लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि किसानों की मदद के लिए चलायी जा रही फसल बीमा योजनाआंे में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग फसलों के प्रीमियम निर्धारण को तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए, ताकि किसानांे को इसका लाभ मिल सके। फसलों के नुकसान होने की दशा में किसानों को हुई क्षति का पूरा मुआवजा मिलना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने यह विचार आज यहां शास्त्री भवन में आयोजित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की प्रगति की समीक्षा बैठक के दौरान व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत किसानों के हितों के अनुरूप सुधार की आवश्यकता पड़ने पर केन्द्र से अनुरोध किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि किसानों की सुविधा के लिए इस योजना के तहत बीमा कवर देने वाली कम्पनियों के कार्यालय जनपद स्तर पर स्थापित किये जाएं, जहां लैण्डलाइन टेलीफोन सुविधा उपलब्ध हो। साथ ही, किसानों की मदद के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नम्बर भी स्थापित किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस योजना के तहत सेवा प्रदाता बीमा कम्पनियां अपनी योजनाओं और सेवाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करें। अपनी फसल बीमा योजनाओं के सम्बन्ध में वाॅल राइटिंग भी करवाएं। इनके सम्बन्ध में ब्लाॅक स्तर पर कृषक गोष्ठियां भी आयोजित की जाएं और उनमें कृषकों को योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाए। इन गोष्ठियों में सम्बन्धित फसल बीमा कम्पनियों के प्रतिनिधि कृषकों को जानकारी देने के लिए मौजूद रहें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जो किसान ऋण नहीं ले रहे हैं, उन्हें भी फसल बीमा करवाने की सुविधा उपलब्ध करायी जाए। उन्होंने कृषि में अभिनव प्रयोगों जैसे-आॅर्गेनिक खेती, उत्पादकता बढ़ाने तथा फसल को कीटों और रोगों से बचाने के लिए गौमूत्र के प्रयोग तथा गोबर की खाद के उपयोग पर बल देते हुए कहा कि इस सम्बन्ध में हर जिले में कृषि राज्यमंत्री के नेतृत्व में एक विस्तृत कृषक गोष्ठी का आयोजन किया जाए तथा उसके उपरान्त प्रेसवार्ता भी आयोजित की जाए।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री जी को प्रमुख सचिव कृषि श्री अमित मोहन प्रसाद ने अवगत कराया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्राकृतिक आपदाओं, रोगों, कीटों से फसल की क्षति की स्थिति में कृषकों को बीमा कवर के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से लागू की गई है। इसके तहत खरीफ तथा रबी की फसलें बीमित हैं। फसली ऋण लेने वाले कृषक अनिवार्य रूप से इस योजना में कवर किये जाते हैं। इसके अलावा, मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अन्तर्गत फल और सब्जियों का भी बीमा किया जाता है।
प्रमुख सचिव ने बताया कि खरीफ मौसम 2016 के दौरान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 35.84 लाख किसान बीमित थे। जबकि खरीफ 2017 के दौरान 25.56 लाख कृषक बीमित थे। इसी प्रकार रबी 2016-17 के दौरान 29.81 लाख किसान बीमित थे। जबकि रबी 2017-18 के दौरान 28.01 लाख किसान बीमित थे। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत अधिक से अधिक किसानों को आच्छादित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की अध्यक्षता में मूल्यांकन अध्ययन के लिए समिति का गठन 12 मार्च, 2018 को किया गया। समिति द्वारा किसानों के हित में कई निर्णय लिए गये हैं, जिनके सम्बन्ध में भारत सरकार से अनुरोध किया गया है।
प्रमुख सचिव कृषि ने बताया कि इस योजना के तहत किसानों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से प्रदेश स्तर पर कार्यवाही की जा रही है। इसके लिए मौसम के प्रारम्भ में बीमा कम्पनी, बैंक कार्मिकों व जनसुविधा केन्द्रों के कार्मिकों को योजना के प्राविधानों एवं पोर्टल पर डाटा अपलोड किये जाने के सम्बन्ध में प्रशिक्षण सुनिश्चित कराया जा रहा है। इसके अलावा अन्य कदम भी उठाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विकासखण्ड स्तर पर बीमा कम्पनी द्वारा 31 जुलाई, 2018 के पूर्व 05 कैपों का आयोजन करते हुए गैरऋणी कृषकों की भागीदारी के सम्बन्ध में सभी जिलाधिकारियों व मण्डलायुक्तों को सूचित किया गया है। उन्होंने कहा कि सभी तकनीकी सहायकों को एक हजार किसानों की भागीदारी सुनिश्चित कराने के भी निर्देश दिए गये हैं।