नई दिल्लीः विचार-विमर्श के परिणामों को जमीनी स्तर पर लागू करने की आवश्यकता पर बल देते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) पूरे देश में बढ़ रहे वायु प्रदूषण के निदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। एनसीएपी पर दो दिवसीय हितधारक परामर्श का आज यहां उद्घाटन करते हुए डॉ. शर्मा ने मानव स्वास्थ्य, जीव-जंतुओं व पेड़-पौधों पर वायु प्रदूषण के कुप्रभावों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हितधारकों को समाज में ‘योगदान देने वाला’ बनना चाहिए।
इस अवसर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव श्री सी. के. मिश्रा ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हमें वायु की गुणवत्ता के बारे में चिंता करनी चाहिए और सरकार के रूप में हमारी यह प्रतिबद्धता होनी चाहिए कि वायु की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए हम आज के विचार-विमर्श के पश्चात एक निश्चित समय सीमा निर्धारित करें। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों और हितधारकों को पूरे देश में स्वच्छ हवा के प्रति जागरूकता फैलानी चाहिए। प्रौद्योगिकी, एनसीएपी का एक महत्वपूर्ण घटक है। हमें साथ मिलकर निदान ढूंढने चाहिएं, जो राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य हो तथा स्थानीय स्तर पर संभव हो।
एनसीएपी एक राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम है। हितधारक परामर्श में सभी राज्य सरकारें भागीदार हैं। एक प्रभावी कार्यान्वयन रणनीति के लिए सभी राज्यों के विचार आवश्यक हैं। एनसीएपी का उद्देश्य वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण तथा इसमें कमी लाना है। पूरे देश में वायु गुणवत्ता की निगरानी क्षमता में वृद्धि करना भी इस कार्यक्रम का लक्ष्य है। एनसीएपी प्रदूषण के सभी स्रोतों के आपसी सहयोग और साझेदारी पर विशेष ध्यान देता है तथा केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों व अन्य हितधारकों के साथ समन्वय स्थापित करता है।
एनसीएपी के क्षमता निर्माण के अंतर्गत सीपीसीबी और एसपीसीबी की अवसंरचना सुविधाओं में वृद्धि की जाएगी तथा श्रमिक बल बढ़ाया जाएगा। एनसीएपी के अंतर्गत प्रभावी कार्यान्वयन के लिए तीन स्तरों की समीक्षा प्रणाली – निगरानी, मूल्यांकन तथा निरीक्षण – लागू की जाएगी। इसके अतिरिक्त आंकड़ों की भी विश्वसनीय व पारदर्शी संग्रह प्रणाली लागू की जाएगी।
एनसीएपी की सफलता हितधारकों की साझेदारी व योगदान के आधार पर निश्चित होगी। इसलिए राज्य सरकारों, संबंधित मंत्रालयों, संस्थानों, शैक्षिक संस्थानों, उद्योगो जैसे विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श की आवश्यकता है। मंजूरी प्राप्त एनसीएपी मंत्रालय के वेबसाइट पर उपलब्ध है और इसमें आम लोगों से टिप्पणियां आमंत्रित की गई हैं।
एनसीएपी के मुख्य घटक हैं – देश के 100 प्रदूषित शहरों में निगरानी संयंत्रों की संख्या में वृद्धि करना, आंकड़ों का विश्लेषण करना, योजना बनाने तथा इसके कार्यान्वयन में आम लोगों की भागीदारी, आंकड़ों के विश्लेषण के लिए वायु सूचना केंद्र की स्थापना करना, घर के अंदर की हवा के प्रदूषण के बारे में दिशा-निर्देश जारी करना आदि।
इस अवसर पर विश्व बैंक और ऊर्जा संसाधन संस्थान (टीईआरआई) के प्रतिनिधि, कोयला मंत्रालय के सचिवश्री सुशील कुमार, डीएसटी के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अपर सचिव श्री ए. के. जैन, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती मंजू पांडे, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष श्री एस.पी.एस. परीहार, ईपीसीए के चेयरमैन श्री भूरेलाल और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इसके अलावा एसपीसीबी के अधिकारियों समेत राज्य सरकारों के अधिकारियों ने भी परामर्श कार्यक्रम में भाग लिया।