नई दिल्ली: केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र का विकास मंत्रालय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि कोविड के बाद अर्थव्यवस्था, व्यापार, वैज्ञानिक अनुसंधान एवं कई अन्य क्षेत्रों में नई और महत्वपूर्ण खोजों की संभावना के साथ नए प्रतिमान उभर कर सामने आएंगे।
एसोचैम द्वारा आयोजित और अन्य लोगों के अतिरिक्त बांग्लादेश के वाणिज्य मंत्री टीपू मुंशी, मेघालय के मुख्यमंत्री कौनरेड सांगमा, तथा बांग्लादेश में उच्चायुक्त सुश्री गांगुली दास की उपस्थिति में भारत-बांग्ला देश ‘वर्चुअल कॉन्फ्रेंस‘ को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले छह वर्षों में पूर्वोत्तर क्षेत्र ने पिछली कई गलतियों की क्षतिपूर्ति की है क्योंकि पहली बार इस क्षेत्र को देश के अन्य क्षेत्रों के समान ध्यान प्राप्त हुआ है। इसने न केवल लोगों के बीच विश्वास का संचार किया है बल्कि भारत के अन्य भागों के साथ विभिन्न स्तरों पर, समस्त पूर्वी सीमाओं के देशों के साथ भी सम्बद्ध होने की क्षमता में बढोतरी की है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जहां तक बांग्लादेश का सवाल है तो विदेशी अंतःक्षेत्रों के विनिमय के लिए भारत-बांग्ला देश करार, जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में संपन्न किया गया, ने व्यवसाय करने की सरलता, आवाजाही की सुगमता और अभिगमन की सुगमता का रास्ता प्रशस्त कर दिया था जो पहले एक मुश्किल कार्य था। उन्होंने कहा कि इसे बांग्लादेश के जन्म के साथ ही, साढ़े चार दशक पूर्व, हो जाना चाहिए था, लेकिन यह शायद पहले की सरकारों की प्राथमिकता में नहीं था।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोनों देशों के बीच पारंपरिक मैत्रीपूर्ण संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि कई अन्य देशों के साथ व्यवसाय करने की तुलना में बांग्लादेश के साथ व्यवसाय करना कहीं अधिक आसान है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, पूर्वोत्तर क्षेत्र को दोनों देशों के बीच व्यापार एवं व्यवसाय को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करना है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि, उभरते परिदृश्य में, बांस न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे उपमहाद्वीप, विशेष रूप से बांग्लादेश जैसे पूर्वी देशों के लिए व्यापार का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनने जा रहा है। उन्होंने कई मदों का उल्लेख किया जिन्हं दोनों देशों के बीच लोकप्रिय व्यापार के लिए बढ़ावा दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, निर्यात हेतु इनमें कोयला, अदरक, नींबू वर्गीय फल, आदि तथा आयात के लिए सीमेंट, प्लास्टिक, पीवीसी पाइप आदि शामिल हैं।
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (डोनर) से सभी संभव सहायता उपलब्ध कराने की पेशकश करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने एसोचैम जैसे व्यापार एवं व्यवसाय संगठनों से सामने आने और परस्पर लाभ के साथ नए उद्योगों एवं व्यवसाय इकाइयों के संवर्धन के लिए पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) मॉडल को सुगम बनाने की अपील की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जहां सरकार एक सक्षमकारी भूमिका निभा सकती है, व्यापार एवं उद्योग निकाय संसाधनों एवं पूंजी के अंतराल को भरने के लिए आगे आ सकते हैं।
इस अवसर पर एसोचैम के विनीत अग्रवाल एवं दीपक सूद ने भी कॉन्फ्रेस को संबोधित किया।