देहरादून उत्तराखंड: कई दौर की विभागीय बैठकों के अलावा कैबिनेट में चर्चा होने के बावजूद उत्तराखण्ड सरकार अभी प्रदेश में नई आबकारी नीतू लागू नहीं कर पाई है। उधर, पहले से ही सरकार पर हमले कर रही विपक्षी दल भाजपा को उस समय एक और मौका तब मिल गया जब सीएम हरीश रावत ने नई आबकारी नीति के लिए अखबारों में विज्ञापन जारी कर लोगों की राय मांगी।
दरअसल, उत्तराखण्ड में आबकारी नीति लागू किए जाने की कवायद बीते दो माह से चल रही है। इस बीच खबरें आई की प्रदेश सरकार इस दफा की नीति में कुछ नए बदलाव कर सकती है। बस तभी से भाजपा ने कांग्रेस सरकार को निशाने पर लेना शुरू कर दिया। विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने तो यहां तक बयान दे डाला कि, नई आबकारी नीति के पीछे सरकार की कुछ शराब माफियाओं के साथ अंडर टेबल सेटिंग हुई है। जिस वजह से सरकार इस पर कोई ठोस फैसला नहीं ले पा रही है। वरना क्या बात थी कि, सचिवालय में शुरू हुई आबकारी नीति की बैठकों में कोई नतीजा नहीं निकल सका। रही सही कसर मुख्यमंत्री के एक और निर्णय ने कर डाली, जिसमें उनके द्वारा अखबार में विज्ञापन देकर लोगों से ये राय मांगी गई कि, प्रदेश में आबकारी नीति कैसी होनी चाहिए। विपक्षी दल निशाना साधते हुए कहते हैं कि, अगर सरकार प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने या फिर प्रदेश में पलायन को कैसे रोका जाए पर राय मश्विरा करती तो अच्छा रहता। आबकारी नीति पर राय लेकर आखिर सरकार करना क्या चाहती है।
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