नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि देश में मात्स्यिकी और जल कृषि में हुई तेज प्रगति से मछली पालकों और किसानों की आमदनी लगातार बढ़ रही है और आने वाले दिनों में यह बड़े पैमाने पर मछली पालकों और किसानों को आर्थिक लाभ पहुंचाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री ने ये बात आज विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में कही।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि पशुधन विकास, किसानों की आय दोगुनी करने की सबसे अच्छी रणनीति है। यही वजह है कि वर्ष 2016-17 के लिए इस विभाग के लिए रु॰ 1700 करोड़ का बजट रखा गया है, जो पिछले वर्ष से 21% अधिक है। श्री सिंह ने कहा कि खुशी की बात है कि इस वर्ष, 72% से अधिक बजट राज्यों के विकास के लिए जारी कर दिया गया है जो पिछले वर्षों मे इतनी तेजी से कभी नही हुआ। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि अब राज्यों की ज़िम्मेदारी है कि वे इसे उचित तरीके से खर्च करें और फ़ंड पार्किंग न करें।
श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि मछली पालन से तीन फ़ायदे होंगे, पहला, मत्स्य किसानों की आय मे बढ़ोत्तरी, दूसरा,देश के निर्यात तथा GDP मे अधिक प्रगति, तथा तीसरा, देश मे पोषण तथा खाद्य-सुरक्षा की सुनिश्चितता।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि पशुधन, डेयरी,मात्स्यिकी विभाग पिछले 6 महीनों से अथक प्रयास कर कई नई योजनाओ को अंजाम दे रहा है। विभाग ने दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, देशी गाय की नस्लों के सुधार हेतु‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’, चौपायों तथा भेड़ बकरी की उच्च नस्ल के विकास हेतु ‘राष्ट्रीय लाईवस्टॉक मिशन’ आदि चलाया है। श्री सिंह ने बताया कि अकेले दुग्ध उत्पादन का मूल्य जो कि वर्ष 2014-15 मे रु॰ 4.92 लाख करोड़ था, का धान व गेहूं के सकल उत्पादन से 37% तक अधिक है। वर्ष 2015-16 के अनुमान के अनुसार लगभग रु॰1 लाख करोड़ का मत्स्य उत्पादन देश मे हुआ है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि मछली उत्पादन में भारत, विश्व में चीन के बाद लगातार दूसरे नंबर पर बना हुआ है। देश में मात्स्यिकी एक बड़ा सेक्टर है और लगभग 150 लाख लोग मत्स्य व्यवसाय से जुड़े हुये हैं। श्रीम्प (झींगा) मछली मे भारत विश्व मे प्रथम स्थान रखता है और यह झींगा का सबसे बड़ा निर्यातक (exporter) है। श्री सिंह ने बताया कि सभी मत्स्य उत्पादन मिलाकर, वर्ष 2015-16 में देश मे अनुमानित 10.8 मिलियन टन मछली उत्पादन हुआ, जो कि विश्व के कुल मछली उत्पादन का लगभग 6.4 प्रतिशत है। भारत जल कृषि से मछली उत्पादन करने वाला दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक (42.10 लाख टन) देश है। वैश्विक जलकृषि उत्पादन में यह लगभग 6.3 प्रतिशत का योगदान करता है। पिछ्ले एक दशक मे जहाँ विश्व में मछ्ली एवं मत्स्य-उत्पादो के निर्यात की औसत वार्षिक विकास दर 7.5 प्रतिशत रही, वही भारत मत्स्य-उत्पादो के निर्यात मे 14.8 प्रतिशत की औसत वार्षिक विकास दर के साथ विश्व में प्रथम स्थान पर रहा।
श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले ढाई वर्षों में मात्स्यिकी सेक्टर तथा किसानों के हित में लगातार नयी – नयी योजनाएं बनाई और उन्हें देश भर में सफलतापूर्वक लागू किया। उन्होंने कहा कि मात्स्यिकी की सफलता भी सरकार के निरंतर प्रयासों का नतीजा है। विश्व् मात्स्यिकी दिवस भी उनकी सरकार बनने के बाद से ही गत दो वर्षों से मनाया जा रहा है। श्री सिंह ने कहा कि माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के समस्त विकास का नारा तथा विजन दिया है- किसानों की आय को दुगुना करना। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार ने मत्स्य विकास पर जोर दिया है और एक्वाकल्चर तथा समुद्री (marine) फिशरीज़ द्वारा मत्स्य पालकों तथा मछुआरों, किसानों की आय वर्ष 2022 तक दो गुना करने का लक्ष्य रखा है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि अंतर्देशीय या inlandफिशरीज़ से 72.1 लाख टन मछली उत्पादन कर भारत विश्व मे दूसरा स्थान रखता है और भारत अंतर्देशीय मत्स्य पालन में लगभग 8.0 प्रतिशत की विकास दर हासिल कर सकता है। श्री सिंह ने कहा कि मात्स्यिकी मे विकास की सम्भावनाओ को देखते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मात्स्यिकी क्षेत्र में “नीली क्रांति” का आह्वान किया था। इसके बाद मंत्रालय ने मौजूदा सभी योजनाओं को एक में विलय कर 3000 करोड़ रूपए की एक-छत्र योजना ‘नीली क्रांति: मात्स्यिकी के एकीकृत विकास और प्रबंधन’ की शुरुआत की। इस योजना में अंतर्देशीय मात्स्यिकी, जलकृषि, समुद्री मात्स्यिकी समेत गहन समुद्री मत्स्यन, समुद्री मछली पालन और राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के सभी क्रियाकलाप शामिल हैं।
श्री सिंह ने कहा कि पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग ने मछली उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि और नीली-क्रांति का लक्ष्य हासिल करने के लिए अगले 5 वर्षों के लिए एक राष्ट्रीय मात्स्यिकी कार्य योजना 2020 (NFAP) बनायी है। इस कार्य योजना को देश में मौजूद विभिन्न मात्स्यिकी संसाधनो जैसे तालाबों तथा टैंको, आर्द्रभूमियों, खाराजल,शीतजल, झीलें और जलाशय, नदियां तथा नहरें और समुद्री सेक्टर को शामिल किया गया है। सभी राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों को अपने राज्यों/संघ राज्य क्षेत्र में नीलीक्रांति के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अगले 5 वर्षों के लिये NFAP-2020के अनुसार ‘राज्य कार्य योजना’ तैयार करने के लिए कहा गया है। श्री सिंह ने कहा कि नीली-क्रांति योजना द्वारा मछ्ली की उत्पादकता और उत्पादन लगभग 8 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि-दर के साथ सन 2020 तक मत्स्य-उत्पादन 15 मिलियन टनपहुंचाने का लक्ष्य है। नई ‘राष्ट्रीय समुद्री मात्स्यिकी नीति’ के साथ एक ‘राष्ट्रीय अंतःस्थलीय मात्स्यिकी नीति’ (National Inland Fisheries Policy) लाने का प्रयास किया जा रहा है जोInland Fisheries के क्षेत्र मे पूरे देश मे एक समग्र एवं समेकित विकास की रूप-रेखा तय करेगी।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि जलकृषि के लिए लगभग 26,869 हैक्टेयर क्षेत्रफल विकसित किया गया है, जिससे 63,372 मछुआरों को लाभ हुआ है। उन्होंने कहा कि मछुवारा-कल्याण के अंतर्गत पिछले दो वर्षों के दौरान, 9,603 मछुआरा आवासों के निर्माण के लिए सहायता दी गई है जबकि 20,705 मछुआरों को प्रशिक्षण दिया गया है तथा लगभग 50 लाख मछुआरों को वार्षिक बीमा सहायता दी गई है।
इस अवसर पर केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री सुदर्शन भगत, पशुपालन, डेयरी तथा मात्स्यिकी सचिव श्री देवेन्द्र चौधरी के साथ विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
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