द्वारा ईमानदार करदाताओं के लिए सुगम एवं पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है किन्तु करापवंचकों के विरूद्ध निरन्तर कठोर कार्यवाही की जा रही है।