नई दिल्ली: लोक सभा सचिवालय द्वारा तीन राज्यों उत्तराखण्ड,पंजाब तथा हरियाणा के मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए संसदीय प्रक्रियाओं और
पद्वतियों पर आयोजित की तीन दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन लोक सभा के सांसद एवं विशेषाधिकार समिति व पी.ए.सी.के सदस्य श्री एस.एस. अहलुवालिया एवं राज्य सभा के सांसद श्री तरूण विजय तथा विशेषज्ञों ने संसदीय प्रक्रिया की मीडिया कवरेज के संबंध में अवगत कराया और कहा कि समाचारों की पवित्रता बनी रहनी चाहिए उसमें मिलावट नहीं होनी चाहिए। नब्बे के दशक के बाद न्यूज के साथ व्यूज भी दिये जा रहे हैं । वर्तमान में मार्केट के हिसाब से समाचार चल रहें है। पत्रकारों को रचनात्मक एवं सकारात्मक पत्रकारिता करनी चाहिए ताकि समाज को सही दिशा मिल सके ।
एस.एस.अहलुवालिया ने कार्यशाला में अवगत कराया कि संसद में तीन प्रकार के बिल यथा सरकार द्वारा प्रस्तुत बिल,अध्यादेश के माध्यम से प्रस्तुत बिल तथा प्राईवेट बिल प्रस्तुत किये जाते हैं । सर्वप्रथम निजी बिल,16 जुलाई,1953 को संसद में प्रस्तुत किया गया था । जो 1954 में संसद के दोनो सदनो द्वारा पास किया गया । निजी बिल को संसद के किसी भी सदस्य द्वारा लाया जा सकता है । उन्होंने यह भी अवगत कराया कि वर्ष 1990 से लेकर अभी तक 100 से ज्यादा कानूनों में संशोधन हुए है । जिन कानूनों का उपयोग नहीं हो रहा है उन्हें धीरे धीरे समाप्त किया जा रहा है इसके लिए एक कमेटी गठित की गई है ।
कार्यशाला में तरूण विजय,राज्य सभा सांसद ने कहा कि लोकतंत्र के चैथे स्तंभ मीडिया की लोकतंत्र में अहम भूमिका है । मीडिया को समाचारों के प्रकाशन में तथ्यों पर आधारित समाचारों को प्रमुखता दी जानी चाहिए । समाचारो का वर्तमान मे सम्पादकीयकरण हो रहा है जो लोकतंत्र के हित में नहीं है । उन्होंने कहा कि समाचारों का प्रकाशन बिना पुष्टि के नहीे करना चाहिए । समाचारों को नकारात्मक नहीं बल्कि सकारात्मक रूप से पाठको को प्रस्तुत करना चाहिए।
संसदीय प्रणाली में मीडिया की रचनात्मक भूमिका पर आर.एम.प्रबोधिनी के महानिदेशक डा.विनय सहर्षबुद्वि तथा ट्र्ब्यिून के एसोसिएट एडिटर श्री.के.वी.प्रसाद द्वारा विस्तापूर्वक प्रकाश डाला गया ।
कार्यशाला के अंतिम दिन उत्तराखण्ड सूचना विभाग के सहायक निदेशक श्री के.एस.चैहान के नृेतत्व में उत्तराखण्ड के पत्रकार दल द्वारा लोक सभा की अध्यक्षा श्रीमती सुमित्रा महाजन से भी मुलाकात की गई।