देश में नौकरशाही के मौजूदा ‘स्वरूप और प्रशिक्षण’ में कई तरह के बदलाव देखने को मिल सकते हैं। केंद्र सरकार का प्रयास है कि आईएएस, आईपीएस व आईएफएस अधिकारी, सरकार के एजेंडे को अच्छी तरह समझें और उस पर अमल करें।
सरकार के कामकाज में बहुत सी बातें इसलिए छूट जाती हैं, क्योंकि अधिकारियों को उसमें व्यक्तिगत उत्कृष्टता के लिए कोई बड़ी संभावना नजर नहीं आती। नतीजा, अधिकारी तनावग्रस्त होने लगते हैं। अब केंद्र सरकार ने तय किया है कि सभी आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, सेंट्रल स्टाफिंग स्कीम के अंतर्गत आने वाले कर्मी और सीएसएस, सीएसएसएस अधिकारी (डिप्टी सेक्रेटरी, सीनियर पीपीएस व इनसे ऊपर) को ‘व्यक्तिगत उत्कृष्टता के लिए दक्षताओं का निर्माण’ कोर्स में भेजा जाएगा। यह कोर्स, योग एवं आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग सेंटर, बेंगलुरु द्वारा कराया जाएगा। 21 मार्च से शुरू होने वाले कोर्स की अवधि एक सप्ताह की रखी गई है।
आईएएस हो गए तो वो हवाई जहाज भी चलाएंगे…
पिछले साल फरवरी में पीएम मोदी द्वारा लोकसभा में ब्यूरोक्रेसी को लेकर की गई तीखी टिप्पणी खासी चर्चा का विषय बन गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सब कुछ बाबू ही करेंगे? आईएएस बन गए मतलब अब फर्टिलाइज़र का कारखाना भी चलाएंगे और केमिकल का कारखाना भी चलाएंगे? आईएएस हो गए तो वे हवाई जहाज भी चलाएंगे? ये कौन सी बड़ी ताकत बना दी है हमने? बाबुओं के हाथ में देश देकर हम क्या करने वाले हैं? अब केंद्र सरकार, आईएएस (कैडर) रूल्स, 1954 में संशोधन की तैयारी कर रही है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी इसका विरोध कर चुकी हैं। इसके अलावा तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र सहित कई गैर भाजपा शासित राज्यों से भी इस संशोधन पर विरोध के स्वर सुनाई पड़ रहे हैं।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने केंद्र में आईएएस अफसरों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति के मौजूदा नियम में संशोधन का प्रस्ताव रखा है। इस बाबत दर्जनभर राज्यों से सुझाव मांगे गए थे। ऐसा कहा जा रहा है कि ये संशोधन पास हुआ तो आईएएस व आईपीएस अधिकारियों की केंद्र में नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार को ज्यादा अधिकार मिल जाएंगे। किसी अफसर को केंद्र में बुलाने के लिए राज्य सरकार की सहमति लेने की आवश्यकता नहीं रहेगी।
केंद्र सरकार में ‘व्यक्तिगत उत्कृष्टता’ वाले अधिकारी जरूरी
इस कोर्स को शुरू करने के पीछे मुख्य वजह यह बताई गई है कि बहुत से अधिकारी सरकारी नीति या फैसलों को अपने मन से आगे नहीं बढ़ा पाते। नॉर्थ ब्लॉक स्थित कार्यालय के एक अधिकारी का कहना है, ऐसे देखने में आया है कि अधिकारी उतना ही कामकाज करते हैं, जितना उनकी जॉब को चलाने के लिए जरूरी है। वे कई योजनाओं में रुचि नहीं लेते। भले ही उनका होमवर्क पूरा रहता है, लेकिन उनके मन की दूरी, योजना के सही क्रियान्वयन की राह में बाधा बन जाती है। ऐसे अधिकारी ‘व्यक्तिगत उत्कृष्टता’ की कसौटी से दूर होने लगते हैं। पीएम मोदी कह चुके हैं कि अधिकारियों को न केवल योजनाएं लागू करनी हैं, बल्कि उनके क्रियान्वयन को लेकर उन्हें जमीन स्तर पर लगातार जायजा लेते रहना है।
इन सब बातों के मद्देनजर, भारत सरकार के डीओपीटी ‘ट्रेनिंग डिवीजन’ द्वारा इस विशेष कोर्स के लिए अपडेट भेजा गया है। केंद्र सरकार के अधिकारी, आर्ट ऑफ लिविंग में ‘वन वीक इन सर्विस’ प्रोग्राम के जरिए व्यक्तिगत उत्कृष्टता के लिए दक्षताओं का निर्माण करना सीखेंगे। इसमें तनाव निष्कासन का तरीका भी सिखाया जाएगा। अमूमन स्वयं के विकास के लिए ही तनाव निष्कासन की क्लास आयोजित की जाती है। इसके जरिए अधिकारी को, जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है।
प्रशासनिक कर्मचारियों पर है पीएम मोदी की खास नजर
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार के पहले एवं दूसरे कार्यकाल में अभी तक कई बार आईएएस व आईपीएस के साथ बातचीत की है। पिछले दिनों पीएम ने कहा था, अधिकारी ये सोचें कि उन्होंने अपनी ट्रेनिंग के दौरान जो कुछ सोचा था, उसे आज कहां तक सार्थक कर पाए हैं। 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने सिविल सेवा के क्षेत्र में कदम रख रहे नए अफसरों को सलाह दी थी कि वे दिखास और छपास के रोग से दूर रहें। अधिकारी खुद को फाइलों तक सीमित न रखें। अपने फैसलों का सही प्रभाव देखने के लिए उन्हें जमीनी स्तर पर दौरा करना चाहिए। अधिकारी अपने काम को महज ड्यूटी न समझें। वे इसे देश के शासन में सकारात्मक बदलाव लाने के अवसर के रूप में देखें।
2020 में पीएम मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में प्रोबेशनरी आईपीएस अधिकारियों को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा, योग और प्राणायाम तनाव दूर करने के लिए बहुत फायदेमंद हैं। सिंघम जैसी फिल्में देखने के बाद, कुछ पुलिस अधिकारी खुद को ‘अत्यधिक ऊंचा’ समझने लगते हैं। मोदी ने आईपीएस अधिकारियों को कोई भी ऐसा काम न करने की सलाह दी, क्योंकि इससे उनके अच्छे काम को नजरअंदाज किया जा सकता है।
अगर साधन न्यायपूर्ण हैं तो भगवान भी साथ देते हैं
गत वर्ष जुलाई में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘आईपीएस’ के 144 परिवक्षाधीन अधिकारियों के साथ संवाद करते हुए था, पीएम ने महिला आईपीएस परिवक्षाधीन रणजीता को सलाह दी कि वे सप्ताह में एक घंटा किसी गर्ल स्कूल में जाएं। वहां लड़कियों से बात करें। किसी खुले बगीचे में लड़कियों की एक क्लास लें। इससे बेहतर पुलिसिंग और जन संचार में बहुत मदद मिलेगी। पीएम ने एक अन्य महिला आईपीएस परिवक्षाधीन अधिकारी नवजोत से कहा, आप बेटियों की नई पीढ़ी को प्रेरित करें। उन्हें आगे बढ़ने का सुझाव दें। पुलिसिंग सिस्टम में महिलाओं का आना उसे मजबूती प्रदान करता है। न तो डरना है और न ही किसी को डराना है। पुलिस को समावेशी और संवेदनशील बनाए रखना है। जब कोई राष्ट्र विकास के पथ पर आगे बढ़ता है तो देश के बाहर से भी और भीतर से भी चुनौतियां बढ़ती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दांडी यात्रा के हवाले से कहा, अगर साधन न्यायपूर्ण हैं तो भगवान भी साथ देते हैं।
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