नेशनल एलिजबिलिटी एंड एंट्रेंस टेस्ट 2017 (NEET 2017) की परीक्षा न दे पाने वाले 15 आदिवासी छात्रों को 30 लाख रुपए मुआवजा दिया गया। यह मुआवजा मानवाधिकार आयोग की सिफारिश के बाद दिया गया। आयोग ने त्रिपुरा सरकार को कहा था कि बच्चे जिस सरकारी स्कूल में पढ़ रहे थे वहां स्कूल प्रशासन द्वारा भारी लापरवाही हुई है। इसलिए उन्हें राहत के तौर पर मुआवजा दिया जाए।
30 लाख रुपए में प्रत्येक छात्र को दो लाख रुपए दिए गए क्योंकि वे नीट 2017 की प्रतियोगी परीक्षा में कुछ भी नहीं लिख पाए थे। बच्चों ने जिस स्कूल से पझढ़ाई की है उसका नाम एकलव्य मॉडल रेजीडेंशियल स्कूल है जो कि खुमुल्वंग में स्थित है। आयोग ने यह भी सरकार को कहा कि इन्हीं सभी छात्रों को नीट 2018 के लिए फ्री कोचिंग की व्यवस्था भी की जाए।
आयोग ने मामले में त्रिपुरा सरकार को खरी खोटी सुनाते हुए यह भी कहा कि स्कूल के आरोपी प्रिंसिपल और टीचर के खिलाफ जो कार्रवाई हुई है वह भी पर्याप्त नहीं है। सरकार ने छात्रों को मुआवजा देने के बाद मानवाधिकार आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंप दी दी है।
आयोग की जांच में पाया गया कि प्रिंसिपल और टीचर ने छात्रों के ऑनलाइन आवेदन करवाए थे, लेकिन इस आवेदन की फीस टाइम पर जमा नहीं की गई थी जिससे छात्र नीट 2017 की परीक्षा में नहीं बैठ पाए थे। मामला जब मानवाधिकार आयोग के पास पहुंचा तो उसने सीबीएससी से इस पर बात की लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। इसके बाद आयोग ने सरकार को मुआवजा देने की सिफारिश की।
हिन्दुस्तान