नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलिंपिक के जैवलिन थ्रो के फाइनल में 87.58 मीटर तक भाला फेंककर गोल्ड मेडल जीता, जो ओलिंपिक इतिहास में एथलेटिक्स में भारत का पहला मेडल भी है.
अपने एक थ्रो से करोड़ों भारतीयों को खुशियां देने वाले और 100 साल के इंतजार और कई करीबी हार के दुख को खत्म करने वाले नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) का नाम भारतीय खेल इतिहास के सबसे महान खिलाड़ियों में शामिल हो गया है. टोक्यो ओलिंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में भारत के आखिरी इवेंट में अपने दमदार प्रदर्शन से जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मे़डल जीत लिया, जो खेलों के महाकुंभ के लंबे इंतिहास में एथवलेटिक्स में भारत का पहला मेडल है. इतना ही नहीं, टोक्यो ओलिंपिक में भी ये पहला गोल्ड था, जिसके साथ 13 सालों से चला आ रहा गोल्ड मेडल का इंतजार भी खत्म हुआ.
23 साल के नीरज ओलिंपिक की व्यक्तिगत स्पर्धाओं में गोल्ड मेडल जीतने वाले सिर्फ दूसरे भारतीय एथलीट हैं. उनसे पहले 13 साल पहले बिंद्रा ने ही ये कमाल किया था, जिन्होंने भारत के लिए पहला इंडिविजुअल गोल्ड मेडल जीता था. 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल में ये करिश्मा कर तिरंगे और राष्ट्र गान को हर किसी तक पहुंचाया था. जाहिर तौर पर उसके बाद से भारतीय खिलाड़ियों में भी इसको लेकर उम्मीद और यकीन बढ़ गया कि वे भी ओलिंपिक गोल्ड जीत सकते हैं.
हर कोई अभिनव बिंद्रा से होता था प्रेरित
नीरज ने शनिवार 7 अगस्त को जैवलिन थ्रो के फाइनल में 87.58 मीटर दूर तक भाला फेंका था, जिसने उन्हें भारत के ओलिंपिक गोल्ड क्लब में अभिनव बिंद्रा के साथ जगह दिलाई. इस बारे में बात करते हुए नीरज ने कहा, “हमेशा यह शानदार लगता था कि वह भारत के लिये व्यक्तिगत खेलों में एकमात्र स्वर्ण पदकधारी थे. हर कोई उनसे प्रेरित होता. इसलिये आज उनके साथ (इस क्लब) में जुड़ना मेरे लिये सपना सच होने जैसा है. हम सोचते थे कि अभिनव बिंद्रा इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर चुके हैं. आज उनके साथ इस उपलब्धि के लिये जुड़ना बहुत शानदार एहसास है. उन्होंने ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीता और हमें प्रेरित किया. इसलिये उनका बहुत बड़ा योगदान है.”
नीरज के गोल्ड से भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
जैवलिन को भारत में एक नई पहचान देने और लोकप्रिय बनाने वाले नीरज के स्वर्ण पदक के साथ ही भारत ने ओलिंपिक खेलों के इतिहास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी किया. ये टोक्यो ओलिंपिक में भारत का सातवां पदक था और इसके साथ ही भारत ने 2012 के लंदन ओलिंपिक में 6 पदकों के अपने रिकॉर्ड को भी पार कर लिया. 8 अगस्त को खेलों की समाप्ति के साथ भारत ने मेडल टैली में 48वें स्थान पर अपना अभियान समाप्त किया.